ड्रग इंस्पेक्टरों की नियुक्ति में गड़बड़ी
रांची : विधानसभा की प्रत्यायुक्त समिति ने स्वास्थ्य विभाग में तीस ड्रग इंस्पेक्टरों की नियुक्ति में
रांची : विधानसभा की प्रत्यायुक्त समिति ने स्वास्थ्य विभाग में तीस ड्रग इंस्पेक्टरों की नियुक्ति में गड़बड़ी की पुष्टि की है। उसने उच्च स्तरीय कमेटी गठित कर नियुक्ति की जांच कराने की अनुशंसा की है। समिति द्वारा सोमवार को स्पीकर दिनेश उरांव को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड लोक सेवा आयोग ने स्वास्थ्य विभाग की अनुशंसा पर नियुक्ति परीक्षा के ठीक पूर्व विज्ञापन में संशोधन कर दिया, जिससे राज्य के बड़ी संख्या में अभ्यर्थी इस परीक्षा में शामिल होने से वंचित हो गए।
मासस विधायक अरुप चटर्जी के सभापतित्व वाली समिति ने इसमें जेपीएससी व स्वास्थ्य विभाग की भूमिका संदिग्ध पाई है। समिति के अनुसार, जेपीएससी द्वारा पूर्व में जारी विज्ञापन केतहत आवश्यक अर्हता रखने वाले अभ्यर्थियों ने आवेदन दिए थे। लेकिन परीक्षा के ठीक पहले आयोग ने आवश्यक अनुभव की शर्त को शिथिल कर दिया, जबकि संशोधित विज्ञापन जारी कर नए सिरे से आवेदन नहीं मांगे गए। इससे वैसे अभ्यर्थी नियुक्त होने से वंचित हो गए जो पूर्व में निर्धारित अनुभव नहीं रखने के कारण आवेदन नहीं दे सके थे। इसमें तीस अभ्यर्थियों की नियुक्ति हुई, जिनमें सभी बाहरी थे। समिति ने इसपर जवाब मांगे जाने पर स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी पर भी सवाल उठाया है।
उल्लेखनीय है कि झारखंड हाईकोर्ट ने इसी नियुक्ति मामले में एक याचिका की सुनवाई करते हुए नियुक्त ड्रग इंस्पेक्टरों के वेतन पर रोक लगा दी है।
स्वास्थ्य सचिव को महत्वपूर्ण पद से करें मुक्त
समिति ने नियुक्ति मामले में स्वास्थ्य विभाग के वर्तमान प्रधान सचिव के. विद्यासागर के विरुद्ध कड़ी टिप्पणी की है। इस मामले में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका की बात कहते हुए उन्हें तत्काल महत्वपूर्ण पदों से मुक्त करने की अनुशंसा की है। समिति ने नियुक्ति रद होने की स्थिति में अबतक वेतन पर खर्च हुई राशि की वसूली दोषी पदाधिकारियों से भी करने की बात कही है।