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Career इन लॉ

वह दौर गया, जब लॉ करने के बाद वकालत करने या जज बनने जैसे ही ऑप्शन हुआ करते थे। आज इस प्रोफेशन में अनेक नये रास्ते खुल गए हैं। यंगस्टर्स अपनी दिलचस्पी के अनुसार फील्ड सलेक्ट कर सकते हैं। जैसे कॉरपोरेट लॉ, टैक्सेशन लॉ, आइपी लॉ आदि। इन दिनों गवर्नमेंट

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 13 May 2015 12:58 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2015 01:03 PM (IST)
Career  इन लॉ

वह दौर गया, जब लॉ करने के बाद वकालत करने या जज बनने जैसे ही ऑप्शन हुआ करते थे। आज इस प्रोफेशन में अनेक नये रास्ते खुल गए हैं। यंगस्टर्स अपनी दिलचस्पी के अनुसार फील्ड सलेक्ट कर सकते हैं। जैसे कॉरपोरेट लॉ, टैक्सेशन लॉ, आइपी लॉ आदि। इन दिनों गवर्नमेंट से लेकर प्राइवेट सेक्टर की कंपनीज अपने यहां लीगल ऑफिसर, एडवाइजर, कंसल्टेंट को हायर कर रही हैं। उनके यहां बाकायदा लीगल सेल्स ऑपरेट हो रहे हैं, जिनमें एक्सपर्ट लॉ ग्रेजुएट्स की जरूरत होती है। अब अगर आप भी इस फील्ड में कदम बढ़ाते हैं, तो सामने खुला आसमान है.....

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कॉरपोरेट लॉयर

शशांक

एडवोकेट (कॉरपोरेट)

कॉलेज के दिनों में मुझे लॉ प्रोफेशन को लेकर एक फैसिनेशन-सा था। यह अपीलिंग लगता था। जब कभी डीयू में लॉ स्टूडेंट्स को किसी मुद्दे पर डिस्कस या डिबेट करते सुनता था, तो लगता था मानो सब कुछ लॉ में ही सिमटा हो और उसी से संचालित होता हो। इसलिए मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के ही फैकल्टी ऑफ लॉ से एलएलबी किया। यहां पढऩे के दौरान ही मन बना लिया कि कॉरपोरेट सेक्टर में काम करूंगा और आज बतौर एक कॉरपोरेट लॉयर पूरे सटिस्फैक्शन के साथ काम कर रहा हूं।

वर्क प्रोफाइल

कॉरपोरेट लॉयर मूल रूप से नॉन-लिटिगेशन के मामले देखते हैं या फिर कंपनीज के लिए कंसल्टेंट की जिम्मेदारी निभाते हैं। इसके अंतर्गत वे कंपनीज के ट्रांजैक्शंस, मर्जर-एक्विजिशन, पब्लिक शेयर, जनरल, कॉमर्शियल, इंटरनेशनल कॉन्ट्रैक्ट्स आदि के लिए ड्राफ्टिंग, ऌऌऌनेगोशिएशन, रिस्ट्रक्चरिंग देखते हैं। साथ ही कैपिटल मार्केट में इनवेस्टमेंट, प्राइवेट इक्विटी, लेंडिंग जैसे मामलों के बारे में कॉरपोरेट्स को सलाह देते हैं।

स्किल्स

कॉरपोरेट लॉयर के रूप में करियर बनाने वालों को कंपनी लॉ, कॉरपोरेट फाइनेंस और टैक्सेशन की जानकारी होनी चाहिए। उन्हें आरबीआइ के नॉम्र्स से अवगत रहना होगा। साथ ही, समय-समय पर कानून में होने वाले बदलावों पर भी नजर रखनी होगी। कैैंडिडेट को यह बात हमेशा ध्यान में रखनी होगी कि लॉ स्कूल की पढ़ाई और इसकी प्रैक्टिस में काफी अंतर है। लॉ की पढ़ाई बेशक आपको नॉलेजेबल बनाती है, लेकिन सीनियर के अंडर में ट्रेनिंग इस प्रोफेशन के लिए अति आवश्यक है। इसलिए आपको धैर्य रखना होगा। एक कॉरपोरेट लॉयर जितना क्रिएटिव होगा और भविष्य में आने वाले रिस्क को आंकने की क्षमता रखेगा, उससे उसके काम की उतनी ही पहचान बनेगी। उसके पास इंग्लिश की साउंड नॉलेज और राइटिंग स्किल्स भी होनी चाहिए।

