बिजनेस में सक्सेस की चाबी
बिजनेस वर्ल्ड में कलीग्स, क्लाइंट्स या कस्टमर्स से अच्छे रिलेशन काफी मायने रखते हैं, क्योंकि इन्हींलोगों से सक्सेस या फैल्योर तय होती है। आप भी कामयाब होना चाहते हैं, तो कुछ बेसिक बिजनेस एटिकेट्स को फॉलो कर सकते हैं..
बिजनेस मीटिंग का पॉजिटिव रिजल्ट या आउटपुट निकलने से क्लाइंट्स के साथ-साथ आपकी खुद की इमेज और रेपुटेशन भी स्टैब्लिश होती है। मीटिंग में आप प्रोफेशनल एटिट्यूड और मैनर से इंप्रेशन जमा सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि अपनी स्किल्स को अपडेट करते रहें। साथ ही, जब कभी किसी इंपॉर्र्टेट मीटिंग में जाएं, तो कुछ बेसिक बिजनेस एटिकेट्स को फॉलो करना बिल्कुल न भूलें, क्योंकि यही निगेटिव इफेक्ट्स से बचाने का काम करती हैं।
टाइम से पहुंचें
परफेक्ट लीडर वही है जो टाइम से मीटिंग प्लेस पर पहुंचे। दरअसल, प्रोफेशनल मीटिंग की टाइमिंग और जगह पहले से डिसाइड होती है। इसलिए सीनियर हो या जूनियर, सभी को टाइम का पूरा ध्यान रखना चाहिए। मीटिंग में लेट पहुंचने वालों को लापरवाह मान लिया जाता है। अगर आप मीटिंग होस्ट कर रहे हों, तो प्रोटोकॉल के हिसाब से टाइम पर पहुंचना और भी जरूरी हो जाता है।
प्रॉपर इंट्रोडक्शन
बिजनेस मीटिंग में इंट्रोडक्शन का रोल काफी महत्वपूर्ण होता है, इसलिए सबसे पहले हाइएस्ट रैंक या फिर सीनियर मोस्ट पर्सन को अपना परिचय दें। परिचय देते समय, चेहरे पर मुस्कराहट और शालीनता दोनों होनी चाहिए। इसके अलावा, जब किसी मीटिंग में पहुंचें, तो गेस्ट्स और बिजनेस पार्टनर्स को सिविल मैनर में ग्रीट करें। उनसे हैंडशेक करें। अपना बिजनेस कार्ड दें और उनसे बिजनेस कार्ड लें, इससे अच्छा प्रभाव पडेगा।
सिटिंग पोजीशन
बिजनेस मीटिंग में बैठने की जगह हैरारकी के अनुसार ही सेलेक्ट करें। सीनियर्स के बैठने के बाद ही बैठें। मीटिंग को लीड करने वाले सदस्य की पोजीशन टेबल हेड के पास होनी चाहिए। इसी तरह मीटिंग में शामिल सभी इंपॉर्र्टेट क्लाइंट्स या कस्टमर्स के लिए भी पावर सीट रिजर्व होनी चाहिए। मीटिंग खत्म होने पर उठते समय भी आपको इसी इथिक्स का पालन करना है। इस तरह का मैनर प्रोफेशनल मीट में अच्छा माना जाता है।
पहले सुनें, फिर रखें बात
प्रोफेशनल मीटिंग में आपको अपनी बात भी रखनी है और दूसरों को सुनना भी है। इसलिए जब कोई दूसरा बोल रहा हो और अगर आप उनकी कुछ बातों से सहमत नहीं हैं, तो उसे नोटपैड पर लिख लें। किसी को बोलते समय बीच में न टोकें। किसी मुद्दे पर अगर किसी से डिबेट होती है, तो इसमें भी लैंग्वेज और टोन पूरी तरह कंट्रोल में होनी चाहिए। प्रेजेंटेशन देते समय या डिबेट के समय भाषा पर पूरा कंट्रोल है, तो लोग आपकी बात को ज्यादा गौर से सुनेंगे।
कॉन्संट्रेशन इंपॉर्र्टेट
मीटिंग में स्पीकर्स को ध्यान से सुनने का धैर्य होना चाहिए। इसके बाद अगर सवाल-जवाब का सेशन होता है, तो गौर करें कि किसने क्या कहा है और उसके पीछे उन्होंने क्या लॉजिक दिए हैं? जब यह क्लीयर हो जाए, तभी उससे रिलेटेड कोई भी क्वैश्चन मीटिंग में करें। इससे आपका इंप्रेशन भी जमेगा और मीटिंग में मौजूद बाकी लोग आपको हल्के में भी नहीं लेंगे।
प्रोफेशनल मीटिंग में कई बार मोबाइल पर आई कॉल्स डिस्टर्ब करती हैं। कई बडे कॉरपोरेट हाउसेज की मीटिंग में तो स्ट्रिक्टली मोबाइल न ले जाने का निर्देश दिया जाता है। मीटिंग में अगर मोबाइल ले जा रहे हैं, तो उसे स्विच ऑफ कर दें या साइलेंट मोड पर रखें। मीटिंग के दौरान मोबाइल को टेबल पर रखना या हाथ में पकडे रहना भी प्रोफेशनल एटिकेट्स के खिलाफ माना जाता है।
एजेंडे पर फोकस
प्रोफेशनल मीटिंग का एजेंडा पहले से तय रहता है। ऐसे में यह मीटिंग कंडक्ट करने वाले की रिस्पॉन्सिबिलिटी बनती है कि वह मीटिंग में शामिल किसी को भी एजेंडे से भटकने न दें। जब ऐसा होगा, तभी मीटिंग इफेक्टिव हो पाएगी। जो लोग अपनी बातें रखना चाहते हैं, उन्हें पहले से टु द प्वॉइंट तैयारी करनी चाहिए। अपनी बात को स्ट्रॉन्ग टैग लाइन के साथ शुरू करें। साथ ही, मीटिंग की प्रॉसीडिंग्स की रिकॉर्रि्डग और डॉक्युमेंटेशन के बाद उसे सदस्यों के बीच बांटना भी बिजनेस एटिकेट्स का हिस्सा है। इस तरह के सिंपल बिजनेस एटिकेट्स इमेज पर खासा असर डालते हैं।
शरद अग्निहोत्री