झारखंड मूल्यवर्धित कर संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित
विधानसभा में झारखंड मूल्यवर्धित कर संशोधन विधेयक 2017 पारित किया गया।
रांची, जेएनएन। झारखंड विधानसभा में गुरुवार को झारखंड मूल्यवर्धित कर संशोधन विधेयक 2017
और झारखंड नगरपालिका संशोधन विधेयक 2017 पारित किया गया। मेडिकल प्रोटेक्शन बिल पर प्रवर समिति का प्रतिवेदन भी सभा पटल पर रखा गया।
मेडिकल प्रोटेक्शन बिल पर प्रवर समिति ने अपनी रिपोर्ट दी है। अब इस रिपोर्ट पर सरकार विचार करेगी। आवश्यकता पड़ने पर विधेयक में संशोधन कर अगले सत्र में इस बिल लाया जाएगा।
निजी स्कूलों की मनमानी रोकने वाला विधेयक लटका
निजी स्कूलों की मनमानी रोकने तथा उनके द्वारा बच्चों से लिए जाने वाले शुल्क बढ़ाने पर नियंत्रण को लेकर प्रस्तावित झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) विधेयक-2017 लटक गया। इससे सरकार को करारा झटका लगा है। गुरुवार को विधानसभा में इसे पास कराने के दौरान सरकार की खूब फजीहत भी हुई। स्थिति यहां तक पहुंच गई कि इसे प्रवर समिति को सौंपने का प्रस्ताव एक बार अस्वीकृत होने के बाद भी स्पीकर को इसे प्रवर समिति को सौंपना पड़ा। प्रवर समिति 15 दिनों में संशोधन विधेयक पर अपनी रिपोर्ट देगी। दरअसल, झामुमो के वेल में हंगामे के बीच मंत्री नीरा यादव द्वारा सदन में संशोधन विधेयक प्रस्तुत करने के बाद कांग्रेस विधायक बादल पत्रलेख ने इसे प्रवर समिति को सौंपने सहित तीन संशोधन प्रस्ताव पटल पर रखा।
इसमें एक प्रस्ताव था कि फीस नियंत्रण को लेकर गठित होने वाली जिलास्तरीय समिति में संबंधित क्षेत्र के स्थानीय विधायकों को पदेन सदस्य के रूप में शामिल किया जाए। जब इस संशोधन प्रस्ताव पर सदन की राय ली जाने लगी तो सत्तापक्ष के विधायकों ने भी इस प्रस्ताव पर अपनी हामी भर दी। इससे सरकार को असहजता का सामना करना पड़ा। शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन की पहली पाली में भी सदन आर्डर में नहीं चला। पक्ष-विपक्ष में कई मसलों पर तीखी नोकझोंक हुई, विपक्ष वेल में भी दिखा। इस कारण कार्यवाही लगभग एक घंटे तक नहीं चली। प्रश्नकाल नहीं हो सका। सवाल अनुत्तरित रह गए। 12.45 बजे जब दूसरी बार कार्यवाही शुरू हुई तो विपक्ष ने फिर हंगामा किया। मात्र 15 मिनट में स्पीकर दिनेश उरांव ने कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
विधानसभा में झामुमो के हंगामे के बीच गुरुवार को चार विधेयक पारित हो गए। इनमें अनिवार्य विवाह निबंधन विधेयक, झारखंड राज्य खेल विश्वविद्यालय विधेयक, कोर्ट फीस संशोधन विधेयक तथा विनियोग विधेयक जैसे महत्वपूर्ण विधेयक शामिल हैं। सदन में इनपर कोई चर्चा नहीं हुई। सरकार ने चारों विधेयकों को पारित करा लिया। इसपर न तो विपक्ष न ही सत्ता पक्ष का कोई विधायक अपनी बात रख सका। लगभग आधे घंटे में ही सारे विधेयक पास हो गए। झामुमो के हंगामा तथा सदन में भारी शोरशराबे के बीच 2761.42 करोड़ का दूसरा अनुपूरक बजट भी पास हो गया।
सदन में लहराया दैनिक जागरण, गूंजा बकोरिया फर्जी मुठभेड़ का मामला
विधानसभा में गुरुवार को पलामू के सतबरवा स्थित बकोरिया फर्जी मुठभेड़ कांड गूंजा। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा। झाविमो विधायक प्रदीप यादव ने दैनिक जागरण की प्रति लहराते हुए इस मसले पर कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश किया। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन, कांग्रेस विधायक सुखदेव भगत और विपक्ष के तमाम विधायकों ने बकोरिया फर्जी मुठभेड़ कांड का मसला उठाते हुए पूरे मामले की सीबीआइ जांच की मांग की।
झारखंड में अब विवाह का निबंधन कराना अनिवार्य
झारखंड में विवाह का निबंधन अब अनिवार्य हो गया है। विधानसभा में गुरुवार को झारखंड अनिवार्य विवाह निबंधन विधेयक-2017 पारित हो गया। अब इसे राज्यपाल की स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा। राज्यपाल की स्वीकृति के बाद यह कानून के रूप में लागू हो जाएगा। इस कानून के प्रभावी होने से सभी को विवाह का निबंधन तत्काल कराना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर प्रतिदिन पांच रुपये की दर पर जुर्माना देना होगा। यह जुर्माना अधिकतम 100 रुपये होगा।
