सात समंदर पार पहुंची रांची विवि की फर्जी डिग्री
रांची : रांची विवि में फर्जी डिग्री के मामले में अजीबोगरीब मामले प्रकाश में आते रहते हैं। विवि की फर
रांची : रांची विवि में फर्जी डिग्री के मामले में अजीबोगरीब मामले प्रकाश में आते रहते हैं। विवि की फर्जी डिग्री अब सात समंदर पार कनाडा तक पहुंच गई है। इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब दो दिन पहले विवि में डिग्री वेरिफिकेशन के लिए आया। विवि प्रशासन ऐसे अंक पत्र को देखकर हैरान है। कारण इस अंक पत्र पर परीक्षा नियंत्रक डॉ. आशीष झा का हस्ताक्षर है। जबकि जब यह फर्जी डिग्री जारी किया गया था, तब राची विवि के परीक्षा नियंत्रक डॉ. अनिल कुमार महतो थे। इतना ही नहीं सर्टिफिकेट पर लोगो भी बिल्कुल अलग है। आरयू प्रशासन ने जाच के लिए भेजने वाले संस्थान का नाम, पूरा पता और मोबाइल नंबर मागने का निर्णय लिया है।
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क्या है मामला
रांची विवि में कनाडा में कार्यरत शुक्ला मंडल का स्नातक की डिग्री जांच के लिए आया है। अंक पत्र सात सितंबर 2013 को जारी किया गया है। इसमें शुक्ला के पिता का नाम रंजन मंडल है। प्रमाण पत्र पर अभ्यर्थी का फोटो भी है। जबकि राची विवि के अंक प्रमाण पत्र में फोटो नहीं रहता है।
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नेट पर डिग्री का बाजार
बीए, बी कॉम, एमए एमकॉम - 9000 रुपए
बीएससी, एमएससी - 10500
बीसीए व एमसीए -22000 रुपए
बीएड - 49000 रुपए
बीटेक - 60000 रुपए
एमटेक- 45,000
एमफिल- 35000 रुपए
बीबीए व एमबीए - 35000
पीएचडी -90000
डिप्लोमा इंजीनियरिंग -45500
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डिस्टेंस एजुकेशन है नहीं, कर लिया एमटेक
अमर नाथ नियोगी ने रांची विवि में एमटेक की डिग्री हिंदी भाषा में निर्गत करने के लिए आवेदन दिया। इनका कहना है कि वह रांची विवि से 1988 में डिस्टेंस एजुकेशन से पढ़ाई पूरी की है जबकि राची विवि में डिस्टेंस एजुकेशन है ही नहीं। विवि ने कहा कि इस नाम का कोई भी व्यक्ति एमटेक पास नहीं है। इसके बाद अमरनाथ ने राची विवि के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। नियोगी खुद को बीआईटी, राची से बीटेक पास बताते हैं।
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प्राथमिकी दर्ज हो
बीते तीन अगस्त हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई। विवि के अधिवक्ता ने विवि का पक्ष रखा। कोर्ट ने कहा नियोगी का प्रमाण पत्र फर्जी है तो प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए। इधर विवि प्रशासन ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। मंगलवार तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है।
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