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मिस न करें चांस

एक चांस मिस हो गया, तो जिंदगी दूसरा मौका जरूर देती है। इसे गोल्डेन चांस समझते हुए फिर मिस न होने दें। सक्सेस के टिप्स साझा कर रहे हैं क्रिसिल के पूर्व डायरेक्टर और समेरा रेटिंग्स के सीइओ शंकर चक्रवर्ती.....

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 11 Nov 2014 01:15 PM (IST)Updated: Tue, 11 Nov 2014 01:17 PM (IST)
मिस न करें चांस

एक चांस मिस हो गया, तो जिंदगी दूसरा मौका जरूर देती है। इसे गोल्डेन चांस समझते हुए फिर मिस न होने दें। सक्सेस के टिप्स साझा कर रहे हैं क्रिसिल के पूर्व डायरेक्टर और समेरा रेटिंग्स के सीइओ शंकर चक्रवर्ती.....

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मेरी शुरुआती पढ़ाई वेस्ट बंगाल में रामकृष्ण मिशन के एक बोर्डिंग स्कूल में हुई। उस समय यह बंगाल के टॉप स्कूलों में से एक था। बहुत बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर, बड़ी-सी लाइब्रेरी, सात फुल साइज फुटबॉल ग्राउंड, बड़े-बड़े क्लासरूम्स, एक म्यूजियम, एक चिडिय़ाघर, एक ऑडिटोरियम, एक बड़ा प्रेयर हॉल और भी बहुत कुछ था उस स्कूल में। स्कूल की बिल्डिंग अपने आप में एक आर्किटेक्चरल नमूना थी। लेकिन असल में जो बात इसे सबसे अलग करती थी, वह थी इसके टीचर्स। वे स्कूल टीचर्स बनने के लिए ओवर-क्वालिफाइड थे। सिर्फ टीचिंग के पैशन की वजह से वहां पढ़ा रहे थे। हमारे व्यक्तित्व-निर्माण में स्कूल, कॉलेज की तुलना में कहीं बड़ा रोल प्ले करते हैं। यही वह समय होता है, जब दिमाग के कंप्यूटर में फर्मवेयर इंस्टाल होता है और आइफोन की तरह इसे अपग्रेड भी नहीं कर सकते।

जिंदगी संवार देता है अच्छा टीचर

मैं आपको अपने एक टीचर सुशील रॉय की कहानी सुनाता हूं। मैं बहुत कमजोर था। अंडरवेट था। इंग्लिश में भी कमजोर था। वह मुझे सुबह 4 बजे जगा देते थे। मेरे जैसे दो स्टूडेंट और थे। वे हमें एक मील तक दौड़ाते, योगा कराते और उसके बाद इंग्लिश पढ़ाते थे। कड़ाके की ठंड में भी यह रूटीन बंद नहीं हुआ। वे यह काम किसी स्वार्थ या फायदे की वजह से नहीं करते थे, बस उन्हें अच्छा लगता था।

करियर का पहला इंटरव्यू

करियर के पहले इंटरव्यू से कई दिन पहले ही मैंने अच्छे से तैयारी की थी। कंपनी के बारे में रिसर्च किया था। मैंने यह भी आकलन किया था कि मैं वहां कैसे बिजनेस डेवलप कर सकता हूं। मेरा इंटरव्यू करीब डेढ़ घंटे चला था। इस इंटरव्यू में देर तक इंटैलेक्चुअल डिस्कशन हुआ। मेरी मेहनत रंग लाई। अगर मैंने डिटेल होमवर्क नहीं किया होता, तो शायद उस डिस्कशन से खुद को जोड़ ही नहीं पाता।

