जनजातीय भाषा-संस्कृति का संरक्षण आवश्यक : अर्जुन मुंडा
रांची : पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने जनजातीय भाषा-साहित्य और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में का
रांची : पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने जनजातीय भाषा-साहित्य और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में काम करने की आवश्यकता जताई है। रविवार को अखिल भारतीय मुंडारी साहित्यिक विकास मंच और भारत मुंडा समाज के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मुंडारी भाषा का इतिहास काफी प्राचीन है और संघर्ष करते हुए इस भाषा को जीवंत रखा गया है। मुंडारी भाषा को आज साहित्यिक अभिव्यक्ति की आवश्यकता है। उन्होंने मुंडारी की दो पुस्तकें 'मुण्डा दुराड' और 'मुण्डारी भाषा ज्ञान विज्ञान' का लोकापर्ण भी किया।
इस मौके खिजरी विधायक रामकुमार पाहन ने कहा कि साहित्य के माध्यम से समाज को सशक्तबनाया जा सकता है। कार्यक्रम में सूचना जनसंपर्क विभाग के पूर्व निदेशक गंदुरा मुंडा, रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान के पूर्व सहायक निदेशक सोमा सिंह मुंडा, नवीन मुंडा, जेठा नाग और प्रो. अमिता मुंडा ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुभाष चंद्र मुंडा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन तोरपा विधायक कोचे मुंडा ने किया।