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मुख्यमंत्री आज पेश करेंगे 2017-18 का बजट ; विकास पर होगा फोकस

मुख्यमंत्री रघुवर दास बतौर वित्तमंत्री विधान सभा में आज 2017-18 का बजट पेश करेंगे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 23 Jan 2017 06:12 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jan 2017 06:32 AM (IST)
मुख्यमंत्री आज पेश करेंगे 2017-18 का बजट ; विकास पर होगा फोकस
मुख्यमंत्री आज पेश करेंगे 2017-18 का बजट ; विकास पर होगा फोकस

राज्य ब्यूरो, रांची। विकास की बुनियादी जरूरतें और आदिवासी एवं गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए राज्य सरकार बजट में भारी भरकम राशि का प्रावधान करने जा रही है। वित्तीय वर्ष 2017-18 का बजटीय आकार 80 हजार करोड़ रुपये के करीब होने का अनुमान है। सोमवार को मुख्यमंत्री रघुवर दास बतौर वित्तमंत्री विधान सभा में बजट को पेश करेंगे। वे अगले वित्तीय वर्ष को गरीबों के कल्याण वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा भी करेंगे।
गत वर्ष रघुवर दास सरकार ने 63,502 करोड़ रुपये का बजट पेश किया था, इस लिहाज से वित्तीय वर्ष वित्तीय वर्ष 2017-18 के बजट में 26 से 27 फीसद ग्रोथ का अनुमान लगाया जा रहा है। भारी भरकम बजट के आधार का खाका बुनियादी जरूरतों और विकास पर बुना गया है। गरीबों और आदिवासियों को मुख्यधारा से जोडऩे के लिए कुछ नई योजनाओं की घोषणा सरकार के स्तर पर की जाएगी। बजट में आधारभूत संरचना, कृषि, ग्रामीण व नगर विकास पर खासा जोर होगा। स्वास्थ्य व शिक्षा तो हमेशा से ही सरकार के एजेंडे में रहा ही है। ग्रामीण क्षेत्रों तक विद्युत व संचार आपूर्ति बहाल करने के उपाए भी बजट में परिलक्षित होंगे। बजट में मेक इन झारखंड की झलक भी देखने को मिलेगी। रोजगार पर भी सरकार बजट में जोर देगी।

खुद की कमाई पर भरोसा
बजट के भारी भरकम आकार का खाका राज्य की वित्तीय स्थिति में लगातार हो रहे सुधार को देखते हुए खींचा गया है। अगले वित्तीय वर्ष के बजट में भी सरकार ने आंतरिक राजस्व के लक्ष्य में खासी वृद्धि का लक्ष्य साधा है। सरकार की मंशा वर्ष 2017-18 में अपने बूते 37,500 करोड़ रुपये की उगाही की है। वाणिज्यकर विभाग को अगले वित्तीय वर्ष में 16000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य सौंपने की तैयारी है, वर्ष 2016-17 के लिए यह 13,150 करोड़ रुपये था। जबकि उद्योगों एवं खान विभाग का राजस्व संग्रह का लक्ष्य दोगुना करते हुए इसे 15000 करोड़ किया जा सकता है।

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फिलहाल यह 7050 करोड़ रुपये है और इतने की वसूली भी असंभव दिख रही है। उत्पाद के लक्ष्य को भी 1500 करोड़ से दोगुना करते हुए इसे 3000 करोड़ रुपये तक किया जा सकता है। सरकार खुद शराब बेचने पर विचार कर रही है। इसी प्रकार परिवहन से 1500 और निबंधन से 1000 करोड़ की आस रखी जा रही है। इसके अलावा केंद्रीय कर में राज्यांश, केंद्रीय सहायता, लोक ऋण व अन्य मदों से 40-42 हजार करोड़ मिलने की उम्मीद है।

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