Move to Jagran APP

शीघ्र शुरू किया उपचार तो बचा ली कइयों की जान

रांची : पिठोरिया में बराती बस पलटने की घटना के बाद ऐसा पहली बार लगा कि रिम्स नहीं होता तो शायद हादसे

By JagranEdited By: Published: Mon, 24 Apr 2017 01:34 AM (IST)Updated: Mon, 24 Apr 2017 01:34 AM (IST)
शीघ्र शुरू किया उपचार तो बचा ली कइयों की जान
शीघ्र शुरू किया उपचार तो बचा ली कइयों की जान

रांची : पिठोरिया में बराती बस पलटने की घटना के बाद ऐसा पहली बार लगा कि रिम्स नहीं होता तो शायद हादसे में मृतकों की संख्या कुछ और हो जाती। यहां निदेशक से लेकर जूनियर डॉक्टर तक शालीनता से पूरी मुस्तैदी के साथ घायलों की जान बचाने में जुटे रहे। सबने खूब मेहनत की। शीघ्र किया उपचार और बचा ली कइयों की जान। कोई घायलों का नाम लिखता रहा, तो कोई उन्हें इंजेक्शन लगाने से लेकर प्राथमिक उपचार देने तक में जुटा रहा। ब्लड बैंक भी इस हादसे के शिकार लोगों को राहत पहुंचाने के लिए तत्पर दिखा, जहां रक्तदान करनेवाले समाजसेवियों की भी लाइन लगी रही।

loksabha election banner

हुआ यूं कि बराती बस पलटने की सूचना प्रशासन के माध्यम से रिम्स के निदेशक डॉ. बीएल शेरवाल तक पहुंची। तब तक सभी अस्पतालों से घटनास्थल पिठोरिया घाटी के लिए एंबुलेंस दौड़ चुकी थी। यह सूचना रिम्स के मेडिकल छात्रों के हॉस्टल तक भी पहुंच गई। जूनियर डॉक्टर, सीनियर डॉक्टर, प्रोफेसर व अन्य वरिष्ठ डॉक्टर रिम्स इमर्जेसी की ओर दौड़ पड़े। वे ठान चुके थे कि चाहे जो हो जाए, जो रिम्स पहुंचा है, उसे बचा लेना है। देखते ही देखते रिम्स इमर्जेसी में घायलों का पहुंचना शुरू हो गया। अचानक 40 से अधिक घायल रिम्स में पहुंच गए, जहां स्ट्रेचर भी कम पड़ गया तो फर्श पर ही उन्हें लिटाकर इलाज शुरू कर दिया गया। रिम्स प्रबंधन की कोशिश थी कि सबसे पहले जान बचाई जाए। चिकित्सकों का एक विंग जहां इलाज में जुटा था, वहीं रिम्स प्रबंधन का दूसरा विंग घायलों के लिए स्ट्रेचर व अन्य सुविधाओं को मुहैया कराने की कोशिश में था। करीब आधे घंटे के भीतर सभी घायलों के लिए स्ट्रेचर की व्यवस्था भी हो गई और उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद रिम्स के सीओटी में ले जाया गया, जहां उनका ड्रेसिंग व अन्य उपचार हुआ।

शालीन थे डॉक्टर, संयमित थे परिजन: रिम्स में डॉक्टर जहां पूरी मुस्तैदी से शालीनता से इलाज करने में जुटे थे, वहीं परिजन भी संयमित होकर चिकित्सकों को सहयोग कर रहे थे। नाम लिखने से लेकर चिकित्सा करने तक में परिजन चिकित्सकों के साथ थे। जिन घायलों की हालत ज्यादा गंभीर थी, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर उचित चिकित्सा दी जा रही थी। जो घायल जिस विभाग से संबंधित था, उसे उस विभाग में तत्काल भेजा जा रहा था। सर्वाधिक घायल न्यूरो वार्ड व ऑर्थो वार्ड से संबंधित थे।

:::::::::::::::::::::::::::::::::::

'अचानक अधिक संख्या में घायल पहुंच गए थे, लेकिन पर्याप्त संसाधन होने के कारण उनका इलाज तेजी से शुरू कर दिया गया। मेरी पहली प्राथमिकता अधिक से अधिक घायलों की जान बचाने की है। इसके लिए चिकित्सक जी-जान से जुटे हैं।'

डा. बीएल शेरवाल, निदेशक, रिम्स।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.