स्कोप

आज कॉरपोरेट सेक्टर में लॉयर्स को हाथों-हाथ लिया जा रहा है। लॉ स्कूल के प्लेसमेंट में कंपनीज की अच्छी भागीदारी हो रही है। कई लीगल फम्र्स तो फ्रेशर्स को भी 15 से 16 लाख रुपये का पैकेज ऑफर करने लगी हैं।?

सिविल लॉयर

रितु मेहरा

एडवोकेट (सिविल)

मेरा शुरू से सोशल सेक्टर की ओर झुकाव था। इसलिए बीएससी करने के बाद आगरा यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री हासिल की। इससे मुझे एजुकेशन और पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम में व्याप्त अनियमितताओं के खिलाफ लड़ाई लडऩे में मदद मिली। दरअसल, मैंने पब्लिक गवर्नेंस सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी लाने के लिए आरटीआइ के माध्यम से कई लीगल केसेज फाइट किए हैं। आज मैं चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की सदस्य हूं।

वर्क प्रोफाइल

सिविल लॉयर आमतौर पर शिक्षा, प्रॉपर्टी, संवैधानिक अधिकारों से संबंधित मामलों को देखते हैं। ये क्लाइंट्स के लिए रिट याचिका दाखिल करने, सेल्स, गिफ्ट, पार्टिशन डीड्स या कॉन्ट्रैक्ट्स आदि ड्राफ्ट करने जैसी जिम्मेदारी निभाते हैं। सिविल एडवोकेट्स सिविल कोर्ट, हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में लिटिगेशन के मामले भी हैंडल करते हैं। इसमें काफी मेहनत है।

स्किल्स

सिविल लॉयर बनने के इच्छुक स्टूडेंट्स में कमिटमेंट, डेडिकेशन जैसी कुछ खास क्वालिटीज होनी चाहिए। इस प्रोफेशन में एप्लीकेशन ऑफ माइंड बहुत मायने रखता है। लिहाजा कैैंडिडेट्स जितना सीखेंगे, उतना इंप्रूव करेंगे। एक बात और। सिविल लॉयर को घंटों काम करना पड़ता है। इसका आपको ध्यान रखना होगा। आपको लॉ की विभिन्न किताबेें, अलग-अलग केसेज और उनके डेवलपमेंट्स की खबर रखनी

होती है।

स्कोप

एक सिविल लॉयर के लिए कोर्ट में प्रैक्टिस करने के अलावा गवर्नमेंट सेक्टर में कई तरह की अपॉच्र्युनिटीज हैं। आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट, लीगल फम्र्स, सोशल सेक्टर आदि में काम कर सकते हैं। इन दिनों सीए, सीएस और एमएसडब्ल्यू कोर्स करने के बाद एलएऌऌलबी करके भी बहुत से लोग लॉ की फील्ड में आ रहे हैं। उनकी मार्केट में बहुत डिमांड भी है।

लिटिगेशन लॉयर

अमित कुमार मिश्रा

एडवोकेट (लिटिगेशन)

मेरे पिताजी लॉयर हैं। उन्हें देखने के बाद मुझे भी इस फील्ड में करियर संवारने का मन हुआ। ग्रेजुएशन के बाद मैंने 2005 में कोलकाता स्थित नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूडिशियल साइंसेज से लॉ किया। पढ़ाई कंप्लीट करते ही मेरी प्लेसमेंट एक प्रतिष्ठित लीगल फर्म में हो गई। वहां कुछ साल काम करने के बाद मैंने दिल्ली स्थित पीऐंडपी लॉ ऑफिसेज को ज्वाइन कर लिया। आज यहां के डिस्प्यूट ऐेंड रिजॉल्यूशन प्रैक्टिस डिपार्टमेंट को हेड कर रहा हूं।

