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मनी का मैनेजर

दीपक गुड़गांव की मल्टीनेशनल कंपनी में कार्य करता है। उसकी सैलरी भी अच्छी है, लेकिन आज भी उसके पास न तो गाड़ी और न सेविंग्स, न ही वह इस शहर में अपने लिए घर बुक करा पाया है। वह हर वक्त यही कहता है कि उसके पास पैसे नहींहैं। दरअसल, ऐसी ही स्थिति में जरूरत होती है फाइनेंशियल प्लानर की, जो न सिर्फ आपके पैसे के सही मैनेजमेंट के बारे में बताते हैं, बल्कि आपका जो फ्यूचर गोल है, उसे पूरा करने में मदद भी करते हैं।

By Edited By: Published: Wed, 11 Dec 2013 05:20 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2013 05:20 PM (IST)
मनी का मैनेजर

दीपक गुडगांव की मल्टीनेशनल कंपनी में कार्य करता है। उसकी सैलरी भी अच्छी है, लेकिन आज भी उसके पास न तो गाडी और न सेविंग्स, न ही वह इस शहर में अपने लिए घर बुक करा पाया है। वह हर वक्त यही कहता है कि उसके पास पैसे नहींहैं। दरअसल, ऐसी ही स्थिति में जरूरत होती है फाइनेंशियल प्लानर की, जो न सिर्फ आपके पैसे के सही मैनेजमेंट के बारे में बताते हैं, बल्कि आपका जो फ्यूचर गोल है, उसे पूरा करने में मदद भी करते हैं। आज करियर के लिहाज से फाइनेंशियल प्लानिंग एक बेहतरीन करियर ऑप्शन हो सकता है। एक सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 में ही फाइनेंशियल प्लानर को टॉप पांच प्रोफेशन में शामिल किया गया था। इस प्रोफेशन में ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत लगातार बढ रही है।

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क्या करते हैं प्लानर? आजकल हर कोई चाहता है कि उसकी फाइनेंशियल इनवेस्टमेंट पर अच्छा रिटर्न मिले। इसके लिए वे अपना पैसा प्रॉपर्टी, शेयर मार्केट, म्यूचुअल फंड, गोल्ड आदि में इनवेस्ट करते हैं। कई बार इस पर अच्छा रिटर्न मिलता है, तो कभी-कभी पैसा डूबने का डर भी होता है। लेकिन फाइनेंशियल प्लानर और पर्सनल फाइनेंशियल एडवाइजर इनवेस्टमेंट के बारे में एनालिसिस कर सही गाइडेंस प्रदान करते हैं। फाइनेंशियल प्लानर्स या एडवाइजर अपनी नॉलेज का इस्तेमाल करते हुए लोगों को इनवेस्टमेंट, टैक्स लॉ और इंश्योरेंस से संबंधित इकोनॉमिक ऑप्शंस के बारे में जानकारी देते हैं। वे शॉर्ट और लॉन्ग टर्म फाइनेंशियल लक्ष्य की पहचान कर उसे हासिल करने के उपाय के बारे में बताते हैं। इसके अलावा, प्लानर अपने क्लाइंट को रिटायरमेंट के साथ-साथ बच्चों के कॉलेज एजुकेशन की फंडिंग और जनरल इनवेस्टमेंट च्वाइस के बारे में भी सलाह देते हैं। दरअसल, फाइनेंशियल प्लानिंग पूरी तरह पैसे के मैनेजमेंट से जुडा हुआ है। इसके तहत बजटिंग, टैक्स प्लानिंग, इंश्योरेंस, रिटायरमेंट और लक्ष्य से जुडी प्लानिंग होती है। फाइनेंशियल प्लानिंग के दौरान आप यह जान सकते हैं कि कैसे आपका हर फाइनेंशियल डिसीजन आपको प्रभावित कर सकता है।

कैसे करें एंट्री फाइनेंस, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, अकाउंटिंग, इकोनॉमिक्स आदि से स्नातक करने वाले स्टूडेंट्स फाइनेंशियल प्लानर के रूप में करियर बना सकते हैं। इसके अलावा, फाइनेंशियल प्लानिंग स्टैंडर्ड बोर्ड ऑफ इंडिया से सर्टिफिकेशन हासिल करने के बाद आप सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर बन सकते हैं। फाइनेंशियल फ्लानिंग स्टैंडर्ड बोर्ड (एफपीएसबी) इंडिया पब्लिक-प्राइवेट इंटरप्राइज है। फाइनेंशियल प्लानर बनने के लिए सीएफपी सर्टिफिकेशन दुनिया भर में मान्य है। इस सर्टिफिकेशन को हासिल करने के बाद या तो आप इंडिविजुअल फाइनेंशियल प्लानर का कार्य शुरू सकते हैं या फिर किसी भी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट में आप जॉब करने के योग्य हो जाते हैं। एमबीए और अकाउंटिंग क्षेत्र से जुडे प्रोफेशनल्स भी अपनी स्किल को अपडेट कर फाइनेंशियल प्लानर बन सकते हैं। इस फील्ड के लिए मैथमेटिकल स्किल के साथ अच्छी एनालिटिकल और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल बेहद जरूरी है। इसके साथ-साथ जो सबसे जरूरी स्किल है, वह है सेल्स एबिलिटी। इसके अलावा, क्लाइंट के साथ सहज होना भी बेहद जरूरी है। आसान शब्दों में क्लाइंट को फाइनेंशियल कॉन्सेप्ट के बारे में बताने के साथ-साथ अकाउंटिंग, ऑडिटिंग, इंश्योरेंस सेल्स और ब्रोकिंग की नॉलेज जरूरी है। आमतौर पर पर्सनल फाइनेंस एडवाइजर कई लोगों के साथ मिल कर काम करते हैं।

जॉब ऑप्शंस भारत की जनसंख्या करीब सवा अरब की है, लेकिन अभी भी यहां सर्टिफाइडफाइनेंशियल प्लानर बहुत कम हैं। फाइनेंशियल एक्सप‌र्ट्स के मुताबिक, भारत में अभी भी छह लाख लोगों पर एक फाइनेंशियल प्लानर है, जबकि अमेरिका जैसी कंट्री में एक लाख लोगों पर एक फाइनेंशियल प्लानर है। आज फाइनेंशियल प्लानर के लिए अवसरों की कमी नहीं है। वे अपना खुद का कारोबार शुरू कर सकते हैं या फिर किसी प्लानर के साथ जुडकर भी यह कार्य किया जा सकता है। इसके अलावा, वे प्लानर के रूप में बैंक, इंश्योरेंस कंपनीज, अकाउंटिंग, लॉ और ब्रोकरेज फर्म में काम कर सकते हैं। साथ ही, उनके पास टीचिंग का स्कोप भी होता है। फाइनेंशियल रिसोर्स को मैनेज करने के लिए फाइनेंशियल प्लानर की डिमांड फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में बहुत ज्यादा है।

सैलरी पैकेज इस फील्ड में फ्रेशर्स के रूप में करियर की शुरुआत करने पर 15-20 हजार रुपये सैलरी प्रति माह मिल सकती है। हालांकि सैलरी ऑर्गेनाइजेशन पर भी निर्भर करती है। अगर आप कुछ वर्षो का एक्सपीरियंस हासिल कर लेते हैं, तो आपकी सैलरी लाखों में हो सकती है। इसके अलावा, आप इंडिविजुअल प्रोफेशनल के रूप में भी काम कर सकते हैं।

(अर्थयंत्रा डॉट कॉम के सीइओ और फाउंडर नितिन व्याकरणम से बातचीत पर आधारित)


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