जिले में पांव पसार रही मलेरिया की बीमारी
सिमडेगा : राज्य के पिछड़े व समस्याग्रस्त जिले के रूप में चिह्नित सिमडेगा जिले में मलेरिया की बीमारी प
सिमडेगा : राज्य के पिछड़े व समस्याग्रस्त जिले के रूप में चिह्नित सिमडेगा जिले में मलेरिया की बीमारी पांव पसार रही है।
सरकारी व स्वास्थ्य विभाग की खास पहल के बाद भी मलेरिया पर पूर्ण रूप से नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। ज्ञात हो किपूरे जिले में इस वर्ष जनवरी से लेकर नवंबर तक कुल 5,065 लोग मलेरिया पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें पीएफ श्रेणी से सर्वाधिक 4354 व पीएफ श्रेणी के 711 मरीज शामिल हैं। कुल 90575 लोगों के रक्त का नमूना संग्रह किया गया था। संक्रमित कुल मरीजों में महिला 2484 व पुरुष 2581 हैं। वहीं विभागीय आंकड़े के मुताबिक दो लोगों की मौत मलेरिया से इस वर्ष हुई है। वैसे वास्तविकता इससे भिन्न है।
संक्रमित मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से होने वाली इस बीमारी की रोकथाम के लिए विभाग ने कई प्रयास किए हैं। दो वर्ष पूर्व मलेरिया पर नियंत्रण के लिए मच्छरदानी वितरित किए गए थे। क्षेत्र में कैंप लगाकर लोगों के रक्त का नमूना संग्रह किया गया था। साथ ही, डीडीटी दवा का छिड़काव, मलेरिया रोधी दवा आदि का वितरण किया गया था। इसका परिणाम यह रहा था कि गत पांच वर्षों में मलेरिया पर करीब 50 प्रतिशत नियंत्रण पा लिया गया था।
मालूम हो कि 2009 में 10178, 2010 में 11265, 2011 में 11103, 2012 में 8086 व 2013 में सबसे कम 5081 लोगों में मलेरिया पाया गया। 2013 के आंकड़े यह बताते हैं कि जिले में मलेरिया के मरीज जरूर कम हुए है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
इस वर्ष मलेरिया की रोकथाम संबंधी कार्य में अहम योगदान देने वाले एमपीडब्लू को 30 सितंबर से कार्य मुक्त कर दिया गया। जिला मलेरिया विभाग कर्मियों की कमी से जूझ रहा है। विभाग में मलेरिया सलाहकार समेत एमटीएस के 5 पद रिक्त हैं। विभाग प्रभार के भरोसे चल रहा है।
कोट
जिले की भौगोलिक स्थिति मच्छरों के लिए अनुकूल है। जहां मलेरिया होने की संभावना अधिक होती है। विभाग कर्मियों की समस्या से जूझ रहा है। सरकार के स्तर से एमपीडब्लू को हटा दिया गया है। इसके कारण भी मलेरिया की रोकथाम पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इस बार मच्छरदानी की आपूर्ति नहीं हुई है। आवंटन होते ही वितरण का कार्य किया जाएगा। : डॉ. विनोद उरांव, प्रभारी, जिला मलेरिया पदाधिकारी