झारखंड में नहीं रहना चाहते आइएएस रमेश घोलप
साल भर में चार तबादले और खासकर विगत 26 सितंबर को धनबाद के नगर आयुक्त पद से स्थानांतरण के बाद चर्चा में आए आइएएस अधिकारी रमेश घोलप झारखंड में नहीं रहना चाहते थे। उन्होंने अपना कैडर तेलंगाना को हस्तांतरित किए जाने की अर्जी लगाई थी।
श्याम किशोर चौबे, रांची। साल भर में चार तबादले और खासकर विगत 26 सितंबर को धनबाद के नगर आयुक्त पद से स्थानांतरण के बाद चर्चा में आए आइएएस अधिकारी रमेश घोलप झारखंड में नहीं रहना चाहते थे। उन्होंने अपना कैडर तेलंगाना को हस्तांतरित किए जाने की अर्जी लगाई थी। उन्होंने यह अर्जी कुछ अरसा पहले ऊर्जा विभाग में संयुक्तसचिव पद पर रहते हुए दी थी।
यह माना जा रहा है कि उनका ताजा तबादला धनबाद नगर निगम के महापौर से हुए विवाद के कारण किया गया था। उनको कोयला नगरी से हटाकर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग में योगदान देने का आदेश जारी हुआ था। उन्होंने धनबाद के नगर आयुक्तका प्रभार जून में हुए तबादले के बाद ग्रहण किया था। इसके पूर्व छह महीने तक वे ऊर्जा विभाग में संयुक्तसचिव थे।
महाराष्ट्र के शोलापुर जिले के महगांव में अत्यंत गरीब परिवार में जन्मे घोलप का करियर अनुकरणीय रहा है। आट्र्स ग्रेजुएट घोलप को आर्थिक परेशानियों के कारण डी-एड कर शिक्षक का पेशा अपनाना पड़ा था। यूपीएससी परीक्षा की तैयारियों के लिए उनकी मां को स्वयं सहायता समूह से कर्ज लेना पड़ा था। संघर्षशील और दृढ़ निश्चयी घोलप को पुणे में यूपीएससी की तैयारियों के दौरान पोस्टर पेंट करने का काम करना पड़ा था। अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 287वां और उसी साल 2012 में महाराष्ट्र लोक सेवा आयोग में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले घोलप युवाओं के बीच लगभग चार सौ मोटिवेशनल प्रोग्राम चला चुके हैं। घोलप का बायां पांव पोलियोग्रस्त है, जबकि पिछले अप्रैल में अवकाश पर गांव जाने के बाद सड़क दुर्घटना में उनके दायें पैर के एंकल में फ्रैक्चर हो गया था।
उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा 2014 में बनाए गए प्रावधान के तहत अपनी शारीरिक परेशानियों का हवाला देते हुए गृह प्रदेश महाराष्ट्र के निकटतम पड़ोसी तेलंगाना को अपनी सेवाएं हस्तांतरित करने का आवेदन दिया था। इस संदर्भ में संपर्क किए जाने पर कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे ने बताया कि घोलप की अर्जी पर डिपार्टमेंट ऑफ पर्सोनेल एडमिनिस्ट्रेशन ने दो बिंदुओं पर क्वैरी की थी। संबंधित पत्र घोलप को जून में दिया गया था, जिसका उन्होंने अभी तक जवाब नहीं दिया है। रमेश भी इसे स्वीकार करते हुए कहते हैं, डीओपीटी का पत्र मिला है लेकिन अभी मैंने जवाब नहीं दिया है।