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चारा घोटालाः लालू को जेल या बेल, फैसला कल; जानें-कब क्या हुआ

चारा घोटाला स्वतंत भारत के बिहार प्रांत का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला था।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 21 Dec 2017 07:15 PM (IST)Updated: Fri, 22 Dec 2017 05:48 PM (IST)
चारा घोटालाः लालू को जेल या बेल, फैसला कल; जानें-कब क्या हुआ
चारा घोटालाः लालू को जेल या बेल, फैसला कल; जानें-कब क्या हुआ

रांची, जेएनएन। देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में फैसला शनिवार को सुनाया जाएगा। शुक्रवार की शाम बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और जगन्नाथ मिश्र रांची पहुंच गए हैं। लालू के साथ तेजस्वी यादव भी हैं। 

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फैसले की तिथि सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत ने निर्धारित की है। चारा घोटाले में लालू-जगन्नाथ सहित 22 आरोपी न्यायालय में ट्रायल फेस कर रहे हैं। इस मामले में देवघर कोषागार से करीब 90 लाख रुपये निकासी की बात सामने आई है। मामले में 34 आरोपियों के खिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गई थी।

इसमें कई आरोपियों का निधन हो चुका है। वहीं, दो लोग सरकारी गवाह बन गए हैं। पीके जायसवाल व सुशील झा ने निर्णय पूर्व दोष स्वीकार किया था। मामले में पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, डॉ. आरके राणा, बिहार के पूर्व पशुपालन मंत्री विद्या सागर निषाद, पीएसी के पूर्व अध्यक्ष धु्रव भगत आदि राजनीतिक नेता, पशुपालन अधिकारी व आपूर्तिकर्ता शामिल हैं।

जानिए, कब क्या हुआ

चारा घोटाला स्वतंत भारत के बिहार प्रांत का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार घोटाला था, जिसमें पशुओं चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिए गए। सरकारी खजाने की इस चोरी में अन्य कई लोगों के अलावा बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव व पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र पर भी आरोप लगा। इस घोटाले के कारण लालू यादव को मुख्यमंत्री के पद से त्याग पत्र देना पड़ा। 

चारा घोटाला 1996 में सामने आने के बाद से लालू लगातार इसके केंद्र में रहे। साल 2013 में इस मामले से जुड़े 53 में से 44 मामलों में सुनवाई पूरी हुई। मामले से जुड़े 500 से ज्यादा लोगों को दोषी पाया गया और विभिन्न अदालतों ने उन्हें सजा सुनाई। इसी साल अक्टूबर में चारा घोटाले से ही जुड़े एक मामले में 37 करोड़ रुपये के गबन को लेकर लालू यादव को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई। बाद में इसी साल दिसंबर में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई।

जांच के दौरान सीबीआई ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के इस घोटाले के संबंधों का खुलासा किया। इसके बाद 10 मई 1997 को सीबीआई ने बिहार के राज्यपाल से लालू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसी दिन इस मामले से जुड़े बिजनेसमैन हरीश खंडेलवाल एक रेल पटरी पर मृत पाए गए।

राज्यपाल की अनुमति मिलते ही 17 जून 1997 को सीबीआई ने बिहार सरकार के पांच बड़े अधिकारियों को हिरासत में ले लिया। इनमें महेश प्रसाद, के. अरुमुगम, बेक जुलियस, फूलचंद सिंह और रामराज राम के नाम शामिल हैं।

23 जून 1997 को सीबीआई ने लालू यादव और 55 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रदेव प्रसाद वर्मा भी थे। जगन्नाथ मिश्रा को अग्रिम जमानत मिल गई, लेकिन लालू की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया। इसी दिन बिहार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और अगले दिन उन्हें जेल भेज दिया गया।

चारा घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री लालू यादव के खिलाफ रोष बढ़ने लगा तो उनकी पार्टी जनता दल में भी उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने को लेकर आवाजें उठने लगीं। इस बीच लालू ने 5 जुलाई को जनता दल के लगभग सभी विधायकों को लेकर अपनी अलग पार्टी 'राष्ट्रीय जनता दल' बना ली।

अलग पार्टी बनाने के बावजूद भी लालू यादव की मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं बच पायी। आखिरकार 25 जुलाई को इन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनवा दिया। 28 जुलाई 1997 को राबड़ी देवी की सरकार ने कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सहयोग से विश्वासमत हासिल कर लिया।

135 दिन न्यायिक हिरासत में रहने के बाद लालू यादव 12 दिसंबर 1997 को रिहा हुए। इसके बाद 28 अक्टूबर 1998 को उन्हें चारा घोटाले के ही एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें पटना की बेऊर जेल में रखा गया। जनानत मिलने के बाद 5 अप्रैल 2000 को उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में एक बार फिर गिरफ्तार किया गया। इस बार उन्हें 11 दिन जेल में बिताने पड़े। इसके बाद 28 नवंबर 2000 को लालू यादव ने चारा घोटाला मामले में ही 1 दिन और जेल में गुजारा।

चारा घोटाले से जुड़े अलग-अलग मामलों में लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा से साल 2000 में पुलिस ने कई बार पूछताछ की। साल 2007 में 58 पूर्व अधिकारियों और सप्लायरों को दोषी ठहराया गया और 5-6 साल की सजा सुनाई गई। मामला हाथ में लेने के 16 साल बाद एक मार्च 2012 को सीबीआई ने पटना कोर्ट में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा सहित 32 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

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