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सीएनटी विधेयक ड्राप कर सकती है सरकार, कार्यसमिति में होगी चर्चा

कार्यसमिति की बैठक के ठीक पूर्व होने वाली कोर कमेटी की बैठक में पार्टी के शीर्ष नेता सीएनटी विधेयक पर मंथन करेंगे।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 23 Jul 2017 09:50 AM (IST)Updated: Sun, 23 Jul 2017 09:50 AM (IST)
सीएनटी विधेयक ड्राप कर सकती है सरकार, कार्यसमिति में होगी चर्चा
सीएनटी विधेयक ड्राप कर सकती है सरकार, कार्यसमिति में होगी चर्चा

राज्य ब्यूरो, रांची। सीएनटी-एसपीटी संशोधित विधेयक को पुन: विधानसभा में लाने के अपने इरादे को राज्य सरकार ड्राप कर सकती है। दरअसल, एक्ट से जुड़े अहम बिंदुओं को हटाए जाने के बाद विधेयक में कुछ खास रह नहीं जाता, ऐसे में सिर्फ मूंछ की लड़ाई के लिए विधेयक को पुन: सदन में लाना खुद सरकार को भी समझदारी भरा फैसला नहीं लग रहा है। सत्ता और संगठन के शीर्ष नेताओं के बीच इसे लेकर मंथन चल रहा है।

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सीएनटी-एसपीटी संशोधित विधेयक के विवादित बिंदु हटा दिए जाने के बावजूद खुद सत्ताधारी दल भाजपा के विधायक इसे दोबारा सदन में लाए जाने के पक्षधर नहीं है। हाल में शिवशंकर उरांव के नेतृत्व में कुछ आदिवासी विधायकों ने रांची में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और दिल्ली में आदिवासी नेताओं से मुलाकात भी की है। हालांकि प्रत्यक्ष में मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया गया था। लेकिन पार्टी के भीतर और बाहर से मिल रहे फीड बैक से सरकार पसोपेश में पड़ गई है।

सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक को टीएसी और उसके बाद विधानसभा में रखा जाएगा या नहीं इसे लेकर अब तक ऊहापोह की स्थिति बनीं हुई है। बताया जा रहा है कि गिरिडीह में 29-30 को होने वाली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के ठीक पूर्व होने वाली कोर कमेटी की बैठक में पार्टी के शीर्ष नेता इस पर मंथन करेंगे। विधेयक को न लाने के पक्ष में पलड़ा भारी है। सीएनटी को लेकर नफे-नुकसान का आकलन करें तो जमीन की प्रकृति बदलने संबंधी सीएनटी की धारा-21 और एसपीटी की धारा-13 के संशोधन को हटाने के बाद सरकार के आदिवासियों के हितों के दावे में कोई दम रह नहीं जाता।

ऐसे में सिर्फ सीएनटी की धारा-49 और धारा-71 में मामूली संशोधन के लिए विधेयक को पुन: विधानसभा में लाने से सरकार को कुछ खास हासिल होने वाला नहीं है। तर्क दिया जा रहा है कि आधा अधूरा संशोधित विधेयक दोबारा लाने से न तो आदिवासियों को फायदा होगा और न ही राजनीतिक। इधर, देखें तो सीएनटी को लेकर पूरी भाजपा टीम में एक नरमी देखी जा रही है, बयानबाजी का दौर थमा हुआ है।

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