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राजधानी में बहेगी साहित्य की धारा

राची : रांची विवि के पीजी ¨हदी विभाग व सांस्कृतिक कार्य निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसी

By Edited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 01:58 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 01:58 AM (IST)
राजधानी में बहेगी साहित्य की धारा

राची : रांची विवि के पीजी ¨हदी विभाग व सांस्कृतिक कार्य निदेशालय के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय राष्ट्रीय कथा गोष्ठी कथा पावस का आयोजन 29 से 31 जुलाई तक किया गया है। इसमें देश भर से 50 से अधिक साहित्यकार और कथाकार भाग लेंगे। झारखंड में इस तरह का साहित्यिक कार्यक्रम पहली बार हो रहा है। ये बातें बुधवार को सांस्कृतिक कार्य निदेशालय के निदेशक अशोक कुमार सिंह व विभागाध्यक्ष डॉ. जेबी पाडेय ने आड्रे हाउस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बताया।

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इन्होंने बताया कि कार्यक्रम का उद्घाटन 29 जुलाई को सुबह 10.30 आर्यभट्ट सभागार में मंत्री अमर बाउरी करेंगे। अध्यक्षता वीसी डॉ. रमेश पाडेय करेंगे। इसमें विभाग के सचिव सत्येंद्र सिंह और प्रोवीसी डॉ. शैलेंद्र शुक्ल होंगे। बीज वक्तव्य जाने-माने आलोचक चौथी राम यादव व स्वागत ह्यूमिनिटी डीन डॉ. वीवीएन पाडेय करेंगे।

शुरुआत कथा संवेदना से

तकनीकी सत्र आड्रे हाउस में कथा संवेदना से शुरू होगा। कथाकार अखिलेश, मनोज रुपड़ा, अल्पना मिश्र, कुणाल सिंह, डॉ. सुभाष चंद्र गुप्ता संबंधित विषय पर विचार रखेंगे। दूसरा तकनीकी दिन के तीन बजे कथा आलोचना के नए उपादान विषय पर होगा, जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ आलोचक डॉ. रविभूषण करेंगे।

गोष्ठी के दूसरे दिन पीढिय़ा आमने-सामने-एक विषय से तकनीकी सत्र होगा। इसमें युवा पीढ़ी के कथाकार कथा दृष्टि पर विचार रखेंगे। इस सत्र की अध्यक्षता संजीव करेंगे। इसके बाद पीढिया आमने-सामने-दो सत्र शुरू होगा, जिसकी अध्यक्षता प्रसिद्ध कथाकार शिवमूर्ति करेंगे। इसमें सी भास्कर राव, अखिलेश, प्रेम कुमार मणि, मो. आरिफ, चंदन पाडेय, अल्पना मिश्र, बसंत त्रिपाठी, कैलाश बनवासी, जेब अख्तर, शेखर मल्लिक, कलावंती सिंह विचार रखेंगी।

कथा में हाशिए का समाज पर चर्चा

पंचम विमर्श में कथा में हाशिए पर समाज (विशेष संदर्भ आदिवासी) विषय पर 30 जुलाई को ही तकनीकी सत्र होगा। इसकी अध्यक्षता कथाकार व चिंतक प्रेम कुमार मणि करेंगे। वहीं वक्तव्य देने वाले कलाकारों में रुपलाल बेदिया, महादेव टोप्पो, तिलक बारी, ज्योति लकड़ा, सुभाषचंद्र कुशवाहा, मनमोहन पाठक, डॉ. महुआ माजी, डॉ. अविनाश कुमार सिंह, कालेश्वर, भोगला सोरेन, संतोष किडो, लालदीप गोप शामिल हैं।

कथ्य एवं शिल्प वैविध्य

गोष्ठी के अंतिम दिन 31 जुलाई को कथ्य एवं शिल्प वैविध्य पर तकनीकी सत्र में विमर्श होगा। अध्यक्षता शिवमूर्ति करेंगे। इसमें डॉ. रविभूषण, संतोष दीक्षित, शैवाल, मो. आरिफ, सत्यनारायण पटेल और कैलाश बनवासी विचार रखेंगे। इसमें झारखंड कथा लेखन में रुचि लेने वाले युवाओं को आमंत्रित किया गया है। समापन समारोह प्रेमचंद जयंती के रुप में बदलते गाव और प्रेमचंद की यादें विषय पर होगा। इसकी अध्यक्षता डॉ. खगेंद्र ठाकुर करेंगे।

क ंद्र में लेखन

कार्यक्रम संयोजक डॉ. मिथिलेश के अनुसार पहली बार विवि व सांस्कृतिक निदेशालय के तत्ववाधान में इस तरह का कार्यक्रम हो रहा है। इसकी चर्चा के केंद्र में लेखन है। इसमें कथा लेखन पर लेखक और आलोचक एक साथ मिलकर चर्चा करेंगे। यह राज्य के लिए गौरव का विषय है।


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