लटकी 272 प्रोजेक्ट शिक्षकों की सेवा मान्यता
1984-85 में स्थापित राज्य के 87 प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालयों के 272 शिक्षकों की सेवा मान्यता का मामला लटक गया है।
नीरज अम्बष्ठ, रांची। 1984-85 में स्थापित राज्य के 87 प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालयों के 272 शिक्षकों की सेवा मान्यता का मामला लटक गया है। राज्य सरकार ने इन शिक्षकों की सेवा मान्यता पर निर्णय लेने के लिए एक बार फिर नई कमेटी गठित करने का निर्णय लिया है।
कार्मिक विभाग की प्रधान सचिव निधि खरे की अध्यक्षता में गठित होनेवाली इस कमेटी में माध्यमिक शिक्षा निदेशक मनीष रंजन, दक्षिणी छोटानागपुर के आरडीडीई अच्युतानंद ठाकुर तथा प्रभारी उपनिदेशक एसके मिश्रा इसके सदस्य होंगे।
स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा गठित की जा रही यह कमेटी अब नए सिरे से मोमिन आलम कमेटी, चुग कमेटी, आरएन त्रिपाठी कमेटी तथा डीईओ-बीडीओ की जिला स्तर पर गठित कमेटियों की अनुशंसा का अध्ययन कर नए सिरे से अपनी रिपोर्ट देगी। इसी के बाद इनकी सेवा मान्यता पर निर्णय लिया जाएगा।
दरअसल, मोमिन आलम की अनुशंसा के आलोक में राज्य सरकार इन स्कूलों के 48 शिक्षकों, 35 लिपिकों तथा 67 आदेशपालों की सेवा मान्यता दे चुकी है। 5 जुलाई 2011 को कैबिनेट की हुई बैठक में इसपर मुहर लगी थी। उस बैठक में कैबिनेट ने शेष शिक्षकों व कर्मियों के मामलों में भी विधिक जांच कराकर प्रस्ताव भेजने का निर्देश विभाग को दिया था। तब से यह मामला विधिक जांच में ही लटका हुआ है।
कैबिनेट के निर्देश के आलोक में उस समय तत्कालीन प्रभारी उच्च शिक्षा निदेशक आरएन त्रिपाठी की अध्यक्षता में कमेटी गठित गई, जिसने जांच कर अन्य 272 शिक्षकों की सेवा मान्यता देने की अनुशंसा विभाग को की। इस बीच फाइल इधर से उधर होती रही। बाद में विभाग ने स्थानीय स्तर पर डीईओ और बीडीओ की कमेटी गठित कर यह जांच कराने का निर्णय लिया कि ये शिक्षक स्कूलों में पढ़ा रहे हैं या नहीं। लगभग एक साल खींचने के बाद इन कमेटियों ने भी राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। पांच साल बाद विभाग ने अब कार्मिक सचिव की अध्यक्षता में नई कमेटी गठित कर जांच कराने का निर्णय लिया है।
नई नियुक्ति की भी तैयारी
राज्य सरकार इन स्कूलों में पहले से कार्यरत शिक्षकों की सेवा मान्यता देने के बजाए रिक्त पदों पर नियुक्ति की भी तैयारी कर रही है। इधर, शिक्षकों का कहना है कि संयुक्त बिहार में सरकार ने यह निर्णय लिया था कि जबतक पहले से कार्यरत शिक्षकों के संबंध में अंतिम निर्णय नहीं ले लिया जाएगा तबतक नई नियुक्ति नहीं होगी। इसके बावजूद नियुक्ति हो रही है।
वेतन देते नहीं, मांग रहे बायोमिट्रिक उपस्थिति
इन शिक्षकों की सेवा मान्यता नहीं मिलने से इन्हें वर्षों से वेतन नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ, इनसे शिक्षक कार्य कराया जा रहा है।
हाल ही में मैट्रिक के खराब परिणाम होने पर कई शिक्षकों को शो-कॉज भी हुआ। वहीं, विभाग ने अब इन शिक्षकों को भी बायोमिट्रिक उपस्थिति बनाने का आदेश दिया है। शिक्षकों का कहना है कि सरकार वेतन तो नहीं देती, लेकिन बायोमिट्रिक उपस्थिति मांगती है।