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ओशनोग्राफी: एडवेंचरस करियर

समुद्र की ऊंची-नीची लहरें आपको आकर्षित करती हैं और इसकी गहराई में झांकने का साहस है, तो ओशनोग्राफी करियर आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। इस कोर्स में समुद्र और इसमें पाए जाने वाले क्रिएचर के बारे में स्टडी की जाती है। दरअसल, समुद्र की गहराइयों का ईको सिस्टम बाहरी एनवॉ

By Edited By: Published: Wed, 04 Jun 2014 03:44 PM (IST)Updated: Wed, 04 Jun 2014 03:44 PM (IST)
ओशनोग्राफी: एडवेंचरस करियर

समुद्र की ऊंची-नीची लहरें आपको आकर्षित करती हैं और इसकी गहराई में झांकने का साहस है, तो ओशनोग्राफी करियर आपके लिए बेस्ट ऑप्शन हो सकता है। इस कोर्स में समुद्र और इसमें पाए जाने वाले क्रिएचर के बारे में स्टडी की जाती है। दरअसल, समुद्र की गहराइयों का ईको सिस्टम बाहरी एनवॉयर्नमेंट से कहीं अलग तरह की विविधताओं से भरा पड़ा है। खास बात यह है कि अभी इसके कई पहलू ऐसे हैं, जिनके बारे में अब भी हमें बहुत कुछ मालूम नहीं है। अगर लाइफ में जोखिम लेना पसंद करते हैं, तो ओशनोग्राफी की फील्ड में कदम रख सकते हैं।

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क्वालिफिकेशन

साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास स्टूडेंट्स ऑशनोग्राफी से रिलेटेड कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। बैचलर लेवल पर बीएससी मैरीन साइंस में एडमिशन ले सकते हैं। इसके लिए फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ से 12वीं पास होना जरूरी है। हालांकि अधिकतर कॉलेज और यूनिवर्सिटी में ओशनोग्राफी और मैरीन बायोलॉजी से रिलेटेड पोस्टग्रेजुएट कोर्स ही उपलब्ध हैं। पोस्टग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन के लिए साइंस में बैचलर डिग्री यानी बीएससी इन जूलॉजी/ बॉटनी/ केमिस्ट्री/ फिशिरीज साइंस/ अर्थ साइंस/ फिजिक्स/ एग्रीकल्चर/ माइक्रोबायोलॉजी/ अप्लाइड साइंसेज आदि जरूरी है। इस फील्ड में आप एमएससी ओशनोग्राफी, एमएससी मैरीन बायोलॉजी, एमटेक इन ओशनोग्राफी और मैरीन बायोलॉजी, एमफिल मैरीन बायोलॉजी, एमफिल केमिकल ओशनोग्राफी या फिर ओशनोग्राफी में पीएचडी भी कर सकते हैं। आमतौर पर कोर्स के दौरान प्रिंसिपल्स ऑफ ओशनोग्राफी, मैरीन इकोलॉजी, मैरीन पलूशन, पैलिओबायोलॉजी आदि के बारे में पढ़ाया जाता है।

पर्सलन स्किल

समुद्र के बारे में अधिक से अधिक जानने की जिज्ञासा, एडवेंचर के प्रति लगाव, ओशन सिकनेस न होना, फिजिकली स्ट्रॉन्ग, सहनशीलता, अकेलेपन और बोरियत के बीच खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखना जरूरी है। टीम में काम करने के लिए सही माहौल बनाए रखना भी आवश्यक है। इसके अलावा, स्वीमिंग और डाइविंग में ट्रेंड होना जरूरी है। एक से अधिक लैंग्वेज की जानकारी और कुछ मैकेनिकल एबिलिटी है, तो एडवांटेज मिलता है।

