नौकरशाही को पांच मानकों पर परखेंगे CM हेमंत सोरेन, तिजोरी भरने वालों से करेंगे किनारा
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि वाणिज्यकर खनन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाकर तथा इन विभागों के न्यायालयों में लंबित मामलों का निपटारा कर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये जुटाएंगे।
रांची, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्पष्ट कहा है कि राज्य के खजाने पर पहला हक गरीबों का है। राज्यपाल के अभिभाषण पर सरकार का उत्तर देते हुए सदन में बुधवार को मुख्यमंत्री ने सरकार की प्राथमिकताओं को भी स्पष्ट किया। कहा, वाणिज्यकर तथा खनन विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लगाकर तथा इन विभागों के न्यायालयों में लंबित मामलों का निपटारा कर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये जुटाए जा सकते हैं। साथ ही अन्य विभागों में पारदर्शिता तथा ईमानदारी लाकर अरबों रुपये बचाए जा सकते हैं।
हेमंत ने कहा कि मै यह दृढ़ता से कह सकता हूं कि मै यहां मुख्यमंत्री के रूप में नहीं, बल्कि शोषण के विरुद्ध संघर्ष और शहादत के प्रतीक चिह्न के रूप में खड़ा हूं। यह भी स्वीकारा कि उनके समक्ष जनता के सामने जन आकांक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती है। कहा, मैं गत विधानसभा से लगातार कहता रहा हूं कि संख्या बल के आधार पर जन भावनाओं को रौंदा नहीं जाए।
सीएम ने कहा कि दबे-कुचले, वंचितों, गरीबों और आदिवासियों के अधिकारों को नहीं छीना जाए। उनके संवैधानिक सुरक्षा कवच पर हमला नहीं किया जाए। लेकिन वो सुनने वाली सरकार नहीं थी। अब जनता ने एक सुनने वाली सरकार चुनी है। हम सबकी सुनेंगे, पक्ष की भी और विपक्ष की भी। आसन की भी और मीडिया की भी। मै समाज के सभी वर्ग और लोकतंत्र के प्रहरी मीडिया संस्थानों से स्वस्थ्य एवं सकारात्मक आलोचनाओं को आमंत्रित करता हूं। मेरे लिए आलोचनाएं वो आइना होंगी, जिसमें सरकार अपना चेहरा साफ-साफ देख सकेगी।
नौकरशाही को पांच मानकों पर परखा जाएगा
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में नौकरशाही का राजनीतिकरण हुआ है। सरकारी अफसरों को सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता की तरह कार्य करना खतरनाक प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा कि नौकरशाही जनता के प्रति जिम्मेदार हो, जनप्रतिनिधियों के साथ समन्वय बनाए, नियम कानून के दायरे में काम करे, समय की पाबंदी रखे तथा वंचितों के प्रति संवेदनशील हो। नौकरशाही को इन पांच मानकों पर परखा जाएगा।
झारखंडियों के लिए जश्न का दिन लेकिन उन्माद का नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज झारखंडियों के लिए जश्न का दिन है लेकिन उन्माद का नहीं। झारखंडियों को यह ध्यान रखना होगा कि हमारी खुशियां किसी के लिए खतरा न बनें, असुरक्षा का कारण न बनें। हमारा जश्न किसी का जख्म न बने।