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हजार का बिल, 100 का चढ़ावा

रांची : बीपीएल परिवारों के बच्चों की बुनियादी शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य जांच का मुख्य केंद्र आंगन

By Edited By: Published: Thu, 26 Nov 2015 01:53 AM (IST)Updated: Thu, 26 Nov 2015 01:53 AM (IST)
हजार का बिल, 100 का चढ़ावा

रांची : बीपीएल परिवारों के बच्चों की बुनियादी शिक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य जांच का मुख्य केंद्र आंगनबाड़ी सेंटर कई मायनों में हाशिये पर है। केंद्र व राज्य संपोषित योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में सबसे महत्वपूर्ण इकाई के रूप में इस्तेमाल हो रहे इन केंद्रों में से लगभग 60 फीसद के पास अपना भवन नहीं है। 48 फीसद केंद्र शौचालय विहीन हैं, 65 फीसद केंद्रों में स्वच्छ पेयजल की सुविधा नहीं है। और तो और राशन के उठाव के एवज में सेविकाओं को जहां किराया तक नहीं मिलता, वहीं राशन का बिल पास कराने के एवज में परियोजना से जुड़े पदाधिकारियों को प्रति हजार 100 रुपये बतौर कमीशन देना पड़ रहा है। संताल परगना प्रमंडल की 23 सेविकाओं ने इस आशय की शिकायत सरकार से की है।

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मुख्य सचिव को संबोधित इस आशय के शिकायत पत्र में सेविकाओं ने कहा है कि राज्य में संचालित 38 हजार 640 आंगनबाड़ी केंद्रों से केंद्र व राज्य सरकारों ने बड़ी-बड़ी उम्मीदें लगा रखी हैं। केंद्र व राज्य संपोषित दर्जनों योजनाओं में सेविकाओं की सेवा प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से ली जाती है, परंतु इस एवज में उन्हें उचित सम्मान नहीं मिल रहा। छह साल तक के बच्चों के अलावा किशोरियों, गर्भवती एवं धातृ महिलाओं के लिए संचालित योजनाओं के निष्पादन के अलावा चुनाव तक में उनकी ड्यूटी सुनिश्चित की जा रही है।

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इनसेट

सेविकाओं की शिकायत

- हर दिन दो घरों का भ्रमण कर महिलाओं की रिपोर्ट तैयार करने के एवज में नहीं मिलता है यात्रा भत्ता।

- राज्य खाद्य निगम के गोदामों से राशन के उठाव पर किराया मद में आने वाली लागत की नहीं होती भरपाई।

- तीन वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती एवं धातृ महिलाओं को दिये जा रहे रेडीमेड फूड की उपयोगिता साबित नहीं हो रही है।

- प्रति लाभुक 10 ग्राम दाल, तीन ग्राम तेल और पांच ग्राम सोयाबीन की मात्रा बढ़ाई जाये।

- काम के मुताबिक सेविकाओं और सहायिकाओं को मानदेय मिले।

सेविकाओं तथा सहायिकाओं का कार्य सुलभ करने के लिए उनके बीच साइकिल वितरण की तैयारी अंतिम चरण में है। दोनों का बीमा कराया जा रहा है। मानदेय का भुगतान सीधे उनके खातों में हो रहा है। उनकी बेहतरी के कई आयामों पर सरकार मंथन कर रही है।

डॉ. लुइस मरांडी

मंत्री, समाज कल्याण

झारखंड।

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