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कहने को तड़ीपार लेकिन खुलेआम घूम रहे पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, जानिए-क्या है आरोप

पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव को 15 दिसंबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली थी कि बिना पूर्व अनुमति और सूचना के वे झारखंड नहीं आएंगे।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 25 Feb 2018 03:20 PM (IST)Updated: Sun, 25 Feb 2018 03:20 PM (IST)
कहने को तड़ीपार लेकिन खुलेआम घूम रहे पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, जानिए-क्या है आरोप
कहने को तड़ीपार लेकिन खुलेआम घूम रहे पूर्व मंत्री योगेंद्र साव, जानिए-क्या है आरोप

दिलीप कुमार, रांची। झारखंड से तड़ीपार राज्य के पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव इन दिनों बिना सूचना के ही राज्य भर में भ्रमण कर रहे हैं। 22 व 23 फरवरी को देवघर के जसीडीह के पंचायत प्रशिक्षण केंद्र में ठहरने व देवघर तथा दुमका के मंदिरों में पूजा करने की तस्वीर झारखंड पुलिस तक पहुंची है। उनके हजारीबाग में ठहरने की जानकारी भी मिली है। वे झारखंड में हैं, इसकी जानकारी न तो हजारीबाग के एसपी को है और न ही देवघर के। हजारीबाग के एसपी ने बताया कि उन्हें ऐसी सूचना नहीं है और अगर यह तथ्य सही है तो योगेंद्र साव को हिरासत में लिया जाएगा। योगेंद्र साव का पूजा करते फोटोग्राफ्स व वीडियो वायरल होने की सूचना पुलिस मुख्यालय को भी मिली है। वीडियो और फोटो में 22 व 23 फरवरी की तारीख भी दर्ज है।

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गौरतलब है कि पूर्व कृषि मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी कांग्रेस विधायक निर्मला देवी को 15 दिसंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत मिली थी कि बिना पूर्व अनुमति और सूचना के वे झारखंड नहीं आएंगे। जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एल नागेश्र्वर राव की अदालत ने दोनों को भोपाल में रहने और गवाहों से किसी प्रकार का संपर्क नहीं करने की शर्त लगाई थी। उन्हें पासपोर्ट भी जमा करने को कहा गया था।

जानिए, क्या है आरोप

योगेंद्र साव और निर्मला देवी पर हजारीबाग के बड़कागांव में एनटीपीसी के जमीन अधिग्रहण के विरोध में सरकारी काम में बाधा पहुंचाने और सुरक्षा बलों पर भीड़ से हमला कराने का आरोप है। इस मामले में दोनों के विरुद्ध बड़कागांव थाने में प्राथमिकी दर्ज है। हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद दोनों सुप्रीम कोर्ट गए थे। बड़कागांव के ढेंगा गांव में एनटीपीसी के पकरी बरवाडीह कोल माइनिंग प्रोजेक्ट के विरोध में 14 अगस्त 2015 को पुलिस के साथ ग्रामीणों के बीच झड़प हुई थी। इस मामले में दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उन्हें निचली अदालत ने दो साल की सजा दी थी जिसके विरोध में उन्होंने ऊपर की अदालत में अपील की और हाई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की।

हाई कोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। तर्क दिया था कि हाई कोर्ट ने बिना केस डायरी देखे ही जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की जमानत रद कर दी और हाई कोर्ट को फिर से सुनवाई करने का निर्देश दिया। हाईकोर्ट ने दोबारा सुनवाई के बाद दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी। इस आदेश के खिलाफ दोनों सुप्रीम कोर्ट गए थे।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा था कि जब तक इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती तब तक योगेंद्र साव और विधायक निर्मला देवी झारखंड नहीं जाएंगे। सदन का सत्र चलने के दौरान निर्मला देवी झारखंड जा सकती हैं। झारखंड पुलिस की सुरक्षा में उन्हें रांची लाया जाएगा। इसका खर्च सरकार को वहन करना होगा। कोर्ट ने भोपाल और झारखंड के जिला जजों को वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा उपलब्ध करा कर अन्य मामलों की सुनवाई करने का भी निर्देश दिया है। दोनों भोपाल या किसी अन्य राज्य की यात्रा कर सकते हैं, लेकिन इसकी सूचना उन्हें भोपाल के एसपी को भी देनी होगी।

इन मामलों में भी योगेंद्र साव पर है चार्जशीट

- केरेडारी थाना कांड संख्या-55/ 2010 एनटीपीसी के जीएम के साथ मारपीट

- केरेडारी थाना कांड संख्या-04/2011 बड़कागांव के बीडीओ के साथ मारपीट- केरेडारी थाना कांड संख्या-33/2012 हरवे

-हथियार से लैस होकर पुलिस पर हमला और जख्मी करने का मामला

- बड़कागांव थाना कांड संख्या-85/ 2007 हथियार से पुलिस पर हमला करने का आरोप

- गिद्दी थाना कांड संख्या-55/2011 रामगढ़ के रांची रोड निवासी विरेंद्र प्रसाद राय से पांच लाख रुपये की रंगदारी मांगने का मामला

- गिद्दी थाना कांड संख्या-48/2014 उग्रवादी संगठन बनाने, हथियार उपलब्ध कराने का आरोप

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