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आदिवासियों के लिए मेडिकल दाखिले में नियम शिथिल नहीं करेगी एमसीआइ

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने एमबीबीएस में दाखिले के लिए नियम शिथिल करने से इन्कार कर दिया है। मुख्यमंत्री ने निर्धारित अर्हता को शिथिल करने का अनुरोध किया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 19 Jan 2017 07:24 AM (IST)Updated: Thu, 19 Jan 2017 07:40 AM (IST)
आदिवासियों के लिए मेडिकल दाखिले में नियम शिथिल नहीं करेगी एमसीआइ
आदिवासियों के लिए मेडिकल दाखिले में नियम शिथिल नहीं करेगी एमसीआइ

नीरज अम्बष्ठ, रांची। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने एमबीबीएस में दाखिले के लिए नियम शिथिल करने से इन्कार कर दिया है। राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति कोटे की सीटों को भरने के लिए प्रवेश परीक्षा में न्यूनतम 40 फीसद अंक की अनिवार्यता शिथिल करने का अनुरोध एमसीआइ से किया था, लेकिन एमसीआइ ने राज्य सरकार को पत्र भेजकर इससे इन्कार कर दिया है। एमसीआइ ने कहा है कि एमबीबीएस में दाखिले के लिए तय न्यूनतम अर्हता में किसी प्रकार की शिथिलता प्रदान नही की जा सकती।
दरअसल, शैक्षणिक सत्र 2016-17 में राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेजों में एसटी श्रेणी की 40 सीटें रिक्त रह गई हैं। इससे पहले भी इस श्रेणी की कई सीटें रिक्त रही हैं।

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मुख्यमंत्री रघुवर दास ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर एमबीबीएस में एमसीआइ द्वारा निर्धारित अर्हता (प्रवेश परीक्षा में न्यूनतम 40 फीसद अंक) को शिथिल करने का अनुरोध किया था। इससे पहले, जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) की बैठक में केंद्र से इसके लिए अनुरोध करने का निर्णय लिया गया था। वहीं, टीएसी के सदस्य जेबी तुबिद ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा अखिल भारतीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तर्ज पर परसेंटाइल के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार करने का सुझाव सरकार को दिया था ताकि एसटी कोटे की सीटें रिक्त न रहे।
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विशेष परीक्षा की भी नहीं दी अनुमति
मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया ने शैक्षणिक सत्र 2016-17 में रिक्त रह गई एसटी की 40 सीटों पर दाखिले के लिए फिर से विशेष परीक्षा के आयोजन की भी स्वीकृति नहीं दी। एमसीआइ ने कहा है कि विशेष परीक्षा लेना विधि सम्मत नहीं है।
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नीट से होगा इस साल नामांकन
राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेजों में संचालित एमबीबीएस पाठ्यक्रम में शैक्षणिक सत्र 2017-18 के लिए अखिल भारतीय मेडिकल प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा (नीट) के माध्यम से नामांकन होगा। राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में इस संंबंध में निर्णय ले लिया है। 2016-17 में नामांकन झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद द्वारा आयोजित झारखंड कंबाइंड परीक्षा के माध्यम से हुआ था।

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