इनोवेशन विद फ्री एनर्जी
25 साल की उम्र। रिस्क लेकर सैलरी के सहारे वेंचर स्टार्ट किया, ताकि सोसायटी को कुछ इनोवेटिव और क्रिएटिव दे सकें..
इंजीनियरिंग करके वे किसी बडी कंपनी में आराम की जॉब कर सकते थे, लेकिन डिग्री लेने से पहले ही कॉलेज छोड दिया। फ्री और ग्रीन एनर्जी बेस्ड (जिससे पॉल्यूशन न हो और एनर्जी कंजम्पशन भी कम हो) लाइटिंग प्रोजेक्ट्स पर काम करने लगे। साल 2012 में इन्होंने प्रिंस एनर्जी, कंसल्टेंसी ऐंड सॉल्यूशन नाम से खुद का वेंचर शुरू कर दिया। आज ये वन मैन आर्मी की तरह लोगों को लाइटिंग के बारे में जानकारी देने के साथ ही उन्हें कॉस्ट और एनर्जी इफिशिएंट लाइटिंग प्रोडक्ट्स प्रोवाइड करा रहे हैं।
इंटर्नशिप बनी टर्निंग प्वाइंट
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के रहने वाले प्रिंस ने पंजाब के रोपड स्थित स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग ऐंड टेक्नोलॉजी में इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। चार साल पढाई भी की, लेकिन 2009 में फाइनल डिग्री लेने से पहले ही कॉलेज छोड दिया। प्रिंस कहते हैं कि पढाई के दौरान उन्हें गुडगांव की एक इंजीनियरिंग कंपनी में इंटर्नशिप का मौका मिला था। वहींउन्हें फील हुआ कि इंजीनियरिंग की डिग्री लेने से कुछ नहीं होता है। आप सोसायटी के लिए क्या इनोवेटिव कर सकते हैं, जिससे कि उसे फायदा हो, ये इंपॉटर्ेंट है। प्रिंस को लगा कि आज हर सेक्टर में एनर्जी की खपत काफी बढ गई है, वह महंगी भी हो गई है, इसलिए उन्होंने सोलर एनर्जी और एलइडी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से कुछ नया करने का फैसला किया।
एंटरप्रेन्योर विद इनोवेटिव माइंड
अमूमन लोग इंडोर प्लांट्स की लाइटिंग के लिए फ्लोरेसेंट या सीएफएल का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इनसे लाइट के साथ-साथ हीट भी ज्यादा निकलती है और इनकी लाइफ भी अमूमन कम होती है। प्रिंस ने इसी को ध्यान में रखते हुए एलइडी ग्रो लाइट्स डिजाइन कीं। इसमें एनर्जी का ज्यादा कंजम्प्शन नहींहोता है और लाइफ भी 50 हजार घंटे से अधिक होती है। कह सकते हैं कि चार-पांच साल तक ये एलइडी लाइट्स आराम से चल सकती हैं। इससे आपको कभी अपने इंडोर प्लांट्स के ग्रोथ की चिंता भी नहींरहेगी। प्रिंस ने बताया कि जब जिस प्रोडक्ट की डिमांड आती है, उसे वे पूरा करते हैं। जैसे एलइडी बल्ब्स, ट्यूब लाइट्स, सीलिंग लाइट्स, सोलर एलइडी लैंटर्न्स, सोलर एलइडी मोबाइल चार्जर्स और दूसरी कई इनोवेटिव चीजें वे बनाते हैं। इसके अलावा ये इंडिया और यूएस के कस्टमर्स को एलइडी लाइटिंग सॉल्यूशन भी प्रोवाइड कराते हैं।
यूज ऑफ एलइडी टेक्नोलॉजी
प्रिंस ने बताया कि लाइट एमिटिंग डायोड यानी एलइडी एक सेमीकंडक्टर डिवाइस होता है, जिसमें करंट (पॉवर) फ्लो होने पर वह जलने लगता है। अगर एलइडी को ठीक ढंग से किसी प्रोडक्ट में यूज किया जाए, तो इससे 50 से 70 परसेंट तक एनर्जी सेव हो सकती है। प्रिंस कहते हैं कि वे कस्टमर की जरूरत को देखते हुए उनकी लाइटिंग नीड्स को पूरा करते हैं। वैसे, हॉर्टीकल्चर लाइटिंग पर इनका खासा फोकस है। इसके तहत वे एलइडी ग्रो लाइट्स कस्टमर्स को प्रोवाइड कराते हैं। ये एक आर्टिफिशियल सोर्स ऑफ लाइट है, जिससे प्लांट्स की फोटोसिंथेसिस प्रक्रिया में मदद मिलती है। प्रिंस बताते हैं कि एलइडी से लंबे समय तक ब्राइट ग्रो लाइट्स निकलती हैं। इसे पौधे के करीब रखा जा सकता है क्योंकि इससे उनसे ट्रांसपिरेशन कम होता है और उन्हें लंबे टाइम तक पानी की जरूरत नहीं पडती है।
फ्यूचर प्लानिंग
प्रिंस अपने बिजनेस को एक्सपैंड करना चाहते हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इनके प्रोडक्ट्स पहुंचें और फ्री एनर्जी के बेनिफिट्स सभी को मिल सकें। इसके लिए फिलहाल वे एक मार्केटिंग टीम बनाने की प्लानिंग कर रहे हैं, साथ ही सिटीज के अलावा प्रिंस रूरल एरियाज में किसानों के बीच अपनी पहुंच बनाने की भी कोशिश कर रहे हैं।
इंटरैक्शन : अंशु सिंह