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एक्टिव योर लीडरशिप

मैं आम मिडिल क्लास फैमिली से था। बात 1989 की है। 12वींपास कर चुका था। पिताजी पुलिस अफसर थे, जो रिटायर होने वाले थे। मुझे कोई बताने वाला नहींथा कि अब आगे क्या करना चाहिए। कुछ दोस्तों से सुना, कुछ दूसरों से सीखा। यही समझ में आया कि लाइफ में एक फॉलबैक ऑप्शन जरूर होना चाहिए, मेरे लिए यह ऑप्शन निकल कर आया

By Edited By: Published: Tue, 18 Mar 2014 04:11 PM (IST)Updated: Tue, 18 Mar 2014 04:11 PM (IST)
एक्टिव योर लीडरशिप

फॉलबैक ऑप्शन जरूरी

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मैं आम मिडिल क्लास फैमिली से था। बात 1989 की है। 12वींपास कर चुका था। पिताजी पुलिस अफसर थे, जो रिटायर होने वाले थे। मुझे कोई बताने वाला नहींथा कि अब आगे क्या करना चाहिए। कुछ दोस्तों से सुना, कुछ दूसरों से सीखा। यही समझ में आया कि लाइफ में एक फॉलबैक ऑप्शन जरूर होना चाहिए, मेरे लिए यह ऑप्शन निकल कर आया इंजीनियरिंग का।

काम ले जाता है आगे

आइएसएम धनबाद से इंजीनियरिंग करके एक स्वीडिश कंपनी एटलस कॉप्को ज्वाइन कर लिया। फिर मैंने देखा कि किसी भी कंपनी के लिए प्रोडक्शन से ज्यादा अहम है उसकी मार्केटिंग, इसलिए एफएमएस दिल्ली में एमबीए में एडमिशन लिया। उसके बाद करीब ढाई साल तकहाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स, माइनिंग, लेदर, फार्मास्युटिकल, टेक्सटाइल, ऑटोमोटिव हर फील्ड में खूब काम किया। यह मेहनत आगे चलकर बहुत काम आई।

जिम्मेदारियां लें और निभाएं

वर्ष 2004 में डीएचएल एक्सप्रेस ने सेल्स मैनेजर की पोस्ट ऑफर की। उन्हें कोई ऐसा चाहिए था, जो इंडस्ट्री की जुबान बोल सके। यहींमेरी पिछले 11 साल की मेहनत काम आई और मैंने कंपनी ज्वाइन कर ली। अब मैं इंडस्ट्रियल एटमॉस्फियर से सर्विस सेक्टर में आ गया था। इस सेक्टर में कस्टमर्स प्रोडक्ट तभी यूज करने लग जाते हैं, जब वह बन रहा होता है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। मैंने हर जिम्मेदारी को चुनौती की तरह स्वीकार किया। नतीजा सामने है।?

अपना लेवल बढ़ाएं

अगर जिंदगी में कुछ करना है, तो अपना लेवल बढ़ाना पड़ता है। अपना ही नहींअपने सबॉर्डिनेट्स को इसके लिए प्रेरित करना पड़ता है कि वे जितना कर सकते हैं, उससे ज्यादा डिलीवर करें। इसके लिए आपको उन सबकी जिंदगियों को करीब से फील करना पड़ता है। लीडर बनने के लिए आपको सबसे ज्यादा एफिशिएंट बनना पड़ता है। इसके साथ-साथ आपको सबको साथ लेकर चलने की क्वालिटी भी डेवलप करनी पड़ती है।

टीम परफॉर्र्मेस डिपेंड्स ऑन यू

मेरी टीम में करीब 300 लोग हैं। इनमें से 35 मैनेजर्स हैं। मैं रोज उनसे इंटरफेस नहीं कर पाता। वे 35 मैनेजर्स अपनी टीम के साथ मिलकर क्या कार्य कर रहे हैं, क्या आउटपुट दे रहे हैं, उसी से मेरा एक्टिव लीडरशिप स्कोर बनता है। हर टीम में मैनेजर किस तरह की टीम को कैसे लीड कर रहा है? काम को कैसे एग्जिक्यूट कर रहा है? इन सारी बातों पर टीम की परफॉर्र्मेस डिपेंड करती है। यह सब देखने की जिम्मेदारी मेरी होती है।

डेवलप योर एक्टिव लीडरशिप

टीम के जूनियर से जूनियर मेंबर का परफॉर्र्मेस भी मुझ पर डिपेंड करता है कि मैं कितना एक्टिव लीडर हूं, मैं कैसे अपनी टीम से काम लेता हूं, कैसे काम को डिस्ट्रीब्यूट करता हूं, कैसे सबकी कैपेसिटी के हिसाब से बेस्ट आउटपुट ले सकता हूं। कैसे सबके काम पर नजर रखता हूं।

अगर कोई ठीक से काम नहींकर पा रहा है, इसका मतलब केवल यही नहींहै कि उसमें कोई कमी है। इससे ज्यादा बड़ी वजह है कि आपमें एक्टिव लीडरशिप की कमी है।

