प. बंगाल व झारखंड के बीच सीमा विवाद गहराया
उधवा (साहिबगंज): साहिबगंज जिला के लगभग 70 किलोमीटर के गंगा तट क्षेत्र की जमीन पर बिहार व पश्चिम बंगा
उधवा (साहिबगंज): साहिबगंज जिला के लगभग 70 किलोमीटर के गंगा तट क्षेत्र की जमीन पर बिहार व पश्चिम बंगाल के साथ सीमा विवाद गहरा गया है। बिहार से सटे भूभाग पर यह विवाद दोनों राज्य की जनता व सरकार के बीच है परंतु उधवा के 29 मौजा के 50 हजार एकड़ जमीन पर पश्चिम बंगाल सरकार दावा कर रही है। यह वैसा क्षेत्र है जहां झारखंड सरकार की ओर से आजादी के बाद से कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जा रहा है एवं लोकसभा, विधानसभा व पंचायत चुनाव तक में लोग वर्षो से भाग लेते आ रहे हैं। इसके लिए मालदा जिला प्रशासन से लेकर वहां के मंत्री भी सक्रिय हैं एवं ऐसे क्षेत्र को पश्चिम बंगाल सरकार ने मालदा जिला के नक्शे में अंकित भी कर लिया है। अपना दावा मजबूत करने के लिए स्कूल भी खोल लिया है। ऐसे में दो राज्यों के बीच के सीमा विवाद पर केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पहल करनी पड़ रही है।
उधवा के 10 पंचायत पर बंगाल का दावा
पश्चिम बंगाल सरकार के दावों के आधार पर जिन 29 मौजा को बंगाल अपने क्षेत्र का हिस्सा मान लिया है, इससे उधवा के दस व राजमहल का दो पंचायत पश्चिम बंगाल का हो जाएगा। कलियाचक एवं मानिकचक अंचल के सीमा क्षेत्र के जिन मौजा को शामिल किया गया है, उसमें श्रीधर, पलाशगाछी, पियारपुर, प्राणपुर, जीतनगर, बानूटोला, रानीगंज, नारायणपुर, सज्जादटोला, निमाईटोला, नित्यानंदपुर, रतनलालपुर, दोगाछी, गजियापाड़ा, कचियदुपुर, बेगमगंज, रहीमपुर, हाकिमाबाद, मंगतपुर, रूस्तमपुर, पंचानंदपुर, खासमहालपुर, कमालुद्दीनपुर, झाउबोना, दरिदियारा, जयरामपुर, दसकठिया, भवानंदपुर मौजा शामिल है। इससे श्रीधर, राधानगर, पूर्वी तथा पश्चिमी प्राणपुर, उत्तर व दक्षिण पलाशगाछी, उत्त्तर पियारपुर, मध्य पियारपुर एवं दक्षिण पियारपुर, कटहलबाड़ी एवं बेगमगंज पंचायत का 52 गांव प्रभावित हो सकता है।
क्या है मामला
वर्ष 1958 में जमींदारी प्रथा समाप्त होने के समय राधानगर, बेगमगंज, पियारपुर, प्राणपुर, पलाशगाछी, कटहलबाड़ी पंचायत के मौजा को बिहार सरकार को दिया गया था। रजिस्टर टू यहां के सरकार के पास है, लेकिन खतियान बंगाल सरकार के पास ही है। बिहार या झारखंड सरकार ने खतियान प्राप्त करने के दिशा में कोई पहल नहीं किया। बंगाल के लोग राज्य सरकार के भूमि अधिग्रहण कानून की धारा 12 का हवाला दे रहे हैं। जिसके अनुसार नदी या समुद्र के गर्भ में समा जाने के 20 वर्ष बाद यदि कोई जमीन उसी स्थान पर पुन: निकलता है तो उस पर राज्य सरकार का हक होता है। परंतु जिस भूभाग को लेकर विवाद है वहां स्वामित्व एवं सरकारी सेवाओं के आधार पर झारखंड सरकार का भी मजबूत हक बनता है।
लेकिन चर पर निवास करने वाले कुछ लोग इस आधार पर पश्चिम बंगाल के पक्षधर हैं क्योंकि उनकी भाषा एवं रहनसहन वहां के लोगों से मिलती है और वे बंगाल सरकार से भी नागरिक सुविधा ले रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक हामेदपुर जो उधवा के प्राणपुर का राजस्व गांव है वहां पश्चिम बंगाल सरकार ने 414 परिवार के 713 सदस्य का नाम मतदाता सूची में दर्ज कराया है। 14 सौ व्यक्ति को व्यक्तिगत राशन कार्ड प्रदान किया गया है साथ ही तीन विद्यालयों में कुल 1023 बच्चों को शिक्षा प्रदान की जा रही है। नारायणपुर चर में 421 परिवार व 1645 मतदाता हैं एवं बानुटोला में 1010 परिवार है। यहां तैमुरटोला में एक प्राथमिक विद्यालय व एक आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन भी किया जा रहा है। इस विद्यालय संचालन एवं यहां के नागरिकों को सरकार की कल्याणकारी योजना का लाभ कहां से मिल रहा है, इसकी जांच उधवा के बीडीओ, सीओ व बीईईओ के द्वारा विगत वर्ष ही की गयी है। साथ ही कलियाचक के बीडीओ एवं स्कूल इंस्पैक्टर द्वारा भी कई बार निरीक्षण किया जा चुका है।
क्या कहते स्थानीय लोग
कांग्रेसी नेता व दक्षिण पलाशगाछी निवासी मो.तजबूल शेख का कहना है कि राजमहल से फरक्का खेजुरिया घाट तक गंगा के पश्चिमी हिस्से में आजादी के बाद से बिहार या झारखंड का अधिकार रहा है। इसी आधार पर पश्चिम बंगाल सरकार ने 1957 में जमीन का हस्तांतरण कर रजिस्टर टू भी प्रदान कर दिया था। वैसे में पश्चिम बंगाल का दावा अनैतिक है। इसमें स्थानीय लोगों की राय लेनी चाहिए। दक्षिण पलाशगाछी पंचायत के मुखिया मजलुम शेख का कहना है कि यहां के मूल निवासी कभी पश्चिम बंगाल में शामिल होने के पक्षधर नहीं रहे हैं।
सचेतक सह भाजपा विधायक अनंत कुमार ओझा ने बताया कि झारखंड विधानसभा के विगत सत्र में उन्होंने साहिबगंज, राजमहल व उधवा प्रखंड तथा पश्चिम बंगाल व बिहार सरकार के बीच जमीन विवाद के मसले को उठाया था। जिस पर कार्रवाई करते हुए झारखंड सरकार ने अंतरराज्यीय परिषद में इस मसले को रखा था। समझौता पत्र भी तैयार हो गया था, लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने हस्ताक्षर नहीं किया। वे इस मसले पर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पास अपना पक्ष रखेंगे।