वर्क प्रोफाइल

कॉरपोरेट लिटिगेटर मुख्य रूप से कंपनी के टैक्सेशन लिटिगेशन, शेयर-होल्डर लिटिगेशन, लाइसेंसिंग डिस्प्यूट, इनवेस्टमेंट रिलेटेड इश्यूज को हैंडल करते हैं। वहीं, सिविल लिटिगेशन के अंतर्गत लैंड, क्रिमिनल, फैमिली, डाइवोर्स आदि के केसेज को देखना होता है।

स्किल्स

कॉरपोरेट लिटिगेटर बनने के लिए एलएलबी की डिग्री आवश्यक है, जबकि सिविल लिटिगेटर्स को बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित किए जाने वाले एंट्रेंस एग्जाम को क्लियर करना होता है। इसके बाद उन्हें सर्टिफिकेट मिलता है और वे हाईकोर्ट या दूसरे कोट्र्स में प्रैक्टिस कर सकते हैं या खुद की लीगल फर्म शुरू कर सकते हैं।

स्कोप

आज कंपनीज जिस तरह अपने लीगल केसेज को रिजॉल्व करने के लिए साइंटिफिक अप्रोच रख रही हैं, उसे देखते हुए कॉरपोरेट लिटिगेटर्स के लिए देसी और विदेशी लीगल फम्र्स और एमएनसीज में अच्छे मौके हैं। कंपनीज ने अपने यहां बाकायदा लीगल सेल्स खोल लिए हैं। आप चाहें, तो प्राइवेट के अलावा गवर्नमेेंट सेक्टर या कोर्ट में प्रैक्टिस कर सकते हैं। इन दिनों आर्बिट्रेटर्स की भी बहुत डिमांड है। खासकर विदेशों में।

आइपी लॉ

अगर आप आइपी यानी इंटेलेक्चुएल प्रॉपर्टी राइट्स के क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो पेटेंट एटॉर्नी बन सकते हैं। इसके लिए एलएलबी की डिग्री सही रहेगी।

स्कोप

एक आइपीआर एटॉर्नी सरकारी और निजी, दोनों क्षेत्रों में काम कर सकता है। बहुत सारी कंपनियां जो पेटेंट और कॉपीराइट्स की सुरक्षा चाहती हैं, वे स्पेशलिस्ट एटॉर्नी की इन-हाउस टीम रखती हैं। आप चाहें, तो लीगल फर्म में भी काम कर सकते हैं।

क्लैट की तैयारी

अगर आप क्लैट परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो इसके लिए इंग्लिश कॉम्प्रिहेंशन, जनरल नॉलेज, करेंट अफेयर्स, एलिमेंट्री मैथ्स, लीगल एप्टीट्यूड और रीजनिंग जैसे विषयों पर काफी ध्यान देना होगा।

इंग्लिश

क्लैट परीक्षा में आपकी इंग्लिश की परख होती है। कॉम्प्रिहेंशन पैसेजेज और ग्रामर के जरिए देखा जाता है कि कैैंडिडेट की भाषा पर कितनी पकड़ है? इसलिए जरूरी है कि आप नियमित रूप से अपनी वॉकेबुलरी बढ़ाने पर जोर दें। इंग्लिश न्यूजपेपर, मैगजीन, जर्नल्स आदि पढ़ें।

मैथ्स

अगर आपकी दसवींतक मैथ्स ठीक है, तो एलिमेंट्री मैथ्स का पेपर मुश्किल नहींहोगा। अगर आप रोजाना थोड़ा-थोड़ा प्रैक्टिस करेें, तो मैथ्स सेक्शन आसानी से निकाल लेंगे। प्रिवियस ईयर के मॉडल टेस्ट पेपर्स और क्वैश्चन पेपर सॉल्व करने से भी फायदा होगा। इससे एग्जाम में स्पीड बनी रहेगी।

लीगल एप्टीट्यूड

लीगल एप्टीट्यूड सेक्शन के तहत कैैंडिडेट्स की लॉ, रिसर्च और प्रॉब्लम सॉल्विंग एबिलिटीज को जांचा जाता है। इसके लिए आपको देश के विभिन्न कानूनों, अदालती फैसलों और कानून में होने वाले बदलावों पर नजर रखनी होगी। अच्छे लॉ बुक्स के अलावा लॉ जर्नल्स पढऩा फायदेमंद रहेगा। आप चाहें, तो किसी लॉयर या लीगल प्रैक्टिशनर से भी मार्गदर्शन ले सकते हैं। इससे धाराओं को समझने में आसानी होगी।

