रांची में मिला चिकनगुनिया का पहला मामला
रांची जिला में चिकनगुनिया का पहला मामला सामने आया है। इसकी पुष्टि रिम्स में जांच के बाद हुई। एचईसी सेक्टर-2 स्थित पंचमुखी मंदिर के निकट महिला रहती है। महिला की उम्र 36 वर्ष है। अभी मरीज कहीं भर्ती नहीं हुई है। दो दिन पहले ही लक्षण के आधार पर जांच के लिए सैंपल लिया गया था, जिसकी रिपोर्ट मंगलवार को आई।
जागरण संवाददाता, रांची। रांची जिला में चिकनगुनिया का पहला मामला सामने आया है। इसकी पुष्टि रिम्स में जांच के बाद हुई। एचईसी सेक्टर-2 स्थित पंचमुखी मंदिर के निकट महिला रहती है। महिला की उम्र 36 वर्ष है। अभी मरीज कहीं भर्ती नहीं हुई है। दो दिन पहले ही लक्षण के आधार पर जांच के लिए सैंपल लिया गया था, जिसकी रिपोर्ट मंगलवार को आई।
वहीं, तीन वर्ष पहले भी धुर्वा क्षेत्र में डेंगू का लार्वा पाया गया था। इसके बावजूद धुर्वा क्षेत्र में नगर निगम की ओर से किसी भी तरह का छिड़काव नहीं हो रहा है। न ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई सर्वे किया जा रहा है। इस लापरवाही से चिकनगुनिया और डेंगू पैर पसार सकता है।
रिम्स में नहीं है डेंगू का किट
रिम्स की लापरवाही के कारण मरीजों का सैंंपल खराब हो रहे हैं। डेंगू जांच के लिए एक भी किट अस्पताल में नहीं है। इस कारण डेंगू जांच सेवा प्रभावित है। समय पर जांच नहीं होने पर सैंपल के खराब होने का खतरा भी पैदा हो गया है। मरीजों को मजबूरन निजी संस्थानों का सहारा लेना पड़ रहा है। हालांकि, अधिकांश मरीज ऐसे हैं, जो सस्ती जांच के लिए किट के इंतजार में हैं। वहीं, रिम्स प्रबंधन का दावा है कि पुणे से किट मंगवाया जा रहा है।
क्या कहते हैं चिकित्सक
फिजिशियन डॉ. एके वर्मा के मुताबिक, चिकनगुनिया के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। यह रोग एडीज मच्छर के काटने से होता है। इसमें रोगी को तेज बुखार होता है। जोड़ों में तेज दर्द भी होता है, जो कभी-कभी एक माह तक रह जाता है। सिरदर्द के साथ-साथ आंखों में भी जलन व पीड़ा होती है। इसलिए जैसे ही इसके लक्षण रोगियों में देखने को मिलते हैं, तत्काल मरीज को इसकी जांच करानी चाहिए। इसका कोई इलाज नहीं है। इसमें रोगी को पारासिटामोल का सेवन करना पड़ता है।