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एंथ्रेक्स से बचाव की दी गई जानकारी

जासं, सिमडेगा : ठेठईटांगर प्रखंड के जोराम विद्यालय में शुक्रवार को एंथ्रेक्स बीमारी पर जागरूकता शिवि

By Edited By: Published: Fri, 12 Jun 2015 08:32 PM (IST)Updated: Fri, 12 Jun 2015 08:32 PM (IST)
एंथ्रेक्स से बचाव की दी गई जानकारी

जासं, सिमडेगा : ठेठईटांगर प्रखंड के जोराम विद्यालय में शुक्रवार को एंथ्रेक्स बीमारी पर जागरूकता शिविर लगाया गया। इस दौरान छात्र-छात्राओं के साथ शिक्षकों को भी इस बीमारी के बारे में जानकारी दी गई। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने बताया कि किसी भी जानवर की अचानक मृत्यु होने के बाद यदि उसके मुंह, नाक या मलद्वार से खून आता है तो यह जानवर एंथ्रेक्स रोग से संक्रमित हो सकता है। जिसे किसी भी परिस्थिति में नग्न हाथों से नहीं छूना चाहिए। किसी भी जानवर की अचानक मृत्यु होने पर उसके मांस को हरगिज नहीं खाना चाहिए। बल्कि उस जानवर को बस्ती से दूर ले जाकर जला दें और जहां पर जानवर की मृत्यु हुई है वहां पुआल डालकर आग लगा देनी चाहिए। अगर जलाना संभव न हो तो जमीन में गहरा गड्ढा खोदकर मवेशी को उसमें दफन कर दें। मिट्टी के साथ चूना मिलाकर ढक देनी चाहिए।

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उन्होंने बताया कि किसी भी मवेशी के बीमार होने पर उसका इलाज अविलंब निकटतम पशु चिकित्सालय में कराना चाहिए। संक्रमित पशु को छूने, काटने, चमड़ा छिलने, मांस को धोने आदि से यह बीमारी मनुष्य को संक्रमित करता है। जिसके बाद संपर्क में आने वाले अंग में फोड़ा-फुंसी आदि लक्षण दिखाई देते है। इसके बाद इस बीमारी का जीवाणु खून के साथ शरीर के अन्य भागों में फैल जाता है। इससे मनुष्य में बुखार, उल्टी, पेट दर्द, छाती दर्द, बेचैनी आदि के लक्षण 3-4 दिनों में दिखने लगते हैं। समय पर इलाज न मिलने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति को हाथ, पैर में फोड़ा, फुंसी, घाव आदि हुआ है तो तुरंत सरकारी अस्पताल आकर इलाज कराएं। सरकारी अस्पताल में निश्शुल्क इलाज होता है।

बीडीओ हरि उरांव ने भी लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करने और किसी भी प्रकार की सूचना मिलने पर तुरंत पदाधिकारियों को सूचित करने की बात कही।

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जांच टीम कर रही दौरा

सिमडेगा : ठेठईटांगर प्रखंड के ताराबोगा में शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग के जांच टीम ने प्रभावित गांव पहुंचकर वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी ली। इस दौरान टीम के सदस्यों ने डोर टू डोर मिलकर ग्रामीणों की स्थिति से अवगत हुए। साथ ही, दी गई दवा को नियमित रूप से सेवन किए जाने के बारे में भी जानकारी ली। प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. दिनेश कुमार ने बताया माओवादी बंदी के कारण टीम को कार्य करने में परेशानी आ रही है। बावजूद वे लोग अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रहे हैं।


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