मेरी पहली जॉब

मुझे पहली बार दो कंपनियों से जॉब ऑफर मिले-एक सिगरेट और दूसरी वाइन कंपनी। मैं उस समय काफी आदर्शवादी था। मैं खुद को सिगरेट-वाइन बेचने के लिए तैयार नहीं कर सका। फाइनली मैंने एक पब्लिशिंग हाउस के साथ जॉब करने का फैसला किया, जो इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेट डाटाबेस बिजनेस में इन्वॉल्व था। यह 1995 की बात है। मुझे पहले ही दिन ५०० रूक्च ॥ष्ठष्ठ और १६ रूक्च क्र्ररू वाला लैपटॉप मिला, लेकिन बिना इंटरनेट कनेक्शन का। मैंने फंडामेंटल एनालिसिस के लिए डाटा यूज, सेल्स और निगोशिएशन, रिलेशनशिप बिल्डिंग के गुर वहीं सीखे। उस जॉब ने मेरी लाइफ चेंज कर दी। मुझे ऐसे बॉस मिले, जिन्होंने मुझे बहुत अच्छी तरह ट्रेन किया।

कोई पढ़ाई बेकार नहीं जाती

दरअसल, मैं फिजिसिस्ट बनना चाहता था। इसीलिए मैंने इंजीनियरिंग या मेडिकल का फील्ड नहीं चुना। लेकिन कई बार लाइफ में आपको समझौते करने पड़ते हैं। मुझे भी यह अंदाजा नहीं था कि मुझे फिजिक्स छोडऩी पड़ेगी। ग्रेजुएशन करने के बाद अचानक मुझे पता चला कि मेरे पिताजी 2 साल में रिटायर हो जाएंगे। फिजिक्स की पढ़ाई में काफी लंबा वक्त लगता है। फिर मुझे मैनेजमेंट की पढा़ई करनी पड़ी। फस्र्ट सेमेस्टर के बाद से ही मैं इकोनॉमिक्स, ऑपरेशंस रिसर्च, स्टैटिस्टिक्स, इकोनोमेट्रिक्स की स्टडी को एंज्वॉय करने लगा। मैथ्स और फिजिक्स में मेरा इंट्रेस्ट काम आया। एब्सट्रैक्ट कॉन्सेप्ट्स को मैं इनकी वजह से ही स्किलफुली हैंडल करने लगा। जब मुझे लगने लगा कि मेरा दिमाग एक बिजनेसमैन की तरह चलता है, तो फिर मैं एक मैनेजर के रूप में काफी बेहतर करने लगा। अपने अनुभव के आधार पर मैं यही कहूंगा कि आपका इंट्रेस्ट या कोई भी पढ़ाई बेकार नहीं जाती है।

खुद को पहचानें

'थ्री इडियट्सÓ मूवी देखें। इससे लाइफ के प्रति मैसेज लेने की कोशिश करें। आप जो हैं, जो कर सकते हैं, वही बेहतर करने की कोशिश करें। खुद पर गर्व करें। अपनी क्वालिटीज को डेवलप करें। अपना एक सही वैल्यू सिस्टम डेवलप करें। इंपैथी, कंपेशन जैसी बेसिक क्वालिटीज पर काम करें। क्लासिक म्यूजिक की तरह खुद को हर दिन ग्रूम करते रहें।

डोंट मिस योर चांस

अगर आपने कोई अपॉच्र्युनिटी मिस कर दी, तो चिंता की कोई बात नहीं। लाइफ आपको दूसरा मौका भी देगी। लेकिन जब वह मौका आपके पास आए, तो आगे बढ़कर दोनों बाहों से उसे गले लगाएं, क्योंकि इसकेे बाद फिर मौका नहीं मिलने वाला। ज्यादातर महान लोगों ने पहली अपॉच्र्युनिटीज मिस हो जाने के बाद बहुत मेहनत की, रिस्क लेकर काम किया, ताकि दूसरा अवसर वेस्ट न जाए।

-एमबीए, सेंटर ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज,

वेस्ट बंगाल

-2000 में क्रिसिल में मैनेजर के रूप

में ज्वाइन किया

-2004 तक क्रिसिल में क्रिसिल रेटिंग्स

के डायरेक्टर, बिजनेस डेवलपमेंट

इंटरैक्शन : मिथिलेश श्रीवास्तव


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