लिट्टीपाड़ा पर कब्जे की मुहिम में जुटी भाजपा
झामुमो के किले में सेंध लगा चुकी भाजपा की निगाहें अब लिट्टीपाड़ा पर लगी हैं।
आनंद मिश्र, रांची। वर्ष-2014 के विधानसभा चुनाव में संताल परगना की 18 विधानसभा सीटों में से सात पर सीधे व एक सीट पर अप्रत्यक्ष रूप से काबिज हो झामुमो के किले में सेंध लगा चुकी भाजपा की निगाहें अब लिट्टीपाड़ा पर लगी हैं। लिट्टीपाड़ा के तिलस्म को तोडऩे के लिए भाजपा के अपने शीर्ष रणनीतिकारों की टोली को इस उपचुनाव में झोंक दिया गया है। संताल की इस विधानसभा सीट पर झामुमो वर्षों से काबिज है और तमाम कोशिशों के बावजूद भाजपा यहां सेंध नहीं लगा सकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री रघुवर दास के विकास के एजेंडे को साथ ले भाजपा के रणनीतिकार सियासी दांवपेंच के तमाम गुरों को लिट्टीपाड़ा उपचुनाव में आजमा रहे हैं। शनिवार को दिवंगत अनिल मुर्मू की पत्नी यूनिकी मुर्मू को पार्टी में शामिल करा भाजपा ने बड़ा सियासी दांव चला है। यूनिकी के साथ-साथ अनिल मुर्मू के कुछ समर्थक भी भाजपा में शामिल हुए हैं। लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में अनिल मुर्मू का अपना जनाधार भी रहा है। उपचुनाव में भाजपा के निशाने पर झामुमो के साथ-साथ उनके प्रत्याशी साइमन मरांडी भी है। भाजपा पिछले चुनाव में साइमन मरांडी द्वारा झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन पर की गई टिप्पणी को भी मुद्दा बना रही है। इधर, लिट्टीपाड़ा उपचुनाव को लेकर रविवार को प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने प्रदेश पदाधिकारियों की बैठक भी बुलाई है, जिसमें चुनाव को लेकर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की भूमिका तय की जाएगी।
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झामुमो की परंपरागत सीट रही है लिट्टीपाड़ा
संताल परगना के इस प्रमुख विधानसभा क्षेत्र में भाजपा का जनाधार तेजी से बढ़ा है लेकिन अब तक के चुनाव के आंकड़े झामुमो के पक्ष में रहे हैं। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में यह सीट दिवंगत अनिल मुर्मू ने भाजपा के साइमन मरांडी को 25 हजार से अधिक मतों से हरा कर हासिल की थी। जबकि 2009 में झामुमो के टिकट पर चुनाव लड़े साइमन मरांडी ने कांग्रेस के अनिल मुर्मू को पराजित किया था। इस चुनाव में भाजपा तीसरे स्थान पर खिसक गई थी। वर्ष 2005 में भी यह सीट झामुमो के खाते में ही गई थी। झामुमो की सुशीला हांसदा ने भाजपा के सोम मरांडी को सात हजार से अधिक मतों से पराजित किया था।
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लिट्टीपाड़ा के पिछले तीन चुनाव के कुछ ऐसे रहे परिणाम
वर्ष विजेता उपविजेता जीत का अंतर
2005 झामुमो (29661) भाजपा (22464) 7197 (7.83 प्रतिशत)
2009 झामुमो (29875) कांग्रेस (24478) 5397 (5.68 प्रतिशत)
2014 झामुमो (67194) भाजपा (42111) 25083 (17.56 प्रतिशत)
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रोचक रहे हैं उपचुनावों के परिणाम
झारखंड में उपचुनावों के परिणाम खासे रोचक रहे हैं। वर्ष 2016 में हुए गोड्डा और पांकी उपचुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने अपनी सीट बचाने में सफलता हासिल की थी। जबकि वर्ष 2015 के उपचुनावों में लोहरदगा सीट कांग्रेस ने भाजपा के सहयोगी आजसू से छीन ली थी। अब लिट्टीपाड़ा उपचुनावों पर सभी की निगाहें लगी हुई हैं।