महिलाओं की मसीहा बनीं मिस्सी दीदी
रांची : सचि कुमारी यानी मिस्सी दीदी आज महिलाओं की मसीहा बन चुकी हैं। बाल विवाह, घरेलू प्रताड़ना, मानव
रांची : सचि कुमारी यानी मिस्सी दीदी आज महिलाओं की मसीहा बन चुकी हैं। बाल विवाह, घरेलू प्रताड़ना, मानव तस्करी, डायन-बिसाही कुप्रथा सहित अन्य महिला ¨हसा के खिलाफ मुहिम चलाकर बेड़ो की सचि कुमारी की पहचान अब राज्य भर में है। किसी भी बेटी को कोई परेशानी हो, तो पहले महिलाएं मिस्सी दीदी का दरवाजा खटखटाती हैं।
महिलाओं को स्वावलंबी बनाकर स्वरोजगार से जोड़ना, सशक्त कर समाज में बराबरी का दर्जा दिलाना और महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ना मिस्सी दीदी की मुहिम है। इस मुहिम में वह 90 के दशक से जुड़ी हैं। इसकी बदौलत आज हजारों महिलाओं को उन्होंने राह दिखाई। उनमें कई जन प्रतिनिधि बन कर समाज में सेवा दे रही हैं, कई लघु उद्योगों की बदौलत आज स्वरोजगार से जुड़ी हैं। रांची के डिबडीह, पुंदाग, बेड़ो, इटकी, लापुंग सहित कई क्षेत्रों की महिलाएं उनकी मुहिम और प्रेरणा की बदौलत मुख्य धारा से जुड़ चुकी हैं।
बाल विवाह और महिला ¨हसा रोकने की खाई कसम :
सचि उर्फ मिस्सी दीदी का व्यक्तिगत जीवन दर्द और तिरस्कार भरा है। उनकी 14 वर्ष की उम्र 1989 में शादी कर दी गई थी। शादी के बाद उनकी पढ़ाई बाधित हुई। फिर लगातार तीन बेटियां होने से भी काफी तिरस्कार झेलने के साथ कई पारिवारिक समस्याओं से गुजरना पड़ा। इन्हीं समस्याओं के बीच मिस्सी दीदी ने ठानी की वह अब अपने जैसा दुख किसी और को नहीं होने देगी। शादी के तकरीबन सात साल बाद 1995 में उन्होंने महिलाओं को स्वावलंबन बनाने को लेकर संगठन तैयार किया। बाल विवाह और महिला ¨हसा रोकने के अपने अभियान में जुट गई। महिलाओं को संगठित कर स्वरोजगार और कौशल विकास से जुड़े प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाया। इसी दौरान 2009 में पति की मौत हो गई। उसके बाद भी मिस्सी दीदी अपने अभियान में जुटी रही। देखते ही देखते उन्होंने बेड़ो क्षेत्र में 400 महिला समूह बना डाली।
रोका बाल विवाह :
मिस्सी दीदी का प्रयास है कि बेड़ों के पलमा गांव में प्रस्ताव पारित है कि 18 साल से पहले किसी भी बेटी की शादी नहीं होगी। इसके अलावा बेड़ो के तेतर टोली, इटकी कोयरी टोला, सहित कई गावों में बाल विवाह रुकवाई है।
ब्लॉक फेडरेशन से प्रखंड में बनाई खौफ :
महिला ¨हसा रोकने के लिए ब्लॉक फेडरेशन बनाई। इस फेडरेशन की धमक ऐसी की बेड़ो क्षेत्र में महिला ¨हसा में कमी आ गई। चूंकि किसी भी महिला के साथ अन्याय या ¨हसा होने पर फेडरेशन की महिलाएं प्रोटेस्ट करती हैं। महिला संबंधी समस्याओं के लिए थाना-पुलिस, पंचायत तक को चुनौती देती हैं।
महिलाओं को ऐसे बनाया स्वावलंबी :
महिलाओं को स्वावलंबी बनाने के लिए टेल¨रग का प्रशिक्षण दिया, महिला समूहों को पापड़, अचार बनाने, मसाला बनाने, ब्यूटीशियन कोर्स सहित कई स्वरोजगारोन्मुख प्रशिक्षण दिया। इसमें गरीब, असहाय और निरक्षर महिलाओं को प्रशिक्षित करना चुनौती भरा था। इसके अलावा महिलाओं को सरकार की योजनाओं से जोड़ा। जनवितरण प्रणाली से राशन, इंदिरा आवास से घर, मनरेगा से काम सहित कई प्रकार की योजनाओं से जोड़कर सशक्त बनाने की कोशिश करती रही।
अंगूठा लगाने वाली को हस्ताक्षर करना सिखाया :
मिस्सी दीदी ने अंगूठा लगाने वाली महिलाओं को हस्ताक्षर करना भी सिखाया। उन्हें साक्षर भी बनाया। इनकी बदौलत सैकड़ों महिलाएं आज साक्षर बन चुकी हैं।
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