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दो माह में 461 बने शिकार

साहिबगंज: जिले में कुत्तों के शिकार लोगों की संख्या उपलब्ध वैक्सीन पर भारी है। एक मरीज को अधिकतम पां

By Edited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 09:59 PM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 09:59 PM (IST)
दो माह में 461 बने शिकार

साहिबगंज: जिले में कुत्तों के शिकार लोगों की संख्या उपलब्ध वैक्सीन पर भारी है। एक मरीज को अधिकतम पांच एंटी रेबीज वैक्सीन लगाए जाते हैं। जिले के लगभग सभी स्वास्थ्य केंद्र में अक्सर इसकी कमी देखी जाती है। ऐसे में वैक्सीन की कमी गरीब तबके को काफी परेशानी होती है। परेशान की हालत में वे झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास के चक्कर में पड़ जाते हैँ। सक्षम लोगों को बाजार से खरीदकर वैक्सीन लगाने की मजबूरी है। कुत्ता काटने के बाद ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। विभाग के अनुसार एंटी रैबीज वैक्सीन सिर्फ सदर अस्पताल व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है।

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दूर- दराज गांव व दियारा क्षेत्र के पीड़ितों को वैक्सीन लेने के लिए सदर अस्पताल या सीएचसी आना पड़ता है। महीने में 15-20 पीड़ित इन केंद्रों पर वैक्सीन लेते है। बरसात में पीड़ितों की संख्या बढ़ जाती है। जिले भर में सिर्फ पिछले दो महीनों में कुल 461 लोग कुत्ते के शिकार बन चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2016 में कुत्तों ने 352 लोगों को अपना शिकार बनाया है। अगस्त में 109 लोग इसके शिकार हुए हैं। विभाग के पास रेबीज से हुई मौत का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं।

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स्वास्थ केंद्र : वैक्सीन की उपलब्धता

साहिबगंज: 304

बरहेट अनुपलब्ध

बरहरवा: 25

पतना अनुपलब्ध

तालझारी: 55

राजमहल 230

बोरियो 100

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बड़ेलाल चौधरी पहुंचे अस्पताल

मंगलवार की सुबह 11: 10 बजे शहर के कबूतर खोपी मोहल्ला निवासी बड़ेलाल चौधरी जनऔषधि केंद्र पहुंचते हैं। केंद्र प्रभारी नवीन कुमार ने बड़े लाल को एंटी रेबीज की वैक्सीन दी । बड़ेलाल ने बताया कि 4 दिन पहले उन्हें कुत्ते ने काटा था। इसके बाद टिटनेस की सूई लगवायी । एंटी रेबीज वैक्सीन का दूसरा डोज लेने आए हैं। वैक्सीन लेने से पूर्व सिर में हल्का चक्कर आ रहा था। अब आराम है। सूई लेने में कहीं कोई दिक्कत नहीं आई।

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लापरवाही बनती मौत की वजह

कुत्ता के काटने के बाद लापरवाही अक्सर मौत का कारण बनती है। सकरूगढ़ मोहल्ला निवासी पप्पू अंसारी ने अगर समय पर एंटी रेबीज वैक्सीन लिया होता तो आज उसकी जान बच सकती थी। कुत्ता के काटने के फौरन बाद टिटनेस की सूई लेनी चाहिए। उसी दिन एंटी रेबीज वैक्सीन भी लगवाना चाहिए। काटने के तीसरे दिन, सातवें, 14वें व 28वें दिन वैक्सीन लगवाना चाहिए। अगर कुत्ता दस दिन से ज्यादा ¨जदा रहता है तो पीड़ित को तीन वैक्सीन ही लगाना पड़ेगा। अगर कुत्ता काटने के दस दिन में अपनी मौत मरता है तो उसे रैबीज से संक्रमित माना जाता है।

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संक्रमण घातक

कुत्ता ने अगर काट लिया तो पीड़ित का खाना पीना सब अलग बर्तन में होता है। पशु चिकित्सक डॉ हरि शंकर झा ने बताया कि अगर पागल कुत्ता ने काट लिया तो रेबीज की आशंका बढ़ जाती है।

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एंटी रैबिज वैक्सीन की उपलब्धता पर बराबर नजर रख रहे हैं। सभी सेंटरों को वैक्सीन उपलब्ध कराया गया है। कहीं कहीं वैक्सीन समाप्त होने की जानकारी मिली है। राज्य से मिलते ही ऐसे सेंटरों को उपलब्ध करा दी दिया जाएगा।

डॉ.अंबिका प्रसाद मंडल, सिविल सर्जन।


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