514 आदिवासी युवकों की निगाहें कोर्ट पर टिकीं, सुनवाई आज
रांची : राज्य सरकार के बाद अब सीबीआइ ने भी आदिवासी युवकों के फर्जी सरेंडर मामले में जांच से पल्ला झा
रांची : राज्य सरकार के बाद अब सीबीआइ ने भी आदिवासी युवकों के फर्जी सरेंडर मामले में जांच से पल्ला झाड़ लिया है। ऐसे में फर्जी तरीके से सरेंडर कराए गए 514 पीड़ित आदिवासी युवकों की निगाहें हाईकोर्ट में दो दिसंबर को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। प्रदेश का यह पहला मामला है जिसमें राज्य सरकार ने खुद सीबीआइ जांच की अनुशंसा की और फिर खुद ही सीबीआइ जांच नहीं कराने की जरूरत भी बताई। उसने तर्क दिया कि मामले में डेढ़ साल से ज्यादा वक्त गुजर गया, इसलिए सीबीआइ जांच की आवश्यकता नहीं है।
वादी पक्ष के अधिवक्ता राजीव कुमार कहते हैं कि यह सबकुछ इस मामले में घिरे अफसरों को बचाने के लिए किया जा रहा है। इसमें किसी तरह की फोरेंसिक जांच की भी आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। पूरा प्रकरण साजिश के तहत युवकों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने, आम नागरिक को नक्सली बताने और सरकारी राशि के दुरुपयोग का है। जिस वक्त की घटना है, उस समय के अधिकारी अलग-अलग पदों पर तैनात हैं। पीड़ित पक्ष भी सामने हैं। कुछ आरोपी सलाखों के पीछे हैं।