भारी विरोध के बीच बिना चर्चा के चार विधेयक पारित
भूमि अधिग्रहण बिल वापस लेने सहित अन्य मांगों को लेकर झामुमो और कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया।
रांची, ब्यूरो। झारखंड विधानसभा में आज फिर हंगामा हुआ। भूमि अधिग्रहण बिल वापस लेने सहित अन्य मांगों को लेकर झामुमो और कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा परिसर में प्रदर्शन किया।
बकोरिया फर्जी मुठभेड़ कांड को लेकर प्रदीप यादव कार्य स्थगन प्रस्ताव लाए। उन्होंने कहा कि फर्जी मुठभेड़ की सीबीआइ जांच हो। लगातार दूसरे दिन हंगामे के चलते विधानसभा की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी गई।
इसके बाद झामुमो ने दूसरी पाली में भी सदन चलने नहीं दिया। कार्यवाही अपराह्न तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। स्थानीय नीति रद करने की मांग को झामुमो के विधायक वेल में पहुंचे। सरकार के विरोध में नारेबाजी की।
तीन बजे के बाद झामुमो के भारी विरोध के बीच बिना चर्चा के चार विधेयक पारित किए गए। इनमें अनिवार्य विवाह निबंधन विधेयक भी शामिल है।
निजी स्कूलों के मनमानी रोकने के लिए लाए गए झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण विधेयक पर सरकार परेशानी में पड़ गई है। समिति में स्थानीय विधायकों को भी शामिल करने के संशोधन के प्रस्ताव पर सत्ता पक्ष के विधायकों ने भी हामी भर दी। इसके बाद इसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया। विपक्ष ने इस पर मुख्यमंत्री रघुवर दास के अपने विधायकों और सदन का विश्वास खो देने का आरोप लगाते हुए इस्तीफे की मांग की।
शोरशराबे के बीच 2761.42 करोड़ का अनुपूरक बजट पेश
विधानसभा के शीतकालीन सत्र का दूसरा दिन हंगामे की भेंट चढ़ गया। हंगामे के कारण कार्यवाही पहले 12.30 बजे तक स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद जब कार्यवाही आऱंभ हुई तो नजारा वही था, लिहाजा झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों समेत झाविमो के प्रदीप यादव की बेल में मौजूदगी के बीच संसदीय कार्यमंत्री सरयू राय ने 2761.42 करोड़ रुपये का दूसरा अनुपूरक बजट पेश किया। इसके बाद सदन की कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।
दरअसल, बुधवार को सदन की शुरुआत के पहले ही इसके संकेत मिल गए थे। सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही भाजपा के ज्यादातर विधायक उठ खड़े हुए। वे पाकुड़ में चुंबन प्रतियोगिता का विरोध कर रहे थे। स्पीकर ने कार्यमंत्रणा समिति में हुए निर्णय का जिक्र करते हुए सदस्यों से प्रश्नकाल को बाधित नहीं करने का अनुरोध किया। तत्काल सदन आर्डर में आया तो झाविमो के प्रदीप यादव ने गोड्डा में अडाणी पावर प्रोजेक्ट को लेकर परेशानियों का जिक्र किया। उधर, सत्तापक्ष से राधाकृष्ण किशोर उठ खड़े हुए और चुंबन प्रतियोगिता को आधी आबादी का अपमान बताते हुए चर्चा की मांग की।
सत्तापक्ष की ओर से आवाज आई..शेम..शेम। इस पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक भी उठ खड़े हुए। एक-दूसरे पर टीका-टिप्पणी का दौर शुरू हो गया। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन बोले-जमीन की दलाली शुरू हो गई है। राधाकृष्ण किशोर के तेवर नरम नहीं पड़े थे। उन्होंने कहा कि झामुमो चुंबन प्रतियोगिता को परंपरा बता रहा है तो क्या सदन भी ऐसा मानता है? स्पीकर ने दर्शक दीर्घा में मौजूद योगदा विद्यालय के बच्चों की ओर ध्यान दिलाते विधायकों से सदन चलाने का आग्रह किया।
हेमंत सोरेन ने कहा कि जमीन अधिग्रहण पर चर्चा करानी चाहिए। उन्होंने राधाकृष्ण किशोर को हल्की बातें रखने वाला बताया। हेमंत सोरेन ने कहा कि सदन की कार्यवाही मोरहाबादी मैदान में करानी चाहिए ताकि राज्य की जनता देखे कि कैसे सत्तापक्ष काम कर रहा है। इसके बाद स्पीकर ने कार्य स्थगन की चार सूचनाओं को रद कर दिया। झामुमो विधायकों ने लगातार विरोध का क्रम जारी रखा तो स्पीकर ने कार्यवाही 12.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। इसके बाद कार्यवाही शुरू हुई तो झामुमो के सदस्य फिर बेल में धमके तो स्पीकर ने कार्यवाही गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी।