क्रिमिनल लॉयर

मोहित शर्मा

एडवोकेट (क्रिमिनल)ऌ

ऌऌऌऌऌऌमैं ग्रेजुएशन के बाद शिक्षण के पेशे से जुड़ गया था, लेकिन वहां मन नहींलग रहा था। कऌाम में सटिस्फैक्शन नहींथा। फिर मैंने आगरा यूनिवर्सिटी से एलएलबी किया। लॉ की पढ़ाई करते हुए काफी मजा आया और मैंने डिसाइड कर लिया कि अब बस इसी में रम जाना है। इसके बाद मैंने अपनी इंडिपेंडेंट प्रैक्टिस शुरू कर दी। मैं क्रिमिनल के अलावा सिविल केसेज भी देखता हूं।

वर्क प्रोफाइल

जो भी काम गैर-कानूनी तरीके से किया जाए या जिसमें कानून का उल्लंघन होता है और जहां सजा का प्रावधान है, वह क्रिमिनल ऑफेेंस कहलाता है। वहीं, इन सभी मामलों को देखने वाला क्रिमिनल लॉयर। यह ऑफेेंस फैमिली मैटर्स से लेकर कंपनीज से संबंधित कोई मसला हो सकता है। मसलन घरेलू हिंसा, दहेज हत्या, मर्डर, यौन उत्पीडऩ, धोखाधड़ी, स्कैंडल, साइबर क्राइम आदि। इस तरह एक क्रिमिनल लॉयर केस के सिलसिले में क्लाइंट, विटनेस, पुलिस सभी के साथ मिलकर काम करता है। पूरी रिसर्च करने के बाद ही वह केस में आगे बढ़ता है।

स्किल्स

एक क्रिमिनल लॉयर को सबसे पहले समाज के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। उसे कानूनी धाराओं में होने वाले बदलावों से अपडेट रहना होगा। साथ ही, उनमें किसी केस को बारीकी से परखने की कला होनी चाहिए। एक क्रिमिनल लॉयर के लिए सबसे जरूरी है स्ट्रॉन्ग ड्रॉफ्टिंग स्किल। इसी से वह किसी केस को मजबूत बना सकता है। यह बहुत ही चैलेंजिंग पेशा है, जिसके लिए ढेर सारा धैर्य और एनालिटिकल स्किल होनी जरूरी है। आप चाहें तो क्रिमिनोलॉजी या क्रिमिनल जस्टिस में मास्टर्स भी कर सकते हैं।

स्कोप

देश में अपराध का ग्राफ बढऩे से क्रिमिनल लॉयर्स की मांग भी बढ़ गई है। वैसे, बतौर क्रिमिनल लॉयर आप प्राइवेट प्रैक्टिस या पब्लिक डिफेेंस लॉयर के रूप में काम कर सकते हैं। कई मामलों में सरकार सीधे क्रिमिनल लॉयर को केस के लिए हायर करती है।

गवर्नमेंट-प्राइवेट में ऑप्शंस

ऌऌऌऌऌग्लोबलाइजेशन के कारण सोसायटी में आए सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के बाद नए कानूनों के बनने में इतनी तेजी आई है कि लॉ से जुड़े अच्छे एक्सपट्र्स की कमी-सी हो गई है। एक सर्वे के अनुसार, इंडियन लॉ ग्रेजुएट्स की मांग देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के विकसित और विकासशील देशों में भी है। लॉ एक्सपट्र्स के लिए सरकारी व निजी क्षेत्रों में कई नये अवसर भी उपलब्ध हैं :

साइबर लॉ :?यह इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का युग है। इसलिए मौजूदा समय में इंटरनेट एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र को रेगुलेट करने के लिए जिस लॉ की जरूरत होती है, उसे साइबर लॉ कहते हैं। आज सूचना प्रौद्योगिकी के बढ़ते प्रभाव के कारण इस क्षेत्र में रोजगार के असीमित अवसर हैं। ऐसे में आइटी या इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स लॉ की डिग्री हासिल कर इस पेशे से जुड़ सकते हैं।