वर्क सैटिस्फैक्शन जरूरी

हम कुछ ऐसा माहौल बनाएं कि जब एम्प्लायी अपना टारगेट अचीव कर लें, तो उन्हें अंदरूनी खुशी मिले। आपको अच्छी सैलरी मिल रही है, तो हो सकता है आप पूरी लाइफ वहींबिता दें, लेकिन आप रोज ऑफिस आएं और आपको काम में सैटिस्फैक्शन न मिले, तो आपकी जिंदगी थम जाती है। होना यह चाहिए कि जब आप काम करके घर जाएं, तो फील हो कि आज कुछ किया।

मोटिवेट योर कलीग्स

अच्छे लीडर का काम है अपनी टीम को मोटिवेट करना। अपने कलीग्स को एनकरेज करें। अगर उनमें दस खूबियां हैं और दो खामियां हैं, तो पहले खूबियां बताएं ताकि उनका कॉन्फिडेंस बढ़े। जिन एरियाज में वे कमजोर हैं, उन पर काम करें ताकि उनकी योग्यता भी बढ़े। तभी टीम बेस्ट परफॉर्र्मेस दे पाएगी, नहींतो आप बस कोसते रह जाएंगे और हाथ कुछ नहींआएगा।

ओपन कल्चर डेवलप करें

फ्रंटलाइन एक्जिक्यूटिव भी हैं वो हमे नाम से बुलाते हैं,.तो सबसे पहले तो यहीं बैरियर्स टूट जाता है। इससे आपके सबॉर्डिनेट्स आपसे कुछ भी खुलकर कह सकते हैं। थोड़ा बहुत तो हाइरार्की आ ही जाती है हर जगह, लेकिन डर निकल जाता है। केबिन भी है तो ग्लास ओपन है तो अच्छा कल्चर बन जाता है।

मार्केटिंग में यूथ का रोल

जेनरेशन गैप एक हकीकत है। जिस स्पीड से मेरे बच्चे मोबाइल यूज करते हैं उससे मैं नहीं कर सकता। आप सोच नहीं सकते कि चाय पी रहे ..यूथ का बहुत बड़ा रोल है कंपनी के लिए। आजकल कई सारी कंपनियां सोशल मीडिया पर ध्यान दे रही हैं। उनके जरिए मार्केट बना रही हैं अपना, लेकिन हम इतना एक्सपीरियंस होने के बाद भी सोच ही नहीं सकते। हमें अटपटा लगता है, फेसबुक पर चाय, कॉफी पीते हुए फोटो डाल देने से क्या मिल जाता है? हर जेनरेशन का बहुत बड़ा योगदान है हर कंपनी के प्लानिंग में। जेनरेशन गैप या दीवार कितनी छोटी हो सकती है ये देखना होगा।

हमारा एक प्रोडक्ट है यूनिवर्सिटी एक्सप्रेस.जब स्टूडेंट्स अब्राड अप्लाई करते हैं. एक छात्र 8-10 अप्लीकेशन भेजता है। उसके बाद उन्हें वहां से आई-20 फॉर्म भेजती है, वहां से वो उन्हें मंगाना पड़ता है।फिर वो प्लानिंग शुरू कर देता है।

हमें देखना होगा कि यूथ कहां-कहां है? वो क्या चाहता है? जाहिर है फेसबुक पर यूथ हमारा प्रोडक्ट खरीदने के लिए तो है नहीं। और सिंपली हम ये कह कर भी उसे अट्रैक्ट नहीं कर सकते कि हमारा यूनिवर्सिटी एक्सप्रेस है, उसे यूज करो। तो हम उन्हें एक ऐसा प्लेटफॉर्म देते हैं जिसके जरिए वो उन स्टूडेंट्स से बात कर सकते हैं ऑल रेडी अब्रॉड जा चुके हैं।

संदीप जुनेजा

वीपी, डीएचएल एक्सप्रेस

वीपी स्पीक

माइ गुरु

मेरे पैरेंट्स, मेरी फैमिली, मेरे दोस्त, मैं हर किसी से सीखता हूं।

माइ फ‌र्स्ट जॉब

सेल्स मैनेजर, स्वीडिश कंपनी एटलस कॉप्को

फ‌र्स्ट प्रोफेशनल हैप्पी मोमेंट

जब दूसरी बार मैंने ऑर्डर बुक किया और सौ फीसदी पेमेंट लेकर आया।

फ‌र्स्ट प्रोफेशनल सैड मोमेंट

जब मैं अपने पहले ऑर्डर की पेमेंट नहीं ले पाया।

मैसेज टू यूथ

क्या करें

-आगे बढ़कर खुद से सीखें।

-किसी काम को छोटा न समझें।

-शुरुआत हमेशा छोटे से होती है।

-कोई भी मेहनत बेकार नहींजाती।

-हर दिन पहले से बेहतर करें।

-अपने काम के प्रति ईमानदार बनें।

-टारगेट सेट करें और अचीव करें।

-पॉजिटिव अप्रोच रखें और खुश रहें।

क्या न करें

-न खुद निराश हों, न दूसरों को करें।

-निगेटिव अप्रोच से दूर रहें।

-किसी भी जिम्मेदारी से न भागें।

-दूसरों को हर वक्त डिसकरेज न करें।

इंटरैक्शन : मिथिलेश श्रीवास्तव


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