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Jharkhand Congress: प्रदेश अध्यक्ष के लिए सस्पेंस चरम पर, दिल्‍ली में लॉबिंग तेज

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय ने केसी वेणुगोपाल अहमद पटेल जैसे वरीय कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात कर लॉबिंग की चर्चाओं को बल दिया है।

By Alok ShahiEdited By: Published: Fri, 23 Aug 2019 07:58 AM (IST)Updated: Fri, 23 Aug 2019 04:24 PM (IST)
Jharkhand Congress: प्रदेश अध्यक्ष के लिए सस्पेंस चरम पर, दिल्‍ली में लॉबिंग तेज
Jharkhand Congress: प्रदेश अध्यक्ष के लिए सस्पेंस चरम पर, दिल्‍ली में लॉबिंग तेज

रांची, राज्य ब्यूरो। नई दिल्ली में कांग्रेसी नेताओं का जुटान तो हुआ है राजीव गांधी की 75वीं जयंती के अवसर पर सद्भावना दिवस के आयोजन को लेकर, लेकिन झारखंड के नेताओं ने इस मौके को नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए इस्तेमाल कर लिया। जो भी नेता गए हैं उनमें से अधिसंख्य अभी दो-तीन दिन नई दिल्ली में ही रहेंगे। अध्यक्ष को लेकर सस्पेंस चरम पर पहुंच रहा है और संभावना है कि शनिवार-रविवार तक नए अध्यक्ष का चयन हो जाएगा। इस सस्पेंस के बीच नेता गुटबाजी और लॉबिंग में पूरी तरह से जुट गए हैं। अलग-अलग गुटों के बीच उन नेताओं को भी तरजीह मिल सकती है जो अब तक लॉबिंग से दूर और निष्पक्ष दिख रहे हैं।

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय अध्यक्ष पद के लिए सर्वाधिक सक्रिय नेताओं में शामिल हैं। उन्होंने दो दिनों में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल जैसे सीनियर नेताओं से मुलाकात की है। उनकी सक्रियता के आधार पर पिछले अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार को हटाने की भूमिका तैयार हुई। अजय कुमार को इतने मोर्चों पर घेरा गया कि उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे दिया। इस श्रेय को आगे बढ़ाते हुए सुबोधकांत नए अध्यक्ष बनने तक की प्रक्रिया को अंजाम देना चाहते हैं। उनके गुट के लोग लगातार विभिन्न स्तरों पर नेताओं से संपर्क करते देखे गए।

एक और गुट की सक्रियता भी कम नहीं है और यह गुट प्रदीप कुमार बलमुचू का है। वरिष्ठ नेताओं के बीच इनके समर्थकों की भी सक्रियता दिखी। इनका पूर्व अनुभव भी पार्टी के काम आ सकता है। सांसद धीरज साहू, पूर्व सांसद ददई दुबे आदि सीनियर नेता भी अपने-अपने स्तर से कहीं न कहीं अध्यक्ष के उम्मीदवारों के पक्ष में लॉबिंग कर रहे हैं।

एक गुट और सक्रिय है जो कहीं न कहीं निर्गुट भी दिख रहा है। आलमगीर आलम जैसे नेता वर्तमान में किसी गुट के साथ सक्रिय नहीं हैं और इनकी बैर भी किसी से नहीं है। ऐसे में किसी निर्गुट नेता को ही अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी मिल जाए तो आश्चर्य की बात नहीं। पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत भी सधी चाल चल रहे हैं और पिछली बार सोनिया गांधी ने ही उन्हें अध्यक्ष बनाया था। इस बार भी वे आदिवासी-मुस्लिम फॉर्मूले पर फिट बैठते दिख रहे हैं। कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग प्रदेश का नेतृत्व इसी वर्ग को देने का हिमायती है। अगले दो दिनों में जब तक नए अध्यक्ष का चयन न हो जाए सस्पेंस बना ही रहेगा। 


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