इंटरनेशनल लॉ :? विभिन्न देशों के नागरिकों एवं कारोबारियों के साथ-साथ राष्ट्रीय हितों के बीच उत्पन्न होने वाली समस्याओं को इस कानून द्वारा सुलझाया जाता है। इस क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सुनहरे अवसर हैं।

लेबर लॉ :?एम्प्लॉइज के अधिकार एवं उनकी समस्याओं के समाधान के लिए लेबर लॉ बनाया गया है। गवर्नमेंट डिपार्टमेंट्स में तो इनके एक्सपट्र्स की मांग है ही, प्राइवेट सेक्टर में भी इनकी डिमांड देखी जा रही है।

टैक्स लॉ :?अक्सर इंडस्ट्रीज की लेन-देन या बिजनेस प्रक्रिया के दौराऌऌऌऌऌऌन विभिन्न प्रकार की टैक्स प्रॉब्लम्स होती हैं। इनका समाधान टैक्स लॉ एक्सपट्र्स करते हैं। कॉरपोरेट सेक्टर में भी टैक्स लॉ विशेषज्ञों की बहुत अच्छी मांग है।

प्राइवेट के अलावा गवर्नमेंट सेक्टर में भी लॉ ग्रेजुएट्स के लिए अनेक अवसर हैं। वे यूपीएससी और स्टेट गर्वनमेंट द्वारा आयोजित परीक्षा को उत्तीर्ण कर जज, मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट आदि बन सकते हैं।

सिविल जज परीक्षा : लॉ को करियर के रूप में चुनने वाले अधिकतर स्टूडेंट्स का सपना होता है न्यायिक सेवा परीक्षा में चयनित होकर सिविल न्यायाधीश बनना। सिविल न्यायाधीश (सिविल जज) का पद वर्तमान में काफी प्रतिष्ठापूर्ण है। इसमें पैसे के साथ-साथ सम्मान, प्रतिष्ठा एवं उन्नति के काफी अवसर हैं। देश के सभी राज्यों में सिविल जज परीक्षा आयोजित की जाती है।

यूपीएससी : वकीलों को यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा उनके अनुभव के आधार पर केंद्रीय सेवाओं में नियुक्त किया जाता है। केंद्रीय स्तर पर लॉ ऑफिसर, लीगल एडवाइजर, डिप्टी लीगल एडवाइजर आदि के पद हैं। राज्यों में राज्य पुलिस, राजस्व एवं न्यायिक विभागों में वकीलों की नियुक्ति की जाती है। विभिन्न स्तर के अधीनस्थ न्यायालयों में न्यायिक दंडाधिकारी, जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सब मजिस्ट्रेट, लोक अभियोजक, एडवोकेट जनरल, नोटरी एवं शपथ पत्र आयुक्त के पद होते हैं। वैसे, इन सबके लिए पहली पात्रता है एलएलबी की डिग्री। इसके अलावा, लॉ के सहायक डिप्लोमा कोर्सेज भी कई इंस्टीट्यूट्स द्वारा संचालित किए जाते हैं।?

प्रमुख इंस्टीट्यूट्स

-नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली

www.nludelhi.ac.in

-नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु, https://www.nls.ac.in/

-एनएएलएसएआर यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद, www.nalsar.ac.in/

-चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, पटना

www.cnlu.ac.in/

-नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ स्टडी ऐंड रिसर्च इन लॉ, रांची, nusrlranchi.com/

-नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी ऐंड ज्यूडिशियल एकेडमी, असम

ww.nluassam.ac.in/

-फैकल्टी ऑफ लॉ, यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली

http://www.du.ac.in/

-एमिटी लॉ स्कूल, नोएडा, amity.edu/alsn/

प्रभाकर मणि त्रिपाठी

लॉयर एवं फैकल्टी

करियर के लिहाज से देखें, तो लॉ का क्षेत्र पहले से कहींअधिक अट्रैक्टिव हो गया है। आज बहुत सारे युवा सामाजिक जिम्मेदारी के अलावा पैसे और रुतबे को लेकर ज्यूडिशियल प्रॉसेस से जुड़ रहे हैं। हालांकि, वे कम समय में बुलंदियों पर पहुंचना चाहते हैं, जो सही नहींहै। एक लॉयर को शुरुआत में कड़ी मेहनत करनी होती है। प्रोफेशन से जुड़े सीनियर्स के अंडर काम करना होता है। इससे वे फील्ड की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग हासिल कर पाते हैं। इन दिनों कई लीगल फम्र्स भी लॉ इंटन्र्स को रखने लगी हैं। इससे स्टूडेंट्स को सीखने के अलावा कुछ स्टाइपेेंड भी मिल जाता है।

कैसे करें एंट्री?

