फर्जी सिम लेकर चूना लगा रहे साइबर अपराधी
राजधानी में सैकड़ों ऐसी दुकानें हैं, जहां केवल आइडी कार्ड और फोटो लेकर जाने से सिम कार्ड एक्टिवेट कर दिया जाता है।
फहीम अख्तर, रांची। रांची में हर दिन अलग-अलग कंपनियों के सैकड़ों सिम फर्जी दस्तावेज पर एक्टिवेट हो रहे हैं। साइबर अपराधी इनका इस्तेमाल कर लोगों को चूना लगा रहे हैं। जामताड़ा, साहेबगंज, गुमला, धनबाद, दुमका, गिरिडीह, सिमडेगा, खूंटी समेत कई जगहों की फर्जी आईडी से रांची से सिम एक्टिवेट करवाए जा रहे हैं। इसका इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर की ठगी में हो रहा है। हाल में पकड़े गए कई साइबर अपराधियों ने भी इससे संबंधित जानकारी दी है। इसके अलावा दूसरे राज्यों की पुलिस भी रांची में इसका सत्यापन करवा रही है। रांची साइबर थाने की पुलिस ने कई जिलों के डिस्ट्रीब्यूटरों के खिलाफ भी कार्रवाई की है। कुछ माह पहले दिल्ली पुलिस चुटिया इलाके में सिम के पते के आधार पर छापेमारी करने पहुंची थी। लेकिन संबंधित नंबर एक रिक्शा चालक का निकला था।
भारतीय दूरसंचार नियामक आयोग (टीआरएआइ) की सख्ती के बावजूद टेलीकॉम कंपनियां दस्तावेजों के सत्यापन के बिना धड़ल्ले से सिम कार्ड इश्यू कर रही हैं। राजधानी में सैकड़ों ऐसी दुकानें हैं, जहां केवल आइडी कार्ड और फोटो लेकर जाने से सिम कार्ड एक्टिवेट कर दिया जाता है। जबकि इन दिनों आधार से बायोमीटिक्स से सिम इश्यू करना है। लेकिन आधार कार्ड नहीं रहने पर अन्य आइडी से भी सिम मिल रहे हैं।
डिस्ट्रीब्यूटर से रिटेलर तक की होती है मिलीभगत :
पिछले कई साल से डिस्ट्रीब्यूटर व रिटेलर निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के चक्कर में फर्जी सिम का कारोबार चला रहे हैं। यह फर्जीवाड़ा वितरकों, रिटेलरों व कंपनी के अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है। फर्जी फोटो व एड्रेस पर किसी भी व्यक्ति को फर्जी डेमो सिम बेचा जा रहा है, जिसका इस्तेमाल साइबर अपराध समेत कई गैर कानूनी कामों में हो रहा है। इसमें कौन सा व्यक्ति यह सिम चला रहा है, इसका कोई आधार नहीं होता।
टीआरएआइ के निर्देश का असर नहीं :
भारतीय दूरसंचार नियामक आयोग (टीआरएआइ) ने पूरे देश में एक आइडी पर केवली नौ सिम देने का निर्देश जारी किया है। इस निर्देश को भी फर्जीवाड़ा करने वालों पर कोई असर नहीं है। नौ सिम पूरा होने के बाद दूसरी फर्जी आइडी का इस्तेमाल कर लिए जा रहे हैं। ऐसे में टीआरआइ के निर्देश के बावजूद टेलीकॉम कंपनियों पर कोई असर नहीं पड़ा रहा है।
दिखावे का होता है वेरीफिकेशन :
टेलीकॉम कंपनियों द्वारा सिम देने के बाद नाम और एड्रेस का वेरीफिकेशन के बाद उसे एक्टिवेट करने का नियम है। कंपनी की कॉल आने या उस नंबर से कॉल करने की सूरत में वेरीफिकेशन होता है। लेकिन, सवाल यह है कि जो व्यक्ति फर्जी आइडी से सिम लिया हो, वही बताएगा। कंपनी भी डिस्ट्रीब्यूटर द्वारा भेजे गए आइडी प्रूफ को सही मानकर नियमों की खानापूर्ति करती है, जबकि दस्तावेज का सत्यापन नहीं होता।1फर्जी दस्तावेजों पर सिम एक्टिव किए जाने पर पहले भी कार्रवाई हुई। फिलहाल कई मामलों की जांच चल रही है। ऐसे दुकान या स्टॉलों पर सिम बिक्री करते पकड़े जाने पर सख्त कार्रवाई होगी।
-श्रद्धा केरकेट्टा, डीएसपी सह थाना प्रभारी साइबर थाना रांची।
टेलीकॉम विभाग की गाइडलाइन
-कस्टमर एक्विजिशन फॉर्म (सीएएफ) पर आइडी प्रूफ के साथ पासपोर्ट साइज का फोटोग्राफ लगा हो।
-सिम लेने वाले से फॉर्म भरवाने के साथ हस्ताक्षर लेना अनिवार्य।
-अनपढ़ व्यक्ति के अंगूठे का निशान फॉर्म में लिया जाए।
-दुकानदार को सीएएफ पर यह भी रिकॉर्ड करना है कि उसने सिम लेने वाले व्यक्ति को देखा है, फॉर्म में लगे फोटोग्राफ को मैच किया। एड्रेस और आइडेंटिटी प्रूफ को भी वेरिफाई करना है।
-फॉर्म में की गई एंट्री द्वारा सिम कार्ड की सेलिंग और एक्टीवेशन की डेट भी लिखना है।
-प्री एक्टिवेटेड सिम कार्ड नहीं बेचा सकता। ऐसा करने पर 50 हजार रुपये फाइन के रूप में वसूले जाने का प्रावधान है।
-सिम लेने के लिए गलत डॉक्यूमेंट देने पर दुकानदार 15 दिनों के भीतर एफआइआर दर्ज करवा सकते हैं।