अब रांची में भी छप रहे जाली नोट
दिलीप कुमार, रांची 500 व 1000 रुपये के पुराने नोट की तुलना में 2000 रुपये के नए नोट को कॉपी करना
दिलीप कुमार, रांची
500 व 1000 रुपये के पुराने नोट की तुलना में 2000 रुपये के नए नोट को कॉपी करना बेहद आसान हो गया है। यही कारण है कि राजधानी में दो महीने के भीतर ऐसे जाली नोट बनने के दो बड़े मामले सामने आ चुके हैं। यह भी खुलासा हुआ है कि ऐसे नोट राजधानी में कलर प्रिंटर से निकाले जा रहे हैं जो असली नोट के जैसे और हुबहू हैं, जिससे लोग आसानी से धोखा भी खा रहे हैं। पाकिस्तान से चले जाली नोट का बांग्लादेश के रास्ते झारखंड में प्रवेश करने के पुराने रास्ते पर जब पुलिस ने दबिश बनानी शुरू की तो लगा कि जाली नोटों की तस्करी बंद हो जाएगी, लेकिन राजधानी रांची के भीतर जाली नोट छपने के मामले ने नई सनसनी पैदा कर दी है।
बीते शुक्रवार को कोतवाली पुलिस के हाथों गिरफ्तार जमशेदपुर के बागबेड़ा रोड नंबर एक निवासी संजीव सिंह ने भी इसका खुलासा किया है। अब पुलिस उक्त अधिवक्ता पुत्र को तलाश रही है, जिसके माध्यम से जाली नोट छापे जाने की सूचना गिरफ्तार संजीव ने दी है। पुलिस को सूचना है कि संजीव की गिरफ्तारी के बाद उक्त अधिवक्ता पुत्र ने अपने प्रिंटर व अन्य साक्ष्यों को नष्ट कर दिया है। फरवरी महीने में भी पुलिस को पुंदाग क्षेत्र से जाली नोटों की बड़ी खेप मिली थी, जिसके साथ आरोपी भी पकड़े जा चुके हैं।
पाकिस्तान व बांग्लादेश से जारी है तस्करी
नोटबंदी के कुछ दिन के बाद ही बाजार में 2000 के जाली नोट आ गए। छानबीन हुई तो पता चला कि पाकिस्तान व बांग्लादेश में अब 2000 के जाली नोट छपने शुरू हो चुके हैं। पूर्व में पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से दो लाख रुपये मूल्य के 2000 रुपये के नकली नोट की बरामदगी के बाद यह खुलासा हो गया कि झारखंड में अब भी जाली नोटों का बांग्लादेश रूट तस्करों के लिए सुरक्षित है।
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रांची से रहा है आतंकियों का पुराना नाता
रांची से आतंकियों का पुराना नाता रहा है। पूर्व में बरियातू, ¨हदपीढ़ी, डोरंडा व धुर्वा के सीठियो से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोपियों की गिरफ्तारी से यह स्पष्ट हो चुका है कि शहर में आतंकियों की गहरी पैठ है। बांग्लादेश सीमा पर डेढ़ माह पूर्व गिरफ्तार 8 फरवरी को मुर्शिदाबाद जिले से 2000 रुपये के 40 नकली नोटों के साथ गिरफ्तार अजीजुर रहमान ने खुलासा किया था कि आइएसआइ के माध्यम से 2000 रुपये के नकली नोट बांग्लादेश के रास्ते झारखंड में पहुंच रहे हैं। प्रत्येक नोट पर 400 से 600 रुपये कमीशन के रूप में मिलते थे। पूर्व बरामद नकली नोट के 17 में से दस सुरक्षा फीचर एक जैसे मिले थे। हालाकि बरामद नोटों के पेपर और प्रिंट की गुणवता उतनी अच्छी नहीं थी।
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मास्टरमाइंड के रूप में रही है डाबर खान की पहचान
तुपुदाना ओपी क्षेत्र के रायडीह निवासी डाबर खान की पहचान जाली नोटों के मास्टरमाइंड के रूप में रही है। पूर्व में रांची के दो पुलिस कप्तान के कार्यकाल में उसका नाम उछल चुका है। पूर्व एसएसपी प्रवीण कुमार व प्रभात कुमार के समय डाबर खान पर दबिश बनी थी। वह छत्तीसगढ़ के दुर्ग में भी जाली नोटों के साथ पकड़ा गया था।
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एनआइए भी कर चुकी है खुलासा
पूर्व एसएसपी प्रभात कुमार के समय रांची में गिरिडीह का अशोक कुमार गुप्ता जाली नोटों की तस्करी में पकड़ा गया था। उसने राष्ट्रीय जांच एजेंसी के सामने भी जाली नोटों की तस्करी का खुलासा किया था। उसने बताया था कि मालदा के रास्ते बाग्लादेश से जाली नोट रांची पहुंचता है और रांची से यूपी व बिहार के जिलों में सप्लाई होता है। अशोक कुमार गुप्ता उर्फ पाव ने यह भी खुलासा किया था कि झारखंड ही नहीं, दूसरे राज्यों में भी कमीशन पर एजेंट ऐसे नोट खपाते हैं।
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इस वर्ष दो बार नकली नोटों की बरामदगी में रांची में ही नोट छपने के खुलासे हुए हैं। बाहर का लिंक अभी नहीं मिला है। इसके बावजूद पुलिस सतर्क है, गुप्तचर नजर रखे हैं। ऐसी कोई भी जानकारी मिलने पर रांची पुलिस ऐसे तत्वों पर कार्रवाई करती है और आगे की करती रहेगी।
- किशोर कौशल, एसपी सिटी, रांची।