वर्क प्रोफाइल

आज के दौर में ओशनोग्राफी काफी महत्वपूर्ण हो गया है। हालांकि यह फील्ड चैलेंजिंग है, लेकिन जो इस चैलेंज को पसंद करते हैं, उनके लिए इस फील्ड में काफी ब्राइट फ्यूचर है। आमतौर पर इस फील्ड में नमूने एकत्र करना, सर्वे करना और अत्याधुनिक उपकरणों से डाटा का आकलन करना जैसे कार्य ही होते हैं। इस क्षेत्र में काम करने वालों को 'ओशनोग्राफर' कहा जाता है। पानी के घुमाव और बहाव की दिशा, उसके फिजिकल और केमिकल सामग्री के आकलन का कार्य भी शामिल होता है। इसके बाद पता चलता है कि इनका तटीय इलाकों, वहां के मौसम पर क्या असर होता है? इस क्षेत्र से ज्यादातर केमिस्ट, फिजिसिस्ट, बायोलॉजिस्ट और जियोलॉजिस्ट जुड़े होते हैं, जो अपनी विशेषज्ञता का इस्तेमाल ओशन स्टडीज में करते हैं। दरअसल, यह पूरी तरह रिसर्च से जुड़ा फील्ड है। ऐसे में इस काम को करने के लिए समुद्र में लंबा वक्त भी गुजारना पड़ सकता है। इस काम में थोड़ा अनुभव होने के बाद अधिकांश लोगों को उनकी विशेषज्ञता के अनुरूप अलग-अलग तरह का कार्य सौंपा जाता है। इसमें मैरीन बायोलॉजी, जियोलॉजिकल ओशनोग्राफी, फिजिकल ओशनोग्राफी और केमिकल ओशनोग्राफी शामिल है।

केमिकल ओशनोग्राफी : इस फील्ड से जुड़े प्रोफेशनल्स पानी के संयोजन और क्वालिटी का आकलन करते हैं। ये समुद्र की तलहटी में होने वाले केमिकल रिएक्शन पर नजर रखते हैं। इनका मकसद ऐसी टेक्नोलॉजी भी खोजना है, जिससे समुद्र से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों का पता लगाया जा सके। बढ़ते प्रदूषण के चलते इस फील्ड से जुड़े लोगों का कार्य चैलेंजिंग हो गया है।

जियोलॉजिकल ओशनोग्राफी : जियोलॉजिकल और जियोफिजिकल ओशनोग्राफर्स सी फ्लोर की वास्तविक स्थिति के बारे में पता लगाने का काम करते हैं। समुद्र की तलहटी में पाए जाने वाले खनिजों के बारे में रिसर्च करते हैं।

फिजिकल ओशनोग्राफी : फिजिकल ओशनोग्राफर्स तापमान, लहरों की गति, चाल, ज्वार, घनत्व और करेंट का पता लगाते हैं।

बायोलॉजिकल ओशनोग्राफी : इसे मैरीन बायोलॉजी के नाम से भी जाना जाता है। समुद्री जीव-जंतुओं और मनुष्य के लिए उनकी उपयोगिता से जुड़े विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। मैरीन बायोलॉजिस्ट तेल और गैस के स्रोतों का पता लगाने का भी काम करते हैं।

जॉब ऑप्शंस

हिंद इंस्टीट्यूट ऑफ नॉटिकल साइंस ऐंड इंजीनियरिंग के संजीव कुलश्रेष्ठ के मुताबिक, ओशनोग्राफर्स के लिए प्राइवेट और गवर्नमेंट सेक्टर में जॉब की भरपूर संभावनाएं हैं। गवर्नमेंट से जुड़े जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, मेटीरियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और डिपार्टमेंट ऑफ ओशनोग्राफी में भी जॉब की तलाश की जा सकती है। वैसे, इस फील्ड में मैरीन पॉलिसी एक्सप‌र्ट्स, मैरीन ऐंड ओशन इंजीनियर्स, मैरीन आर्कियोलॉजिस्ट्स, मैरीन बायोलॉजिस्ट, फिजिकल ओशनोग्राफर्स, मैरीन एनवॉयर्नमेंटलिस्ट, जियोलॉजिकल ओशनोग्राफर्स ऐंड मैरीन जियोकेमिस्ट, बायोलॉजिकल ओशनोग्राफर्स, मैरीन बायोलॉजिस्ट्स, केमिकल ओशनोग्राफर्स, फिशिरीज साइंटिस्ट, मैरीन ऐंड ओशन इंजीनियर, हाइड्रोग्राफर, मैरीन टेक्निशियन आदि के रूप में भी जॉब कर सकते हैं।

सैलरी पैकेज

इस फील्ड में शुरुआती सालाना सैलरी पैकेज 3-4 लाख रुपये होता है। कुछ वर्ष का वर्क एक्सपीरियंस हासिल करने के बाद या फिर बड़ी प्राइवेट कंपनियों में अच्छी सैलरी मिलती है।

(जागरण फीचर)


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