देवघर विद्यापीठ की डिग्री मामला, जांच पूरी पर कार्रवाई अधूरी
रांची : झारखंड विधानसभा की नियुक्ति और प्रोन्नति में फर्जी प्रमाणपत्रों का सहारा लेने वालों पर कार्र
रांची : झारखंड विधानसभा की नियुक्ति और प्रोन्नति में फर्जी प्रमाणपत्रों का सहारा लेने वालों पर कार्रवाई नहीं होने के संकेत मिल रहे हैं। विधानसभा के कई कर्मचारी ¨हदी विद्यापीठ, देवघर से उत्तीर्ण हैं। जहां की मान्यता इस साल फरवरी में राज्य सरकार ने खत्म कर दी है। सरकार के इस फैसले के बाद स्पीकर दिनेश उरांव ने विधानसभा कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की जांच करने का आदेश दिया था। जिसकी रिपोर्ट इस साल सितंबर में जांच कमेटी ने सौंप दी है। रिपोर्ट में कई कर्मचारियों के प्रमाणपत्र पर सवाल उठाए गए थे। ¨हदी विद्यापीठ की डिग्री पर विधानसभा में सौ से अधिक लोगों ने प्रोन्नति पाई है। इनमें से कुछ चतुर्थवर्ग में बहाल हुए थे और अभी उपसचिव स्तर तक पहुंच चुके हैं। हालांकि विधानसभा सचिवालय ने 26 जून 2014 के बाद यहां से जारी प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी और प्रोन्नति नहीं देने का फैसला किया है।
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क्या है मामला:
लगातार मिल रही शिकायतों के बाद कार्मिक प्रशासनिक विभाग ने 26 फरवरी 2015 को ¨हदी विद्यापीठ देवघर की मान्यता खत्म कर दी है। विद्यापीठ की प्रवेशिका, साहित्य भूषण और साहित्यलंकार की डिग्री के आधार पर नौकरी नहीं देने का निर्णय लिया था। जिसकी जानकारी सभी विभागों को दे दी गई है।
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क्या है शंका की वजह
विधानसभा के कुछ कर्मचारियों के प्रमाणपत्र पर शंका होने की ठोस वजह है। कुछ लोगों ने परीक्षा देने के लिए विधानसभा सचिवालय से अनुमति नहीं ली। वहीं कई लोग देवघर में परीक्षा भी दे रहे थे और रांची में ड्यूटी भी कर रहे थे। प्रमाणपत्र पर ओवर राइटिंग है और गलत पता अंकित होने का मामला भी जांच के दौरान सामने आया है। नियमत: किसी भी सरकारी कर्मचारी को सेवा में आने के बाद परीक्षा देने के लिए विभाग से अनुमति लेनी होती है।
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आयोग के दायरा से बाहर है मामला
विधानसभा में नियुक्ति और प्रोन्नति मामले की जांच कर रहे जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग ने काम शुरू कर दिया है। आयोग इस मामले की जांच नहीं कर रही है। विक्रमादित्य आयोग सिर्फ 30 बिंदुओं की निर्धारित शर्तो की जांच कर रही है।
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