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चारा घोटाला: कोर्ट में उपस्थित हुए लालू, हैदराबाद व पटना से लाएंगे अधिवक्ता

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राष्ट्रीय जनता दल प्रमुख लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले में सीबीआइ कोर्ट में उपस्थित हुए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Mon, 20 Nov 2017 10:44 AM (IST)Updated: Tue, 21 Nov 2017 09:13 AM (IST)
चारा घोटाला: कोर्ट में उपस्थित हुए लालू, हैदराबाद व पटना से लाएंगे अधिवक्ता
चारा घोटाला: कोर्ट में उपस्थित हुए लालू, हैदराबाद व पटना से लाएंगे अधिवक्ता

जागरण संवाददाता, रांची। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद ने सोमवार को चारा घोटाले के तीन मामलों में सीबीआइ के दो विशेष कोर्ट में हाजिरी लगाई। लालू ने हैदराबाद हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह और पटना हाई कोर्ट के अधिवक्ता चितरंजन सिन्हा को लाने की इच्छा न्यायालय से जताई है।

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देवघर कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में लालू ने सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में आवेदन देकर इन अधिवक्ताओं से फाइनल बहस कराने की मांग की। अदालत में इसपर सुनवाई लंबित है। इधर, दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 38ए/96 में लालू प्रसाद का बयान 23 नवंबर को दर्ज होगा। अदालत ने लालू के बयान के लिए पूर्व में ही तिथि निर्धारित की थी।

लेकिन, कोर्ट के बुलावे पर लालू प्रसाद को बीच में ही सोमवार को उपस्थित होना पड़ा। लालू ने अदालत से खुद को बीमार होने की बात भी बताई। न्यायालय में बयान दर्ज कराने को लेकर लालू प्रसाद 22 नवंबर को एक बार फिर रांची आएंगे। लालू प्रसाद चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत में भी उपस्थित हुए।

चार आरोपियों का बयान दर्ज

दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में पीएसी के पूर्व अध्यक्ष जगदीश शर्मा, पूर्व सांसद डॉ. आरके राणा, तत्कालीन पशुपालन अधिकारी डॉ. मनोरंजन प्रसाद और आपूर्तिकर्ता लाल मोहन गोप ने बयान दिया। अदालत के सवालों के जवाब में जगदीश शर्मा ने कहा कि उन्होंने कोई गलत कार्य नहीं किया। कोई रिपोर्ट गलत नहीं बनाई और न ही रिपोर्ट को छुपाया। 

गौरतलब है कि करीब 900 करोड़ रुपये के चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा मुख्य आरोपी हैं। साल 1996 में सामने आया चारा घोटाला पिछले करीब 20 साल से जारी था। इसमें जानवरों के लिए चारा, दवाएं और पशुपालन से जुड़े उपकरणों को लेकर घोटाले को अंजाम दिया गया। इसमें नौकरशाहों, नेताओं और इस बिजनेस से जुड़े लोग भी शामिल थे।

साल 2013 में इस मामले से जुड़े 53 में से 44 मामलों में सुनवाई पूरी हुई। मामले से जुड़े 500 से ज्यादा लोगों को दोषी पाया गया और विभिन्न अदालतों ने उन्हें सजा सुनाई। चारा घोटाले से ही जुड़े एक मामले में 37 करोड़ रुपये के गबन को लेकर लालू यादव को दोषी पाते हुए सजा सुनाई गई। बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई।

जांच के दौरान सीबीआई ने बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के इस घोटाले के संबंधों का खुलासा किया। इसके बाद 10 मई, 1997 को सीबीआई ने बिहार के राज्यपाल से लालू के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसी दिन इस मामले से जुड़े बिजनेसमैन हरीश खंडेलवाल एक रेल पटरी पर मृत पाए गए।

राज्यपाल की अनुमति मिलते ही 17 जून, 1997 को सीबीआई ने बिहार सरकार के पांच बड़े अधिकारियों को हिरासत में ले लिया। इनमें महेश प्रसाद, के. अरुमुगम, बेक जुलियस, फूलचंद सिंह और रामराज राम के नाम शामिल हैं।

23 जून, 1997 को सीबीआई ने लालू यादव और 55 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा व पूर्व केंद्रीय मंत्री चंद्रदेव प्रसाद वर्मा भी थे। जगन्नाथ मिश्रा को अग्रिम जमानत मिल गई, लेकिन लालू की अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई और 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया। इसी दिन बिहार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और अगले दिन उन्हें जेल भेज दिया गया।

चारा घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री लालू यादव के खिलाफ रोष बढ़ने लगा तो उनकी पार्टी जनता दल में भी उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने को लेकर आवाजें उठने लगीं। इस बीच, लालू ने 5 जुलाई को जनता दल के लगभग सभी विधायकों को लेकर अपनी अलग पार्टी 'राष्ट्रीय जनता दल' बना ली।

अलग पार्टी बनाने के बावजूद भी लालू यादव की मुख्यमंत्री की कुर्सी नहीं बच पाई। आखिरकार 25 जुलाई को इन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमंत्री बनवा दिया। 28 जुलाई, 1997 को राबड़ी देवी की सरकार ने कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सहयोग से विश्वासमत हासिल कर लिया।

135 दिन न्यायिक हिरासत में रहने के बाद लालू यादव 12 दिसंबर, 1997 को रिहा हुए। इसके बाद 28 अक्टूबर, 1998 को उन्हें चारा घोटाले के ही एक अन्य मामले में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें पटना की बेऊर जेल में रखा गया। जनानत मिलने के बाद 5 अप्रैल, 2000 को उन्हें आय से अधिक संपत्ति मामले में फिर गिरफ्तार किया गया। इस बार उन्हें 11 दिन जेल में बिताने पड़े। इसके बाद 28 नवंबर, 2000 को लालू यादव ने चारा घोटाला मामले में ही 1 दिन और जेल में गुजारा।

चारा घोटाले से जुड़े अलग-अलग मामलों में लालू यादव और जगन्नाथ मिश्रा से साल 2000 में पुलिस ने कई बार पूछताछ की। साल 2007 में 58 पूर्व अधिकारियों और सप्लायरों को दोषी ठहराया गया और 5-6 साल की सजा सुनाई गई। मामला हाथ में लेने के 16 साल बाद एक मार्च 2012 को सीबीआई ने पटना कोर्ट में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा सहित 32 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

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