Move to Jagran APP

केंचुआ खाद बढ़ाएगा खेतों की उर्वरा शक्ति

साहिबगंज: साहिबगंज जिले में रासायनिक खाद के बजाए खेतों में केंचुआ खाद का प्रयोग कर उर्वरा शक्ति बढ़ा

By Edited By: Published: Mon, 27 Jun 2016 01:02 AM (IST)Updated: Mon, 27 Jun 2016 01:02 AM (IST)
केंचुआ खाद बढ़ाएगा खेतों की उर्वरा शक्ति

साहिबगंज: साहिबगंज जिले में रासायनिक खाद के बजाए खेतों में केंचुआ खाद का प्रयोग कर उर्वरा शक्ति बढ़ाने का प्रयास चल रहा है। कृषि विभाग की ओर से इसके लिए किसानों को 10 हजार व 6 हजार रुपये का खाद यूनिट तैयार करने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साहिबगंज जिले में कुल खेती योग्य जमीन 1,57,823 हेक्टेयर है। जिले में 33,801 हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र है। जिले में 1.21 लाख किसान हैं। जो कृषि कार्य पर भी निर्भर हैं। खेतों में सिंचाई के मामले में भी जिला पिछड़ा हुआ है। कुल जमीन के 25 से 30 फीसदी जमीन पर ही सिंचाई की सुविधा किसानों को उपलब्ध हो पाती है।

loksabha election banner

कम लागत पर बनती केंचुआ खाद

जिले में केंचुआ खाद काफी कम लागत पर तैयार होती है। खाद केंचुओं के द्वारा तैयार किया जाता है। खाद बनाने का काम गढ्डे, लकड़ी की पेटी, प्लासटिक कैंट या किसी अन्य प्रकार के कंटेनर में किया जाता है। इसमें गोबर की खाद की अपेक्षा नाइट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश अधिक होता है। इसके अलावा नाइट्रोजन बढ़ाने वाले सुक्ष्म जीवाणु, आक्सीजन व साइटोकाइनिन हार्मोन एवं इन्जाइम भी पाए जाते हैं। जो पौधों के संपूर्ण विकास में सहायक होते हैं। वर्मी कंपोस्ट अधिक किफायती होने के साथ-साथ भूमि की उर्वराशक्ति भी बढ़ाती है। इसके प्रयोग से सब्जियों,फल एवं फूलों वाली फसलों में बीज जमाव अपेक्षाकृत जल्दी होता है एवं पौधे की बढ़वार भी अच्छी होती है।

विभाग दे रहा प्रशिक्षण

जिले में बरहड़वा, उधवा, राजमहल और साहिबगंज प्रखंड कृषि बहुल हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत कृषि विभाग इन प्रखंड में किसानों को केंचुआ खाद तैयार करने के बारे में प्रशिक्षण दे रहा है। जिले के किसान साहिबगंज के उत्तम यादव, बरहड़वा के हरेंद्र कुमार साह ने बताया कि कृषि विज्ञान केंद्र भी उन्नत तकनीक की जानकारी दे रहा है। जिले के 1.21 लाख किसान खेती पर आश्रित हैं। साहिबगंज, राजमहल, उधवा व बरहड़वा प्रखंड में गंगा किनारे दियारा क्षेत्रों से लेकर गुमानी, करणी नदी के किनारे बेहतर खेती होती है। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्र के बोरियो, बरहेट, मंडरो, तालझारी व पतना प्रखंडों में भी पोखर आहर व नदी किनारे खेती होती है। जिले में धान की मुख्य फसल मानसून के सहारे होती है। इसके अलावा गेहूं व मक्का की फसल ज्यादातर किसान करते हैं। 3510 हैक्टेयर में गरमा फसल होती है। जिसमें मूंग, आलू,सरसों की खेती होती है। जहां सिंचाई की समुचित व्यवस्था है। गरमा सब्जी भिंडी, टमाटर, बैंगन की खेती भी होती है।

--------

वर्जन

केंचुआ खाद बनाकर खेतों में प्रयोग करने पर जहां फसल का उत्पादन ज्यादा होता है वहीं खेतों की उर्वरा शक्ति भी बची रहती है। कृषि विभाग की ओर से किसानों को खाद के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

मार्शल खलको, जिला कृषि पदाधिकारी, साहिबगंज


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.