इनके हौसले को सलाम, गरीबों के लिए कर रहे हैं ये खास काम
जग्गू के दोनों हाथ नहीं हैं। लेकिन हौसले के दम पर इन्होंने समाज के लिए ऐसे-ऐसे काम किए जो बड़े-बड़े नहीं कर पाते।
अनुज, रांची। आज आसपास एक अलग सा माहौल है। युवाओं में घोर निराशा है। इसका नतीजा यह है कि युवा जीने की जगह मौत को गले लगा रहे हैं। परिस्थितियों से सामना करने के बजाय, कायरता का रास्ता अपना रहे हैं। कोई आर्थिक तंगी की वजह से, कोई पढ़ाई में असफल होने पर, तो किसी ने प्रेम में धोखा खाने के बाद खुदकुशी का रास्ता चुना। युवाओं को किसी परिस्थिति से घबराने की नहीं, बल्कि सामना करने की जरूरत है। अपने आसपास ही ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए न सिर्फ समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त किया, बल्कि लोगों का सहारा बनें। इन्हीं में से एक हैं रांची के जगदीश सिंह जग्गू।
जन्म से ही जग्गू के दोनों हाथ नहीं हैं। लेकिन अपने हौसले के दम पर इन्होंने समाज के लिए ऐसे-ऐसे काम किए जो बड़े-बड़े नहीं कर पाते। हाथों को कभी अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। ये अपने सभी काम स्वयं करते हैं। पैरों से लिखकर बीकॉम तक मारवाड़ी कॉलेज से एक सामान्य छात्र के रूप में पूरी की। कभी भी दिव्यांग कोटे का सहारा नहीं लिया। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा एजी ऑफिस में नियुक्ति हुई और वर्तमान में एकाउंटेंट के पद पर कार्यरत हैं।
गरीब मरीजों को उपलब्ध करा रहें हैं मुफ्त में दवा:
जगदीश ने वैसे अनेकों सामाजिक कार्य बिना सरकारी और एनजीओ की मदद से किये हैं। अभी हाल ही में इन्होंने गरीबों को मुफ्त में दवाएं उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। इसके लिए इन्होंने लोगों से अपने घर में बची हुई दवाओं को उनतक पहुंचाने की अपील की है, जिसे वो अस्पतालों तक पहुंचाते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि दवाएं गरीब मरीजों को मिले। इनके इस सामाजिक कार्य में कई लोग इनके साथ आ रहे हैं। मेहनत रंग ला रही है।
ग्रामीण इलाकों में खुलवाएं हैं स्कूल :
जग्गू की पहल से रांची जिले के ग्रामीण इलाकों में दो स्कूल खोले गए, वो भी बिना किसी संस्था और सरकार की सहायता से। राढ़ा और खरमू में आज से 15 साल पहले इनके द्वारा किए गए प्रयास से गांव की लड़कियों को प्रारंभिक शिक्षा मिल सकी। इनके इस कार्य में गांव वालों ने ही मदद की। किसी ने जमीन दी तो किसी न ईंट तो किसी ने अन्य सामग्री। पढ़े लिखे युवकों ने शिक्षकों की भूमिका निभाई। आज इनके द्वारा राढ़ा में खोले गए विद्यालय को सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया है।
झारखंड सरकार ने किया है सम्मानित
जगदीश को बिना किसी सरकारी मदद के समाज के लिए अहम योगदान देने के लिए राज्य सरकार द्वारा दो बार सम्मानित किया जा चुका है। इन्हें सरकार द्वारा झारखंड और झारखंड सेवा के पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। मेकॉन द्वार इन्हें बिरसा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इनके द्वारा निर्देशित नाटक को अखिल भारतीय लघु नाट्य प्रतियोगिता में पुरस्कृत किया गया है।
गरीब विद्यार्थियों को मुफ्त देते हैं शिक्षा
जगदीश सिंह जग्गू को आज भी तलाश रहती है उन गरीब बच्चों को जो कामर्स की कोचिंग लेने में असमर्थ रहते हैं। ये न सिर्फ उनके लिए समय निकालकर उनको पढ़ाते हैं, बल्कि उन्हें किताबें भी मुहैया कराते हैं। संपन्न विद्यार्थियों से ये अपील करते हैं कि अपनी पढ़ाई के बाद पुस्तकें उनको दे ताकि उन किताबों से गरीब बच्चों की पढ़ाई हो सके।
जानिए, क्या कहते हैं जग्गू
आज आसपास बढ़ रही खुदकुशी के मामलों पर बात करते हुए जग्गू युवाओं को संदेश देते हुए कहते हैं कि जिंदगी जीने के लिए होती है, खुद के लिए जिओ, अपनों के लिए जियो और समाज के लिए जियो। ऐसा कोई भी इंसान नहीं जिसके जीवन में कभी निराशा न आए। जरूरत है तो डट कर सामना करने की। मैंने भी अपनी जिंदगी में इस दौर का सामना किया, हिम्मत नहीं हारी।
जब मैंने हिम्मत नहीं हारी तो आप क्यों हारते हैं। युवाओं को सकारात्मक सोचना होगा, उनके पास समाज के लिए देने को बहुत कुछ है। बस सही दिशा में चलना है। अपनी जान देना कायरता का प्रतीक है, कायर मत बनों, घर वालों को और समाज को तुम्हारी बहुत जरूरत है।
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