सही नीति और महौल से होगा निवेश
- ढांचागत विकास के लिए दस हजार करोड़ रुपये का आईडीएफ बनाने का प्रस्ताव -कृषि, कुटीर उद्योग और बंद प
- ढांचागत विकास के लिए दस हजार करोड़ रुपये का आईडीएफ बनाने का प्रस्ताव
-कृषि, कुटीर उद्योग और बंद पड़े कारखानों को पुनर्जीवित करने पर जोर
जागरण संवाददाता, रांची : एसोचैम के अध्यक्ष सुनील कनोरिया ने कहा कि राज्य में निवेश के लिए सही नीति और माहौल होना चाहिए तभी राज्य में निवेश बढेगा। जिस राज्य में उद्योग नीति सरल होती वहां पर उद्यमी निवेश करने के लिए आकर्षित होते हैं। क्योंकि कोई भी उद्यमी तभी निवेश करता है जब उसे सरल नीति और माहौल अच्छा मिलता है। अन्यथा एमओयू होने के बाद भी कंपनियां राज्य में काम नहीं कर पाती है। जब राज्य में बाहरी निवेश बढ़ता है तो रोजगार उपलब्ध होने के साथ-साथ राज्य का विकास होता है।
दस हजार करोड़ का आइडीएफ
सुनील कनोरिया ने गुरुवार को सीएम रघुवर दास से मुलाकात की और राज्य में ढांचागत विकास के लिए दस हजार करोड़ रुपये इंफ्रास्ट्राक्चर डेवलपमेंट फंड (आईडीएफ) बनाने का सुझाव दिया। इस फंड को पेयजल, स्वास्थ्य सुरक्षा, रोड और सिचाई में इस्तेमाल किया जाएगा। इस फंड में केंद्र सरकार और राज्य सरकार की भी हिस्सेदारी होनी चाहिए। सुनील कनेरिया ने सीएम से राज्य में एसोचैम भवन बनाने के लिए जमीन की मांग की। जिस पर सीएम ने उन्हें राज्य में प्रस्तावित स्मार्ट सिटी में जमीन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। एसोचैम भवन बनने के बाद यहां के व्यवसायियों को जोड़कर उन्हें वैश्विक स्तर पर मदद की जाएगी। एसोचैम में कुल चार लाख सदस्य हैं और 19 देशों में एसोचैम के कार्यालय हैं।
कृषि क्षेत्र में विकास का सुझाव
सुनील कनेरिया ने कहा कि राज्य में पिछले दस सालों में कृषि के क्षेत्र में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। कृषि क्षेत्र में मात्र 13 फीसद ही ग्रोथ दर्ज हुई है। एसोचैम ने सरकार को कृषि में उत्पादन को बढाने के लिए हर क्षेत्र में कृषि उपकरण बैंक बनाने का सुझाव दिया है। नई तकनीक से बने उपकरण की सहायता से किसान खेती करेगा तो उत्पादन भी बढे़गा। उसी तरह बीज में नई तकनीक इस्तेमाल किया जाएगा। एसोचैम ने कृषि क्षेत्र में नई तकनीक को लाने के लिए इजराइल के साथ पार्टनरशिप की है। कृषि क्षेत्र में नई तकनीक को इस्तेमाल करने के लिए राज्य सरकार को भी पार्टनर बनाने का सुझाव दिया गया है।
पुरानी कंपनियों को करें पुनर्जीवित
सुनील केनेरिया ने कहा कि झारखंड खनिज सम्पदा से भरपूर राज्य है। लेकिन पिछले पांच सालों में राज्य में माईनिंग और पावर सेक्टर काफी खराब हालात में है। कई माइनिंग कंपनी और पावर प्लांट बंद है। राज्य सरकार को इन कंपनियों को पुनर्जीवित करने की जरूरत है ताकि राज्य के विकास के साथ यहां के लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। फिलहाल इन दोनों सेक्टर की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।
उन्होंने कहा कि एसोचैम ने सहज नाम से देश के कई राज्यों में सेंटर खोला है इसके तहत छोटे उद्यमियों को बढ़वा दिया जा रहा है। इसमें महिला उद्यमी को प्राथमिकता दी जाती है। एसोचैम ने यूपी, ओडिशा, तमिलनाडु में अब तक कुल चालीस हजार सेंटर खोले हैं। झारखंड में भी इसकी संभावना ज्यादा हैं। यहां की महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए सपोर्ट किया जाएगा। हर तीन-चार सालों में इस तरह के उद्यमी तीन चार लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है।
निवेश कराने में नाकाम
एसोचैम के आर्थिक अनुसंधान ब्यूरो (एईआबी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि खनिज संपदा से भरपूर राज्य में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के निवेश आकर्षित करने में विफल रहा है। 2010 से लेकर 2016 तक राज्य में होने वाले घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय निवेश में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। राज्य में निवेश 26 फीसद से घटकर 2.5 फीसद रह गई है।
रोजगार देने में स्थिति खराब
एसोचैम ने अपनी रिपोर्ट में राज्य में रोजगार की खराब स्थिति बताई है। रिपोर्ट के अनुसार पिछले वित्तीय वर्ष की आखिरी तिमाही में पूरे देश में रोजगार के करीब नौ लाख अवसर पैदा हुए थे। लेकिन झारखंड में औद्योगिक संस्थान होने के बाद भी मात्र 3234 लोगों को ही रोजगार उपलब्ध कराया जा सका।