इसके अलावा विवाह के बारे में कोई झूठी जानकारी या किसी विवाह का गलत तरीके से विरोध करने पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है। विवाह के संबंध में झूठी जानकारी देने पर 5,000 रुपये जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। कोई व्यक्ति दूसरी शादी करना चाहेगा तो उसके बारे में आराम से जानकारी निबंधन कार्यालय को मिल जाएगी। इसी प्रकार बाल विवाह भी नियंत्रित होगा। उल्लेखनीय है कि विवाह अनिवार्य निबंधन अधिनियम बहुविवाह और बाल विवाह पर अंकुश लगाने को लेकर विशेष प्रयास है। पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में पहले से ही यह कानून प्रभावी है।
झामुमो पर बरसे रघुवर, हेमंत का पलटवार
विधानसभा में गुरुवार को एक समय मुख्यमंत्री रघुवर दास और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन के बीच गरमागरम बहस हो गई। दूसरी पाली में भी झामुमो विधायकों द्वारा वेल में लगातार हंगामा और नारेबाजी किए जाने के दौरान मुख्यमंत्री थोड़ी देर के लिए नाराज हो गए। उन्होंने खड़े होकर गुस्से में झामुमो विधायकों को कहा कि सदन को मजाक बनाकर रखा है। जनता के मुद्दे विधायक रखना चाहते हैं तो रखने नहीं दे रहे हैं।
इस पर नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन भी बिफर उठे। उन्होंने पलटवार करते हुए मुख्यमंत्री से कहा कि उन्होंने तो राज्य को मजाक बनाकर रख दिया है। फर्जी मुठभेड़ हो रहा है, लोग भूख से मर रहे हैं। इसकी कोई चिंता नहीं है। इसके बाद झामुमो विधायक और सत्तापक्ष के विधायकों ने एक-दूसरे के विरुद्ध नारेबाजी शुरू कर दी। बाद में मुख्यमंत्री ने ही सत्तापक्ष के विधायकों को बैठाया।
मेरे पति की हत्या की हो रही साजिश : निर्मला देवी
कांग्रेस विधायक निर्मला देवी ने पुलिस प्रशासन पर अपने पति पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की हत्या की साजिश का आरोप लगाया है। गुरुवार को विधानसभा में उन्होंने इस मसले को उठाया।
हेमंत सरकार ने भी की थी कोशिश
तीसरी बार सदन में रखा जाएगा बिलप्रवर समिति की अनुशंसा तथा उसके आलोक में बिल के प्रावधानों में आंशिक संशोधन के बाद मेडिकल प्रोटेक्शन विधेयक तीसरी बार सदन के पटल पर रखा जाएगा। मूल विधेयक के कुछ प्रावधानों में आंशिक संशोधन किया गया है। इसमें जहां प्रस्तावित कानून की कुछ बारीकियों को स्पष्ट किया गया है, वहीं प्रावधान में दंड की सीमाओं को कुछ कम किया गया है। साथ ही मरीजों के कुछ अधिकार बढ़ाए गए हैं।
राज्य सरकार ने बीते 11 अगस्त को विधानसभा में इस विधेयक को पेश किया था। लेकिन प्रावधानों पर सदस्यों द्वारा एक स्वर में आपत्ति किए जाने पर इसे दोबारा प्रवर समिति को सौंप दिया गया। इससे पहले नौ मई को राज्य मंत्रिपरिषद ने इस विधेयक को स्वीकृत किया था। पूर्ववर्ती हेमंत सरकार ने भी इस विधेयक को सदन में पास कराने की कोशिश की थी, लेकिन उस समय भी इसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया था। बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया था।
जानिए, क्या है मेडिकल प्रोटेक्शन विधेयक
- चिकित्सकों व कर्मियों से मारपीट और चिकित्सा संस्थानों को नुकसान पहुंचाना संगीन अपराध।
- मारपीट करने वालों को भरना होगा 50 हजार जुर्माना। जेल का भी प्रावधान।
- आरोप प्रमाणित हुआ तो चुकानी होगी क्षति की दोगुना रकम। आकलन न्यायिक पदाधिकारी करेंगे।
- अस्पतालों और डाक्टरों को तमाम जानकारी मरीजों के परिजनों को देनी होगी।-आपात स्थिति में तत्काल देनी होगी चिकित्सा सुविधा।
- पैसे के लिए शव नहीं रोक सकेंगे अस्पताल। उल्लंघन करने पर हो सकता है निबंधन रद।
- निबंधित अस्पताल व नर्सिग होम आएंगे एक्ट के दायरे में।
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