सोना, लोहा के बाद अब बॉक्साइट पर दांव
रांची : झारखंड में स्वर्ण अयस्क का अकूत भंडार होने की रांची से लेकर दिल्ली तक जबर्दस्त चर्चा और 21 ल
रांची : झारखंड में स्वर्ण अयस्क का अकूत भंडार होने की रांची से लेकर दिल्ली तक जबर्दस्त चर्चा और 21 लौह अयस्क खदानों पर की गई विकट कसरत के बाद अब बॉक्साइट खदान पर दांव आजमाया जा रहा है। नए एमएमडीआर एक्ट के आलोक में स्वर्ण और लौह खदानों के आवंटन की कोशिशों की चर्चा मद्धिम पड़ गई है लेकिन अधिकारियों का एक वर्ग खास बॉक्साइट खदान एक लीजधारक को सौंपने का जीतोड़ प्रयास कर रहा है।
भूतत्व निदेशालय ने भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआइ) से 11 बॉक्साइट खदानों के लिए प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर इनका विभागीय मूल्यांकन करने का आदेश जुलाई के अंतिम दिन जारी किया था। इसके लिए चार सदस्यीय समिति बनाई गई थी। उसको केंद्र सरकार द्वारा इसी वर्ष पारित मिनरल ऑक्सन रूल और मिनरल इविडेंस ऑफ मिनरल कंटेंट रूल तथा एमएमआरडी अमेंडमेंट एक्ट के आलोक में इन खदानों का मूल्यांकन करने का निर्देश दिया गया था। समिति ने इन अधिनियमों के तहत नौ बिंदुओं पर सभी 11 खदानों का मूल्यांकन कर मध्य अगस्त में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। उसमें कई तकनीकी कारण बताते हुए साफ-साफ अनुशंसा की गई थी कि जीएसआइ द्वारा तैयार प्रतिवेदन के आधार पर इन खदानों की नीलामी नहीं की जा सकती।
इसके कुछ दिनों बाद गुमला जिले में स्थित अमटीपानी बॉक्साइट खदान के लिए अब दूसरी समिति से मूल्यांकन कराया जा रहा है। पहली समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि अमटीपानी का जी-2 स्तर पर एक्सप्लोरेशन हुआ है और इसके बड़े हिस्से का पट्टा (लीज) पूर्व से ही दिया जा चुका है। इस बीच जानकार सूत्रों का कहना है कि इस खदान के शेष हिस्से को एक विशेष लीजधारक के पक्ष में बिना नीलामी के ही सौंपने की नीयत से दुबारा मूल्यांकन कराया जा रहा है। संबंधित लीजधारक के कर्मचारी इन दिनों कुछ खास अधिकारियों के इर्द-गिर्द मंडराते देखे जाते हैं।