लॉ में इंट्रेस्ट रखने वाले 12वीं के बाद ही पांच साल का इंटीग्रेटेड बीए-एलएलबी कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा किसी भी स्ट्रीम के ग्रेजुएट तीन साल का एलएलबी कोर्स कर इस फील्ड में आ सकते हैं। पांच साल के कोर्स के अंतर्गत थ्योरिटिकल के अलावा प्रैक्टिकल नॉलेज दी जाती है, जिससे स्टूडेंट्स का फोकस बढ़ता है। आप चाहें, तो दो साल का एलएलएम यानी मास्टर्स कोर्स भी कर सकते हैं।

स्किल्स पर नजर

वैसे, लॉ स्कूल में दाखिले के लिए भी आपको कई बातों पर फोकस रखना होगा, जैसे-आपको सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, पीआइएल, संसद ऌमें आने वाले नए बिल्स, आइपीसी, सीआरपीसी, एविडेंस एक्ट, इंफॉर्मेशन एक्ट आदि विभिन्न लोकप्रिय धाराओं में होने वाले बदलाव के अलावा फाइनेंशियल, कॉरपोरेट और इंटरनेशनल लॉ पर पैनी नजर रखनी होगी।

संभावनाएं अपार

एक लॉ ग्रेजुएट के लिए बैंक, ओएनजीसी, गेल, सेल जैसे पब्लिक सेक्टर यूनिट्स, रेगुलेटरी बॉडीज, आर्मी, ट्रिब्यूनल्स, लॉ फम्र्स, एजेंसीज, एनजीओ, न्यूजपेपर, मीडिया हाउस, कंपनीज के लीगल सेल, लॉ स्कूल्स आदि में तमाम तरह के अवसर हैं। इसी तरह इंटरनेशनल मार्केट में भी लीगल एक्सपट्र्स की डिमांड दिनों-दिन बढ़ रही है।

एग्जाम से दाखिला

इंडिया की सभी लॉ यूनिवर्सिटीज पांच साल के कोर्स में दाखिले के लिए एंट्रेंस एग्जाम कंडक्ट करती हैं। इसके लिए कैैंडिडेट को कम से कम 50 प्रतिशत अंकों के साथ 12वीं करना होगा।

एंट्रेंस एग्जाम

जो स्टूडेंट्स लॉ फील्ड में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें नेशनल लेवल का एंट्रेेंस एग्जाम या फिर कॉलेजेज द्वारा अलग से कंडक्ट किए जाने वाले एग्जाम्स क्लियर करने होंगे।

सीएलएटी (क्लैट)

- कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट नेशनल लेवल का एंट्रेंस एग्जाम है। इसे क्लियर करने के बाद आपका देश के 14 नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज में से किसी एक में दाखिला हो सकता है। इसके अलावा, टीएनएनएलएस, तिरुचिरापल्ली, डीएसएनएलयू, विशाखापत्तनम, निरमा यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद में भी इसके आधार पर दाखिला मिलता है।

एलएसएटी

-लॉ स्कूल एडमिशन टेस्ट के तहत रीडिंग और वर्बल रीजनिंग स्किल्स की परीक्षा होती है। इंडिया के विभिन्न लॉ स्कूल्स यह परीक्षा लेते हैं।?

डीयूएलएलबी

-दिल्ली यूनिवर्सिटी एलएलबी और एलएलएम जैसे विभिन्न लॉ कोर्सेज के लिए अपना अलग एंट्रेंस एग्जाम लेती है।

सेट सिंबायोसिस

-सिंबायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिले के लिए यह एंट्रेंस टेस्ट कंडक्ट करती है।

यूएलएसएटी

-यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम ऐंड एनर्जी यह

एंट्रेंस टेस्ट लेती है।

कॉन्सेप्ट ऐंड इनपुट : अंशु सिंह


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