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सीएम रघुवर दास का कद हुआ ऊंचा, हनक भी बढ़ी

मोमेंटम झारखंड सरीखे शानदार आयोजन की भारी सफलता से मुख्यमंत्री रघुवर दास का राजनीतिक कद बढ़ा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 19 May 2017 06:01 AM (IST)Updated: Fri, 19 May 2017 09:44 AM (IST)
सीएम रघुवर दास का कद हुआ ऊंचा, हनक भी बढ़ी
सीएम रघुवर दास का कद हुआ ऊंचा, हनक भी बढ़ी

प्रदीप सिंह, रांची। नीतिगत और राजनीतिक मोर्चे पर विपक्ष को लगातार मात दे रहे मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गुरुवार को 21 उद्योगों की आधारशिला रख सबको चौंका दिया। दरअसल इसी साल 17-18 फरवरी को मोमेंटम झारखंड के आयोजन के दौरान राज्य सरकार ने 210 कंपनियों के साथ करार पर हस्ताक्षर किए थे। महज तीन माह के भीतर दस फीसद कंपनियों की नींव रखकर उन्होंने यह साबित कर दिया है कि वे जो कहते हैं उसे करते भी हैं। उनकी इस उपलब्धि से सत्ताधारी भाजपा के भीतर सक्रिय विरोधी खेमा पस्त होगा वहीं विपक्ष को भी करारा उत्तर मिलेगा।
मोमेंटम झारखंड सरीखे शानदार आयोजन की भारी सफलता से मुख्यमंत्री रघुवर दास का राजनीतिक कद बढ़ा है। उनके प्रयास का ही परिणाम था कि प्रख्यात उद्योगपति रतन टाटा, कुमार मंगलम बिड़ला, शशि रूइयां, अनिल अग्र्रवाल, नवीन जिंदल समेत नामीगिरामी औद्योगिक घराने के मुखिया झारखंड की धरती पर पहली बार एक मंच पर जुटे थे।

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मुख्यमंत्री ने परिणाम देने वाले अफसरों की टीम भी बनाई और इसे टीम झारखंड का नाम दिया। निवेशकों को बुलाने के पहले उन्होंने उद्योग से जुड़ी तमाम नीतियां बनाईं। पूर्ववर्ती सरकारों में यह होमवर्क नहीं हुआ था जिससे पूर्व में किए गए एमओयू फाइलों में रह गए। मोमेंटम झारखंड के आयोजन से दो माह पहले मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जमीन संबंधी जटिल कानून सीएनटी (छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम) और एसपीटी (संताल परगना काश्तकारी अधिनियम) में संशोधन का विधेयक इस उद्देश्य से लाया कि जमीन रहते हुए गरीबी में गुजर-बसर कर रहा आदिवासी तबका अपना जीवनस्तर बेहतर कर सके। इस फैसले के खिलाफ सिर्फ आदिवासी-मूलवासी के नाम पर राजनीति करने वाले नेताओं के साथ ही ईसाई मिशनरियों ने तल्ख तेवर अपनाए। यह देख भाजपा में भी मुख्यमंत्री का विरोधी खेमा सक्रिय हुआ। अब 21 उद्योगों के एक साथ लगने का सीधा असर लोगों के जीवन स्तर में सुधार के साथ ही राज्य के विकास के रूप में सामने आएगा।

 सीएनटी-एसपीटी संशोधन विधेयक फिलहाल राजभवन की मंजूरी के लिए लंबित है लेकिन इस उपलब्धि से जहां रघुवर दास ने एक बड़ी लकीर खींच दी, वहीं संशोधन प्रस्ताव के औचित्य को भी काफी हद तक सही साबित किया है। पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा एवं लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष कडिय़ा मुंडा सरीखे कद्दावर नेता दबे स्वर में संशोधन पर सवाल उठाते रहे हैैं। हालांकि इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं करने का स्पष्ट संदेश रघुवर दास दे चुके हैं। वे दल के भीतर विपक्ष के सुर में सुर मिलाने वाले नेताओं को नसीहत दे रहे हैं और पार्टी के खुले मंच से विरोधी दलों को ललकार रहे हैं। रघुवर दास के फैसले से सरना आदिवासियों का तबका भाजपा के पक्ष में झुका हुआ नजर आ रहा है। अगर यह मजबूती से जुड़ा रहा तो भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।

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