एचआर मैनेजमेंट: बदला रोल, बदला तेवर
एचआर का रोल बदल रहा है। अब यह सिर्फ डेस्क जॉब नहींरहा, इसमें ट्रैवलिंग और री-लोकेशन के लिए तैयार रहना होता है...
अपॉच्र्युनिटीज अनलिमिटेड
मैन्युफैक्चरिंग, शिपिंग और लेबर इंडस्ट्री में इंडस्ट्रियल रिलेशन और लेबर लॉ में स्पेशलाइजेशन करने वाले एचआर प्रोफेशनल्स की काफी डिमांड है। इसी तरह कुछ कंपनीज में लर्निंग एवं डेवलपमेंट प्रोफाइल्स को अधिक हायर किया जा रहा है। एजुकेशन सेक्टर में एचआर में पीएचडी करने वाले, जबकि आइटी, आइटीइएस, कंसल्टिंग सेक्टर में इंजीनियरिंग बैकग्राउंड वाले एचआर प्रोफेशनल्स की मांग है। जिन्हें सोशल सेक्टर का पैशन हो, वे एनजीओ के साथ करियर शुरू कर सकते हैं।
लक्ष्मी मूर्ति, डायरेक्टर (एचआर)
आइटीएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस
एम्प्लॉइज को आज एक बड़ा कॉरपोरेट एसेट माना जाने लगा है। किसी भी ऑर्गेनाइजेशन या कंपनी के डेवलपमेंट के लिए ट्रेंड, स्किल्ड और मोटिवेटेड स्टाफ की जरूरत होती है। इन्हें तलाशने का जिम्मा एचआर का होता है। इसी तरह कॉरपोरेट पॉलिसी के निर्माण में ये अहम योगदान देते हैं। इन दिनों जिस तरह से कंपनियों का अधिग्रहण हो रहा है, उसमें भी एचआर की भूमिका बढ़ रही है। यानी ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट मौजूदा दौर की मांग बन चुका है। अब यह डेस्क जॉब तक सिमट कर नहीं रहा, बल्कि लगातार नई अपॉच्र्युनिटीज लेकर आ रहा है।
क्या है एचआर मैनेजमेंट?
आमतौर पर एचआर कोर्स के अंतर्गत पर्सनल मैनेजमेंट, लेबर लॉ, इंडस्ट्रियल रिलेशन आदि पर फोकस किया जाता है। लेकिन बीते कुछ वर्षों से ऑर्गनाइजेशनल डेवलपमेंट, स्ट्रेटेजिक एचआर मैनेजमेंट, ऑर्गेनाइजेशनल बिहैवियर, ट्रेनिंग ऐंड डेवलपमेंट, करियर डेवलपमेंट, कोचिंग ऐंड मेंटरिंग, एम्प्लॉई एंगेजमेंट, कम्पेनसेशनल स्ट्रेटेजी आदि भी पढ़ाए जा रहे हैं।
वर्क प्रोफाइल
ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट का मकसद कर्मचारी की परफॉर्मेंस को इस तरह से बढ़ाना है कि संस्थान के उद्देश्यों की पूर्ति हो सके। एक एचआर का रोल एम्प्लॉई का डाटा बेस मैनेज करने से लेकर, पर्सनल फाइल्स तैयार करना, हायरिंग करना, पे-रोल प्रोसेस करना होता है। ये परफॉर्मेंस मैनेजमेंट, कम्पेनसेशन स्ट्रेटेजी आदि भी तैयार करते हैं। ऑफिस के वर्क कल्चर और एनवॉयर्नमेंट को कायम करना इनकी ही जिम्मेदारी होती है। एचआर नियमों के अनुसार, हर 50 एम्प्लॉई पर कम से कम एक एचआर पर्सनेल का होना जरूरी है।
एजुकेशनल क्वालिफिकेशन
किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएट एचआर कोर्स में एनरोल करा सकते हैं। हां, अगर साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन के बाद आप इसे ऑप्ट करते हैं, तो ऑर्गेनाइजेशन के बिहैवियर और डेवलपमेंट को समझने में आसानी होगी। दूसरी ओर इकोनॉमिक्स ग्रेजुएट्स को एचआर के बिजनेस कॉन्टेक्स्ट को समझने में मदद मिलेगी। इन दिनों इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स के बीच भी एचआर कोर्स में दाखिले का ट्रेंड देखा जा रहा है।
बेसिक स्किल्स
फॉर्मल एजुकेशन के अलावा एक एचआर प्रोफेशनल के पास स्ट्रॉन्ग इंटरपर्सनल स्किल्स होनी चाहिए। उन्हें एक प्रोसेस को डिजाइन और डेवलप करना आना चाहिए। इसके साथ ही इंग्लिश और कम्युनिकेशन स्किल पर कमांड जरूरी है।
इंडस्ट्री डिमांड
अमूमन हर इंडस्ट्री में एचआर प्रोफेशनल की डिमांड है। एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में भी बेहतर अवसर हैं। आप नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट क्लियर करने के बाद किसी शिक्षण संस्थान से असिस्टेंट प्रोफेसर या रिसर्च एसोसिएट के तौर पर जुड़ सकते हैं। इस तरह अपनी नॉलेज, एक्सपर्टीज और एक्सपीरियंस के आधार पर आप कोच या मेंटर या काउंसलर के रूप में भी काम कर सकते हैं। एक एचआर मैनेजर की औसत सैलरी पांच से छह लाख रुपये सालाना होती है।
टॉप इंस्टीट्यूट्स
-एक्सएलआरआइ, जमशेदपुर
www.xlri.ac.in
-आइटीएम ऑनलाइन यूनिवर्सिटी, मुंबई
www.itm.edu
-मैनेजमेंट डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट, गुडग़ांव
www.mdi.ac.in
-एफएमएस, दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
fms.edu
इंटरैक्शन : अंशु सिंह