Insurance Underwriter करियर विद नो रिस्क
फाइनेंस और अकाउंटिंग में दिलचस्पी रखते हैं, तो इंश्योरेंस सेक्टर में स्पेशलाइज्ड अंडरराइटर बनकर रिस्क फ्री करियर बना सकते हैं..
रिसेशन और अनिश्चितता के माहौल में अगर कोई ऐसा करियर ऑप्शन मिले, जहां कम से कम रिस्क हो, तो कौन उसमें हाथ नहींआजमाना चाहेगा। खासकर तब, जब वह फाइनेंस या अकाउंटिंग में दिलचस्पी रखता हो। ऐसे लोगों के लिए इंश्योरेंस अंडरराइटर्स बनकर फाइनेंस सेक्टर में खुद को स्टैब्लिश करने के काफी मौके हैं, क्योंकि इंश्योरेंस आज हर किसी की जरूरत बन चुका है।
वर्क रिस्पॉन्सिबिलिटीज
अंडरराइटर क्लाइंट या कंपनी के रिस्क मैनेजमेंट के अलावा, इंश्योरेंस प्रपोजल्स की स्टडी करता है, उनका बैकग्राउंड इंफॉर्मेशन इकट्ठा करता है और उनके एप्लीकेशंस को एक्सेप्ट या रिजेक्ट करता है। इंश्योरेंस पॉलिसी को रिव्यू और प्रीमियम फिक्स करने की जिम्मेदारी भी इन्हींकी होती है, यानी एक इंश्योरेंस कंपनी को पॉलिसी होल्डर से कितना चार्ज करना चाहिए, यह अंडरराइटर ही तय करता है। कह सकते हैं कि वह कंपनी और पॉलिसी होल्डर के बीच मीडिएटर का काम करता है। इंश्योरेंस कवरेज को रिन्यू करने या नया कवर लेने में वह इंडिविजुअल्स और कंपनीज दोनों की मदद करता है।
बेसिक स्किल्स
अगर आप अपनी बात दमदार तरीके से रख सकते हैं, बेहतरीन कम्युनिकेशन और इंटरपर्सनल स्किल्स के साथ कंप्यूटर की अच्छी नॉलेज रखते हैं, तो अंडरराइटर के रूप में करियर का आगाज कर सकते हैं। कई बार अंडरराइटर को अचानक फैसले लेने पडते हैं। इसके लिए एनालिटिकल और डिसीजन मेकिंग स्किल्स जरूरी हैं। साथ ही, उनका मैथ्स भी स्ट्रॉन्ग होना चाहिए, क्योंकि पूरा काम ही रिस्क और प्रीमियम के कैलकुलेशन से जुडा होता है। उनमें जजमेंट कैपेबिलिटी भी होनी चाहिए।
ग्रोथ ऑप्शंस
अंडरराइटर के रूप में आपको कई एरियाज में काम करने के मौके मिल सकते हैं, जैसे- लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस, मॉर्टगेज इंश्योरेंस और प्रॉपर्टी इंश्योरेंस। इसके अलावा ऑटो, लोन, कॉमर्शियल, फार्म और ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस के क्षेत्र में भी अंडरराइटर के रूप में ग्रोथ के अच्छे ऑप्शंस हैं। वैसे, जो लोग मेडिकल अंडरराइटर बनना चाहते हैं, उनके लिए मेडिकल बैकग्राउंड का होना इंपॉर्र्टेट है।
कोर्स ऐंड इंस्टीट्यूट्स
इंश्योरेंस कंपनीज में अंडरराइटर के तौर पर काम करने के लिए फाइनेंस और बिजनेस एडिमिस्ट्रेशन में ग्रेजुएट होना जरूरी है। इसके साथ अगर अकाउंटिंग में स्पेशलाइजेशन हो, तो और भी बेहतर रहेगा। चाहें तो मैनेजमेंट ऐंड मार्केटिंग इंश्योरेंस या इंश्योरेंस ऐंड रिस्क मैनेजमेंट में बीए कर सकते हैं। किसी भी स्ट्रीम में ग्रेजुएट कैंडिडेट्स इंश्योरेंस अंडरराइटर के तौर पर काम कर सकते हैं। इंडिया में कई इंस्टीट्यूट्स और यूनिवर्सिटीज हैं, जहां से आप कोर्स कर सकते हैं :
-एशिया पैसिफिक इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, दिल्ली
-बिडला इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी, ग्रेटर नोएडा
-गुरुनानक कॉलेज ऑफ आर्ट्स, साइंस ऐंड कॉमर्स, मुंबई
-एस.एस.इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, लखनऊ
-एपीजे इंस्टीट्यूज ऑफ मैनेजमेंट, जालंधर
इस फील्ड में मौके अनेक
इंडिया में अंडरराइटर की फील्ड नई है, लेकिन इसमें ग्रोथ के काफी मौके हैं। फाइनेंस और कॉमर्स के अलावा, मेडिकल बैकग्राउंड से आने वाले प्रोफेशनल्स ट्रेडिशनल जॉब न करके, मेडिकल अंडरराइटर बनकर अच्छा अर्न कर सकते हैं। इसके लिए बेसिक क्वॉलिफिकेशन के साथ मैथमैटिकल और एनालिटिकल स्किल होने से फायदा मिलेगा।
डॉ. देबाशीष
मेडिकल अंडरराइटर, अपोलो म्यूनिख,नई दिल्ली
इंटरैक्शन : अंशु सिंह