योजना परिषद को भंग किए जाने का इंतजार
रांची : मार्च 2013 से कार्यरत राज्य योजना परिषद को अब भंग किए जाने का इंतजार है। इसके भंग होते ही पर
रांची : मार्च 2013 से कार्यरत राज्य योजना परिषद को अब भंग किए जाने का इंतजार है। इसके भंग होते ही परिषद के उपाध्यक्ष एके सरकार बेरोजगार हो जाएंगे। वे राज्य के मुख्य सचिव रह चुके हैं। इस पद से सेवानिवृत्ति के बाद उनको योजना परिषद का दायित्व सौंपा गया था।
वर्तमान सरकार ने केंद्र के नीति आयोग की तर्ज पर राज्य विकास परिषद के गठन की कैबिनेट स्वीकृति प्राप्त कर ली है। इसका संकल्प जारी होने यानी विधिवत गठन के साथ योजना परिषद का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। उम्मीद है कि अगले हफ्ते यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाले योजना परिषद ने हालांकि अपने सवा दो वर्षो के कार्यकाल में नीतिगत कई कार्य किया लेकिन खुद अपनी नियमावली सरकार से पारित न करा सका। झारखंड में योजना परिषद की संभवत: यही नियति रही है। सबसे पहले 2006 में योजना परिषद के गठन की कोशिश की गई थी किंतु इसके तत्कालीन नामित उपाध्यक्ष (वर्तमान में खाद्य आपूर्ति मंत्री) सरयू राय ने पद ग्रहण ही नहीं किया था।
तकरीबन सात वर्षो तक चुप्पी के बाद फरवरी 2013 में इसका नए सिरे से गठन कर विकास आयुक्त पद से सेवानिवृत्त वरिष्ठ आइएएस अधिकारी देवाशीष गुप्ता को इसका उपाध्यक्ष बनाया गया था। अगस्त 2013 में उनको जेपीएससी का चेयरमैन बनाए जाने के बाद एके सरकार को इसकी कमान सौंपी गई थी।