चुंबन प्रतियोगिता विवाद पर साइमन मरांडी ने साधी चुप्पी
कल तक चुंबन प्रतियोगिता को लेकर मुखर रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक साइमन मरांडी बुधवार को बैकफुट पर थे। पहले उन्होंने मीडिया को देखकर कन्नी काटनी चाही लेकिन घिर जाने पर कुछ देर खड़े रहे। संवाददाताओं ने जब सवाल दागा तो उन्होंने पूरी तरह चुप्पी साध ली। बाद में वे किसी प्रकार अपनी गाड़ी पर सवार होकर बाहर निकले। बार-बार कुरेदे जाने के बाद भी उन्होंने मुंह नहीं खोला। गौरतलब है कि साइमन मरांडी ने मंगलवार को कहा था कि चुबंन प्रतियोगिता पंरपरा है और यह आगे भी होता रहेगी। संभवत: झारखंड मुक्ति मोर्चा द्वारा कारण बताओ नोटिस दिए जाने के कारण साइमन मरांडी को चुप्पी साधना पड़ा। झामुमो ने उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए एक सप्ताह का वक्त दिया है।
नहीं था दूसरी पाली में बिजनेस
बुधवार को सदन की दूसरी पाली नहीं चली। दरअसल दूसरी पाली में कोई बिजनेस ही नहीं था। मंगलवार को इस बाबत विषय तय करने के लिए स्पीकर ने अपने कक्ष में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक की थी लेकिन उसमें भी निर्णय नहीं हो पाया। कोई काम नहीं होने के कारण स्पीकर ने गुरुवार तक के लिए कार्यवाही स्थगित कर दी।
एक-दूसरे के खिलाफ बाहर भी नारेबाजी
विधानसभा कार्यवाही शुरू होने के पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के सदस्य नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन की अगुवाई में मुख्य द्वार पर प्रदर्शन करने लगे। वे जमीन अधिग्रहण विधेयक और स्थानीयता नीति का विरोध कर रहे थे। नारेबाजी के दौरान पीछे से भाजपा के विधायक भी आ धमके। वे अपने हाथों में चुंबन प्रतियोगिता के विरोध में तख्तियां लिए हुए थे। झामुमो के विधायक आगे थे और भाजपा के विधायक पीछे। इस दौरान अफरातफरी की स्थिति बनी रही। विधानसभा के सुरक्षाकर्मी भी परेशान दिखे। थोड़ी देर बाद भाजपा के विधायक अलग हटकर नारेबाजी करने लगे।
चार कार्यस्थगन प्रस्ताव निरस्त
स्पीकर ने बुधवार को कार्यस्थगन के चार प्रस्ताव निरस्त किए। झामुमो विधायक अमित महतो और दीपक बिरूआ ने भूमि अधिग्रहण बिल वापस लेने की मांग की थी जबकि जगरनाथ महतो स्थानीयता नीति का विरोध कर रहे थे। झाविमो के प्रदीप यादव ने गोड्डा में अडाणी पावर को जमीन देने में हो रहे जुल्म का मामला उठाया था। वे इसपर कार्यस्थगन की मांग कर रहे थे। स्पीकर ने चारों कार्यस्थगन प्रस्ताव को अमान्य कर दिया।
जानिए, क्या है अनुपूरक बजट में
दूसरे अनुपूरक बजट की राशि 2761.42 करोड़-इसमें 732.14 करोड़ राज्य स्कीम, 246.45 करोड़ सेंट्रल स्कीम, 254.70 करोड़ रुपये केंद्रांश और 295.84 करोड़ रुपये राज्यांश मद में।
-स्थापना व्यय मद में 1232,29 करोड़।
-सरकार पर पड़ेगा 1177.88 करोड़ का शुद्ध अतिरिक्त भार।
-पूर्व के द्वितीय अनुपूरक बजट से काफी कम राशि।
क्या होगा इस राशि से
जसीडीह-पीरपैंती नई रेल लिंक का काम। 20 करोड़ का प्रावधान।
-ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन में शौचालयों के लिए 30 करोड़। पाइप के लिए 40 करोड़।
-बिरसा कृषि विवि में वेतन के लिए 23.47 करोड़, ग्रामीण कृषि हाट के लिए 15.7 करोड़ और मत्स्य बीज हैचरी के लिए 4.80 करोड़।
-शिक्षकों एवं उर्दू शिक्षकों के लिए 18.50 करोड़ और 15 करोड़।
-पॉलीटेक्निक कालेजों के फर्नीचर आदि के लिए 15 करोड़।
-सरकारी भवनों की मरम्मत के लिए 26 करोड़।
-कोनार सिंचाई परियोजना के लिए 20 करोड़। अन्य योजनाओं के लिए 36 करोड़।
-रांची के दो फ्लाइ ओवर समेत चार पथों के लिए 152.89 करोड़।
-छात्रवृत्ति के लिए 21.97 करोड़। ट्राइबल विकास के लिए 10 करोड़।
-वृक्षारोपण के लिए 9.62 करोड़ और वन विभाग में वेतन आदि के लिए 13.96 करोड़।
-औद्योगिक इकाइयों को नेट वैट सब्सिडी के लिए 16.97 करोड़।
-पात्र गृहस्थ योजना के लिए 19.06 करोड़। मातृ वंदना योजना पर 13.65 करोड़।
-स्वास्थ्य विभाग में वेतन के लिए 152.80 करोड़।
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