झारखंड के कारीमाटी में एक और पीपली लाइव
संतोषी के बड़े चाचा का घर तो महज कुछ टहनियों, पत्तों और प्लास्टिक से बना है।
राज्य ब्यूरो, रांची। पीपली लाइव का बुधिया आपको याद होगा और इसके अन्य किरदार भी। अगर कुछ भूले हैं तो एक बार जरूर सिमडेगा जिले (झारखंड) के कारीमाटी गांव में आकर देख लें। यह गांव आज तक पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के दौरे को लेकर जिले के लोगों के बीच चर्चा में रहा, लेकिन इस नई कहानी से इस गांव की चर्चा पूरे देश में हो रही है। पीपली लाइव की तरह ही यह देश की एक गंभीर समस्या के इर्द-गिर्द रची बुनी कहानी को समेटे हुए है।
पीपली में जहां किसानों की मौत पर कहानी बुनी गई थी वहीं कारीमाटी में भूख से मौत का मामला है। रहन-सहन, पहनावा, मिट्टी में सने कपड़े, नदी, पहाड़ आदि वैसे ही दिख रहे हैं। सुबह से ही मीडिया का जुटान होता है। साथ में आते हैं सामाजिक कार्यकर्ता, नेता, मुखिया-सरपंच, पुलिस और अधिकारी। ग्रामीणों के पास बीबीसी से लेकर अमेरिकी मीडिया तक के प्रतिनिधि पहुंचे। सबने अपनी-अपनी कहानी बनाई, लेकिन संतोषी और उसकी मां कोयली ही गांव की असली कहानी है।
गांव में सबसे जर्जर घर होने के बाद भी प्रधानमंत्री आवास योजना के 700 से अधिक लाभुकों की प्राथमिकता सूची में संतोषी के परिजनों का नाम नहीं है। संतोषी के बड़े चाचा का घर तो महज कुछ टहनियों, पत्तों और प्लास्टिक से बना है। इस परिवार के पास राशन कार्ड भी नहीं है। और सुनिए, कभी पुलिस को देखकर भागने और छिपनेवाले इस परिवार की सुरक्षा में एक अधिकारी और चार जवान लगाए गए हैं। चार चौकीदार की डयूटी अलग से लगी है। सभी आने-जाने वाले लोगों पर निगरानी रख रहे हैं।
प्रखंड कार्यालय का एक कर्मचारी आने-जाने वालों का लेखा-जोखा रख रहा है। सबसे नाम लिखकर हस्ताक्षर करने का आग्रह भी विनम्रता से करता है। सहसा आपको विश्वास नहीं होगा कि यह उन्हीं प्रखंड कर्मियों की टीम का सदस्य है जो हमेशा रौब में रहते हैं। पुलिस की तो पूछिए ही नहीं। बड़ी सज्जनता से आपके पास बैठ जाएंगे। बिना कुछ बोले मुस्कुराते हुए बातें सुनते रहेंगे। इसके बाद के दृश्यों में आपको गांव से लेकर जिला तक के नेता दिखते हैं।
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