अधिग्रहण के बावजूद जमीन पर कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन का कब्जा नहीं
रांची : दामोदर घाटी परियोजना (डीवीसी) के स्वामित्व वाली कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन को कम बिजली उत्पादन
रांची : दामोदर घाटी परियोजना (डीवीसी) के स्वामित्व वाली कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन को कम बिजली उत्पादन का झटका लग रहा है। पावर स्टेशन की क्षमता से आधा बिजली का उत्पादन हो रहा है। तमाम सुविधाओं से युक्त होने के बावजूद 500 मेगावाट बिजली उत्पादन से कोडरमा थर्मल पावर स्टेशन महरूम है।
दामोदर घाटी निगम का ताप विद्युत संयंत्र अपने स्थापना काल जुलाई, 2013 से ही 50 प्रतिशत की क्षमता पर चल रहा है। 500 मेगावाट की दो उत्पादन इकाइयों को तैयार करने में 7800 करोड़ रुपये की लागत आई थी। साढ़े तीन वर्ष पहले इसका निर्माण हुआ था। हालांकि दामोदर घाटी निगम ने परियोजना कार्य शुरू होने के पहले इस परियोजना के लिए 1900 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी लेकिन स्थानीय ग्रामीणों के विरोध के कारण आजतक लगभग 400 एकड़ जमीन का कब्जा प्राप्त नहीं किया जा सका। यह 400 एकड़ जमीन संयंत्र के स्थायी राख निपटान कुंडों (ऐश पौंड) की स्थापना के लिए जरूरी है। इस वजह से डीवीसी को एक आपात राख कुंड बनाना पड़ा था जो 500 मेगावाट की केवल एक इकाई को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। 500 मेगावाट की दोनों इकाइयों को चलाने के लिए संयंत्र को 400 एकड़ जमीन का कब्जा प्राप्त करना आवश्यक है। इस गतिरोध को हल करने में स्थानीय प्रशासन डीवीसी की मदद तो कर रहा है लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। इस गतिरोध ने विगत तीन वषरें से निरर्थक पड़े 7800 करोड़ रुपये के सार्वजनिक निवेश के अलावा क्षेत्र केविकास और रोजगार के सृजन पर भी असर डाला है। दामोदर घाटी निगम ने कई बार अद्यतन स्थिति से राज्य सरकार को अवगत कराया है। निगम के मुताबिक जबतक जमीन पर कब्जा नहीं दिलाया जाता तबतक संयंत्र को पूरी क्षमता पर चलाया नहीं जा सकता।