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काजू की खेती से बहुरेंगे वन समितियों के दिन

साहिबगंज : काजू की खेती से वन समिति के सदस्यों के अच्छे दिन आएंगे। इसके लिए वन प्रमंडल विभाग ने तैया

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Jun 2017 01:04 AM (IST)Updated: Mon, 26 Jun 2017 01:04 AM (IST)
काजू की खेती से बहुरेंगे वन समितियों के दिन
काजू की खेती से बहुरेंगे वन समितियों के दिन

साहिबगंज : काजू की खेती से वन समिति के सदस्यों के अच्छे दिन आएंगे। इसके लिए वन प्रमंडल विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। विभाग ने नर्सरी में लगभग दस हजार काजू के पौधे तैयार किए हैं। वन समितियों के माध्यम से जिले के तीन प्रखंडों में लगाया जाएगा। इसके लिए विभाग ने जिले के बोरियो प्रखंड के बांझी जसायडी गांव, बरहेट प्रखंड के पतौड़ा गांव व तालझारी प्रखंड के मालीटोक गांव का चयन किया है जहां लगभग 15 एकड़ पथरीली भूमि पर काजू के पौधे लगाए जाएंगे। वन विभाग अपने तीन नर्सरियों में काजू का पौधा तैयार कर रही है। विभाग के अनुसार पेड़ बनने व फल देने में लगभग 5-6 साल का समय लगता है। एक पेड़ से एक साल में लगभग दस किलो तक काजू की पैदावार हो सकती है। कुछ एकड़ भूमि पर इसकी खेती कर सालाना पांच से दस लाख रुपए की आमदनी की जा सकती है। इसकी खेती के लिए वैसे पथरीली भूमि उपयोगी मानी जाती है, जो कृषि कार्य के लिए अनुपयोगी मानी जाती है। ऐसे में जिले के वैसे आदिवासी पहाड़िया व अन्य जाति के लोग इसका फायदा उठा सकते है, जिनके जमीन कृषि के लिए अनुपयोगी होने के कारण बेकार व परती पड़ी है। वन विभाग के अनुसार इसकी खेती के लिए फिलहाल वैसे गांव का चयन किया गया है, जहां पत्थर उत्खनन कार्य अधिक हो रहे हैं ताकि इसे एक मॉडल के तौर पर लोगों को दिखाया जा सके।

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कोटालपोखर में प्रयोग रहा था सफल : वन विभाग ने काजू की खेती को बढ़ावा देने के लिए जिले के बरहड़वा प्रखंड अतंर्गत कोटलपोखर मयूरकोला गांव में प्रयोग के तौर पर लगभग छह साल पहले सात हजार काजू का पौधा वन समितियों के माध्यम से लगवाया था। इसमें इस वर्ष पहली बार काजू का फल भी आया। इसी फल के बीज से इस बार तीन नर्सरी में वन विभाग ने लगभग दस हजार काजू का पौधा फिर से तैयार किया है। विभाग के अनुसार यदि भविष्य में इसकी खेती को लोगों ने अपनाया तो एक प्रोसे¨सग मशीन भी लगवाएगी, ताकि लोगों को इसके प्रोसेसिंग के लिए इधर-उधर नही भटकना पड़े। साथ ही फिलहाल इसकी मार्केटिंग के लिए जमशेदपुर स्थित चिकुड़िया के रूप झारखंड में बहुत बड़ा बाजार किसानों के लिए उपलब्ध है। यहां किसान अपने द्वारा

उत्पादित काजू को आसानी से व अच्छी कीमत पर बेच सकेंगे।

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'वन समितियों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए वन विभाग ने यह योजना बनाई है। विभाग अपनी तीन नर्सरी में काजू का पौधा तैयार कर रही है। जुलाई के दूसरे सप्ताह से चयनित स्थलों पर इसे लगवाना शुरू किया जाएगा।

मनीष तिवारी, वन प्रमंडल पदाधिकारी, साहिबगंज।


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