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रोजगार के अवसर, देवघर और रांची में खुलेंगे कॉल सेंटर

सरकार की इंडिया बीपीओ प्रमोशन स्कीम में सरकार प्रत्येक सीट के लिए एक लाख रुपये की सब्सिडी देती है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 02:24 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 02:24 PM (IST)
रोजगार के अवसर, देवघर और रांची में खुलेंगे कॉल सेंटर
रोजगार के अवसर, देवघर और रांची में खुलेंगे कॉल सेंटर

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो।सरकार की इंडिया बीपीओ प्रमोशन स्कीम ने झारखंड के रांची और देवघर जैसे शहरों में रोजगार की नई संभावनाओं को जन्म दिया है। देश के अन्य छोटे शहरों में बीपीओ यानी बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिग इकाइयों (मुख्य तौर पर कॉल सेंटर) को बढ़ावा देने वाली सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय की इस स्कीम की पांचवे दौर की निविदा प्रक्रिया में इन शहरों के लिए तमाम कंपनियों ने बोली लगायी है।

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इस दौर में कुल 17000 सीटों के लिए बोली लगी थी, जिनमें से 14000 सीटों वाले बीपीओ स्थापित होना लगभग तय हो गया है। बीपीओ सीट आवंटन के अब तक हुए पांच दौर में कुल 35160 सीटों पर फैसला लिया जा चुका है। इससे लगभग 88 शहरों में विभिन्न छोटी-बड़ी कंपनियां बीपीओ यूनिट शुरू कर चुकी हैं या शुरू करने वाली हैं। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार की बीपीओ नीति का उद्देश्य बीपीओ इंडस्ट्री को महानगरों से निकालकर छोटे शहरों तक ले जाना है।

उत्तर प्रदेश के देवरिया, फर्रुखाबाद, मथुरा, बिहार के जहानाबाद, गया, झारखंड के रांची जैसे शहरों में रोजगार की नई संभावनाओं को जन्म दिया है। छोटे शहरों में बीपीओ यानी बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग इकाइयों (मुख्य तौर पर कॉल सेंटर) को बढ़ावा देने वाली सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की इस स्कीम की पांचवें दौर की निविदा प्रक्रिया में इन शहरों के लिए तमाम कंपनियों ने बोली लगाई है। इस दौर में कुल 17000 सीटों के लिए बोली लगी थी, जिनमें से 14000 सीटों वाले बीपीओ स्थापित होना लगभग तय हो गया है।

बीपीओ सीट आवंटन के अब तक हुए पांच दौर में कुल 35160 सीटों पर फैसला लिया जा चुका है। इससे लगभग 88 शहरों में विभिन्न छोटी-बड़ी कंपनियां बीपीओ यूनिट शुरू कर चुकी हैं या शुरू करने वाली हैं। हालांकि अभी पांचवे दौर की निविदा प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार की बीपीओ नीति का उद्देश्य बीपीओ इंडस्ट्री को महानगरों से निकालकर छोटे शहरों तक ले जाना है। इससे छोटे शहरों के युवाओं के सपनों को पूरा करने में मदद मिलेगी और उन्हें अपने ही शहरों में रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। प्रसाद ने कहा कि यह सरकार की समावेशी डिजिटल विकास की नीति का ही परिणाम है।

इससे पहले हुई चार निविदाओं में बीपीओ के लिए 87 कंपनियों के 109 बीपीओ में 18160 सीटों का आवंटन किया जा चुका है। ये बीपीओ 19 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में स्थापित किए जाने हैं। इनमें से 17 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 48 शहरों में 76 इकाइयों ने कामकाज शुरू किया है। उन्होंने अपनी इकाइयों में 13480 सीटें तैयार की हैं। इनमें फिलहाल दस हजार से अधिक लोग काम कर रहे हैं। वैसे इनमें अगर तीनों शिफ्टों में काम होता है तो सीटों के मुकाबले तीन गुना तक रोजगार पैदा होते हैं। इस स्कीम की शुरुआत तीन साल पहले 2014 में हुई थी।

जिन शहरों में अब तक बीपीओ स्थापित किये जा चुके हैं उनमें बिहार के पटना और मुजफ्फरपुर, छत्तीसगढ़ के रायपुर, हिमाचल प्रदेश के शिमला और बद्दी, मध्य प्रदेश के सागर, ओडिशा के भुवनेश्वर, कटक और जलेश्वर, जम्मू कश्मीर के भद्रवाह, बडगाम, जम्मू, सोपोर, श्रीनगर और उत्तर प्रदेश के बरेली, कानपुर और वाराणसी शामिल हैं। पांचवें दौर में लगने वाले बीपीओ के शहरों की सूची में पंजाब के पठानकोट व अमृतसर, मध्य प्रदेश के रायसेन और ग्वालियर और झारखंड का देवघर भी शामिल हैं।

प्रसाद ने बताया कि सरकार की इंडिया बीपीओ प्रमोशन स्कीम में सरकार प्रत्येक सीट के लिए एक लाख रुपये की सब्सिडी देती है। इस स्कीम के तहत पूरे देश में 48300 सीटों वाले बीपीओ छोटे शहरों में स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। हालांकि प्रसाद ने बताया कि स्कीम की सफलता को देखते हुए उन्होंने अधिकारियों को सीटों की संख्या बढ़ाने का निर्देश दिया है। प्रसाद ने कहा कि वे खुद इस बात की निगरानी कर रहे हैं कि देश के तमाम छोटे-छोटे शहरों में बीपीओ पहुंचें, जिससे वहां के नौजवान पीढ़ी को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध हो सकें और उन्हें इसके लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़े।

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