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Genetic Counsellor डिकोडिंग द डिसऑर्डर

डॉक्टर न सही, काउंसलर बनकर अगर किसी की प्रॉब्लम को सॉल्व कर सकें, तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। जेनेटिक काउंसलिंग ऐसा ही एक सेक्टर है, जहां साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंट्स के लिए नई अपॉच्र्युनिटीज बन रही हैं..

By Edited By: Published: Wed, 09 Oct 2013 11:09 AM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2013 12:00 AM (IST)
Genetic Counsellor डिकोडिंग द डिसऑर्डर

ह्यूमन बॉडी में मौजूद क्रोमोजोम्स में करीब 25 से 35 हजार के बीच जीन्स होते हैं। कई बार इन जीन्स का प्रॉपर डिस्ट्रीब्यूशन बॉडी में नहीं होता है, जिससे थैलेसेमिया, हीमोफीलिया, मस्कुलर डिस्ट्रॉफी, क्लेफ्ट लिप पैलेट, न्यूरोडिजेनेरैटिव जैसी एबनॉर्मलिटीज या हेरेडिटरी प्रॉब्लम्स हो सकती है। इससे निपटने के लिए हेल्थ सेक्टर में ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट और दूसरे इनेशिएटिव्स लिए जा रहे हैं, जिसे देखते हुए जेनेटिक काउंसलिंग का रोल आज काफी बढ गया है। अब जो लोग इसमें करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए स्कोप कहीं ज्यादा हो गए हैं।

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जॉब आउटलुक

एक अनुमान के अनुसार, करीब 5 परसेंट आबादी में किसी न किसी तरह का इनहेरेटेड डिसऑर्डर पाया जाता है। ये ऐसे डिसऑर्डर्स होते हैं, जिनका पता शुरुआत में नहीं चल पाता है, लेकिन एक जेनेटिक काउंसलर बता सकता है कि आपमें इस तरह के प्रॉब्लम होने की कितनी गुंजाइश है। काउंसलर पेशेंट की फैमिली हिस्ट्री की स्टडी कर इनहेरेटेंस पैटर्न का पता लगाते हैं। वे फैमिली मेंबर्स को इमोशनल और साइकोलॉजिकल सपोर्ट भी देते हैं।

स्किल्स रिक्वायर्ड

जेनेटिक काउंसलिंग के लिए सबसे इंपॉर्टेट स्किल है कम्युनिकेशन। इसके अलावा, कॉम्पि्लकेटेड सिचुएशंस से डील करने का पेशेंस। एक काउंसलर का नॉन-जजमेंटल होना भी जरूरी है, ताकि सब कुछ जानने के बाद मरीज अपना डिसीजन खुद ले सके। उन्हें पेशेंट के साथ ट्रस्ट बिल्ड करना होगा।

करियर अपॉच्र्युनिटीज

अगर इस फील्ड में ऑप्शंस की बात करें, तो हॉस्पिटल में जॉब के अलावा प्राइवेट प्रैक्टिस या इंडिपेंडेंट कंसलटेंट के तौर पर काम कर सकते हैं। इसी तरह डायग्नॉस्टिक लेबोरेटरीज में ये फिजीशियन और लैब के बीच मीडिएटर का रोल निभा सकते हैं। कंपनीज को एडवाइज देने के साथ टीचिंग में भी हाथ आजमा सकते हैं। वहीं, जेनेटिक रिसर्च प्रोजेक्ट्स में स्टडी को-ओर्डिनेटर के तौर पर काम कर सकते हैं। बायोटेक और फार्मा इंडस्ट्री में भी काफी मौके हैं।

क्वॉलिफिकेशन

जेनेटिक काउंसलर बनने के लिए बायोलॉजी, जेनेटिक्स और साइकोलॉजी में अंडरग्रेजुएट की डिग्री के साथ-साथ लाइफ साइंस या जेनेटिक काउंसलिंग में एमएससी या एमटेक की डिग्री होना जरूरी है।

सैलरी

जेनेटिक काउंसलिंग के फील्ड में फाइनेंशियल स्टेबिलिटी भी पूरी है। हालांकि जॉब प्रोफाइल और सेक्टर के मुताबिक सैलरी वैरी करती है। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाला प्रोफेशनल महीने में 50 हजार रुपये तक अर्न कर सकता है, जबकि गवर्नमेंट डिपार्टमेंट में काम करने वाले महीने में 25 से 40 हजार के बीच अर्न कर सकते हैं।

ट्रेनिंग

-गुरुनानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर

-कामिनेनी इंस्टीट्यूट, हैदराबाद

-संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट, लखनऊ

-सेंट जॉन्स मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु

-महात्मा गांधी मिशन, औरंगाबाद

-जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली

-सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली

एक्सपर्ट बाइट

जेनेटिक काउंसलिंग इंडिया में काफी तेजी से पॉपुलर हो रहा है। एप्लीकेशन के नजरिए से इसमें बहुत स्कोप है। नई लेबोरेटरीज खुल रही हैं, जिनके लिए जेनेटिक काउंसलर्स की काफी डिमांड है। वैसे, ट्रेडिशनल हॉस्पिटल्स के अलावा फार्मा कंपनीज में, कॉरपोरेट एनवॉयरनमेंट के बीच काम करने के पूरे मौके मिलते हैं। अब तक मेडिकल प्रोफेशन से जुडे स्टूडेंट्स ही इसमें आते थे, लेकिन अब नॉन-मेडिकल स्टूडेंट्स भी आ रहे हैं।

डॉ. आई.सी. वर्मा

हेड, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल जेनेटिक्स सर गंगाराम हॉस्पिटल, नई दिल्ली

इंटरैक्शन : अंशु सिंह


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