Move to Jagran APP

लैंग्वेज इंटरप्रेटर की बढ़ती मांग

ग्लोबलाइजेशन के बाद लैंग्वेज इंटरप्रेटर की मांग तेजी से बढ़ी है। कैसे बना जा सकता है लैंग्वेज इंटरप्रेटर और किस तरह की स्किल्स की होती है इस फील्ड में डिमांड..? ग्लोबलाइजेशन के बाद करियर की बहुत-सी नई फील्ड डेवलप हुई है। भारत में भी बीते कुछ वर्र्षो में ऐसी फील्ड्स का तेजी से विका

By Edited By: Published: Wed, 21 May 2014 11:01 AM (IST)Updated: Wed, 21 May 2014 11:01 AM (IST)
लैंग्वेज इंटरप्रेटर की बढ़ती मांग

ग्लोबलाइजेशन के बाद लैंग्वेज इंटरप्रेटर की मांग तेजी से बढ़ी है। कैसे बना जा सकता है लैंग्वेज इंटरप्रेटर और किस तरह की स्किल्स की होती है इस फील्ड में डिमांड..?

loksabha election banner

ग्लोबलाइजेशन के बाद करियर की बहुत-सी नई फील्ड डेवलप हुई है। भारत में भी बीते कुछ वर्र्षो में ऐसी फील्ड्स का तेजी से विकास हुआ है, जैसे कि लैंग्वेज इंटरप्रेटर। लैंग्वेज इंटरप्रेटर की डिमांड आज प्राइवेट कंपनीज से लेकर गवर्नमेंट ऑर्गेनाइजेशंस में भी देखी जा रही हैं। इस फील्ड में आने वाले युवाओं को अच्छी सैलरी के साथ-साथ देश-विदेश घूमने का भी पूरा मौका मिलता है। कई मल्टीनेशनल कंपनीज में अलग से लैंग्वेज इंटरप्रेटर को हायर किया जाता है। जानकारों के मुताबिक, जैसे-जैसे फॉरेन कंपनीज का विस्तार भारत में होगा, लैंग्वेज इंटरप्रेटर की डिमांड बढ़ती जाएगी।

क्वालिफिकेशन ऐंड कोर्स

लैंग्वेज कोर्स 12वींया फिर ग्रेजुएशन के बाद भी किया जा सकता है। कई यूनिवर्सिटी और कॉलेज इस तरह के कोर्स ऑफर करते हैं..

-अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से परशियन लैंग्वेज में सर्टिफिकेट, बैचलर डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। -कर्नाटक यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जर्मन लैंग्वेज और परशियन लैंग्वेज में बैचलर और पीएचडी कर सकते हैं।

-बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से जर्मन, फ्रेंच और इटैलियन, रशियन, जैपनीज लैंग्वेज में डिप्लोमा, डिग्री और मास्टर्स कर सकते हैं।

-दिल्ली यूनिवर्सिटी से परशियन, पॉलिश, फ्रेंच, जर्मन, इटैलियन आदि में बैचलर डिग्री, मास्टर्स और पीएचडी कर सकते हैं।

-जेएनयू, दिल्ली से फ्रेंच, जर्मन, चाइनीज, स्पैनिश, जैपनीज लैंग्वेज में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, बैचलर और पीजी कोर्स कर सकते हैं।

स्किल्स

इंटरप्रेटर का काम महज डिग्री और डिप्लोमा से ही नहीं सीखा जा सकता है। इसके लिए निरंतर प्रैक्टिस और व्यापक नॉलेज की भी जरूरत पड़ती है। यह दो लैंग्वेज के बीच पुल का काम करता है। एक प्रोफेशनल इंटरप्रेटर के लिए कम से कम ग्रेजुएट होना जरूरी है। इंटरप्रेटर बनने के लिए कम से कम दो लैंग्वेज की अच्छी नॉलेज जरूरी है। उदाहरण के तौर पर इंग्लिश-हिंदी का इंटरप्रेटर बनना है, तो आपको दोनों लैंग्वेज की ग्रामर और सांस्कृतिक व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की नॉलेज होनी चाहिए।

वर्क एरिया

सक्सेसफुल इंटरप्रेटर अच्छा ट्रांसलेटर भी होता है। लैंग्वेज इंटरप्रेटर बनने के लिए सबसे पहले अपने आपको अनुवादक या ट्रांसलेटर के तौर पर इंस्टैब्लिश करना होता है। लैंग्वेज पर पूरी तरह से कमांड बहुत जरूरी है। बात चाहे विदेशी फिल्मों की हिंदी या दूसरी भाषा में डबिंग की हो, डेलिगेशन में लैंग्वेज को ट्रांसलेट करना हो या सीधे किताबों का अनुवाद करना हो, लैंग्वेज इंटरप्रेटर की जरूरत हर जगह होती है।

डिमांड

इंटरप्रेटर यानी द्विभाषिए की जरूरत कुछ समय पहले तक ज्यादा नहीं थी, लेकिन हाल के कुछ वषरें में इंटप्रेटर की जरूरत कई स्तरों पर पड़ने लगी है। सरकार में लोकसभा-राज्यसभा से लेकर विदेश मंत्रालय में इंटरप्रेटर की डिमांड काफी है। विदेश में जाने वाले कई डेलिगेशंस में मिनिस्टर्स अपने साथ इंटरप्रेटर को जरूर ले जाते हैं। खासतौर पर चीन और कई यूरोपीयन कंट्रीज, रूस आदि जाते समय इस बात का खास ख्याल रखा जाता है कि साथ में इंटरप्रेटर जरूर हों। विदेशी कंपनियों को किसी देश में व्यवसाय स्थापित करने या टूरिस्ट को भी इंटरप्रेटर की जरूरत पड़ती है।

इस फील्ड में शुरुआती दौर में प्रोफेशनल्स की सैलरी 15 से 20 हजार रुपये होती है। एक्सपीरियंस हासिल करने के बाद आपकी सैलरी 30-40 हजार रुपये आसानी से हो सकती है।

(जागरण फीचर)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.